अक्सर लोग नक्सली, उग्रवादी और आतंकवादी शब्दों को एक ही अर्थ में इस्तेमाल कर देते हैं। हालांकि, ये तीनों एक दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं। भले ही इनके मकसद हिंसक गतिविधियों से जुड़े हैं, लेकिन इनकी वैचारिक पृष्ठभूमि, उद्देश्य और कार्यशैली में बड़ा अंतर होता है। नक्सली मुख्य रूप से आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में सामाजिक और आर्थिक न्याय की मांग को लेकर हथियार उठाते हैं, वहीं उग्रवादी का काम राजनीतिक या सामाजिक आंदोलन में होता हैं। रही बात आतंकवादी की तो इन संगठनों का उद्देश्य धार्मिक, राजनीतिक या वैश्विक स्तर पर भय फैलाना होता है। अगर आप भी इनके बीच के अंतर को लेकर कंफ्यूज हैं, तो इस लेख में हम आपको स्पष्ट और आसान भाषा में समझाएंगे कि नक्सली, उग्रवादी और आतंकवादी कैसे एक-दूसरे से अलग हैं।
नक्सली शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से हुई थी। नक्सली, दरअसल, कम्युनिस्ट विचारधारा को मानते हैं। उनका मानना है कि गरीबों, किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ाई जरूरी है। उनका मुख्य उद्देश्य सरकार और पूंजीवादी सिस्टम के खिलाफ हथियार उठाकर एक नई क्रांति लाना है। नक्सली आमतौर पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में सक्रिय रहते हैं और अपनी लड़ाई को क्रांति का रूप देते हैं।
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उग्रवादी वे होते हैं, जो किसी विशेष राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं। इनका उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में अलगाववाद, जातीय या धार्मिक प्रभुत्व स्थापित करना होता है। ये किसी राजनीतिक या जातीय आंदोलन के समर्थक होते हैं और मानते हैं कि उनका उद्देश्य सही है, भले ही इसके लिए हिंसा का सहारा लेना पड़े। उग्रवादियों का मुख्य उद्देश्य अपने समुदाय, जाति या समूह के लिए एक अलग पहचान या आजादी पाना होता है। इन्हीं में से कुछ बाद में आतंकवाद का रूप ले सकते हैं।
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आतंकवादी वे होते हैं, जो धार्मिक, राजनीतिक या वैश्विक उद्देश्यों के लिए हिंसा फैलाते हैं और आम नागरिकों में डर और दहशत पैदा करना इनका मुख्य लक्ष्य होता है। उनक टार्गेट आम नागरिक, धार्मिक स्थल, सेना, सरकारी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय संगठन होता है। वे कट्टरपंथी धार्मिक या राजनीतिक विचारधारा के होते हैं, जो अक्सर वैश्विक स्तर पर प्रभाव डालने की कोशिश करती है। उनका मुख्य उद्देश्य डर और आतंक फैलाकर राजनीतिक या धार्मिक एजेंडा लागू करना होता है।
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