भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद से तनाव बना हुआ है। 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। भारतीय सेना ने पहलगाम में हुए हमले के जवाब में कल देर रात पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इसे ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया गया। वहीं, आज यानी 7 मई को देश के 244 जिलों में जंंग के सायरन बजेंगे और ब्लैकआउट की मॉकड्रिल होगी। ऐसा देश के 244 जिलों में किया जाएगा। गृह मंत्रालय की तरफ से इसे लेकर जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं। कल हवाई हमले पर अलर्ट करने वाले सायरन बजाए जाएंगे और आपके घरों की बत्ती भी गुल हो सकती है। इस ब्लैक आउट मॉकड्रिल को लेकर काफी खबरें वायरल हो रही हैं और आम नागरिकों के मन में यह सवाल भी है कि क्या इसे लेकर डरने की कोई जरूरत है या क्या इसका हमारी जिंदगी पर कोई असर पड़ेगा। चलिए, आपको इससे जुड़ी जरूरी बातों को आम भाषा में समझते हैं।
7 मई को आखिर क्या होगा?
सबसे पहले तो आप यह समझ लीजिए कि आपको कल यानी 7 मई को होने जा रही ब्लैक आउट मॉकड्रिल से डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। ऐसा पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच, कोई मुश्किल स्थिति आने पर उससे निपटने के लिए किया जा रहा है। यह सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल असल में इमरजेंसी सिचुएशन में नागरिकों को सुरक्षित रहने का तरीका समझाती है। जंग या फिर आपदा जैसी स्थितियों में कैसे खुद का बचाव किया जा सकता है और कैसे इससे निकला जा सकता है, यह उसके लिए एक जरूरी अभ्यास है। इसमें किसी भी हमले की स्थिति में आम नागरिकों को सुरक्षा के लिए कई पहलुओं पर ट्रेनिंग दी जाती है। इशके अलावा, बंकरों और खाइयों की साफ-सफाई भी इसका हिस्सा हो सकती है। इसमें जिले के अधिकारियों, वॉलिंटियर्स और एनसीसी व स्कूल-कॉलेज के छात्र भी भाग लेते हैं।
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ब्लैकआउट क्या होता है?
कल इस मॉक ड्रिल में आपके घर की बत्ती गुल हो सकती है। ब्लैक आउट एक तरह से दुश्मन की आंखों पर पर्दा डालने का काम करता है। हवाई हमले में दुश्मन की नजरों से बचने के लिए, ब्लैकआउट किया जाता है। इस समय पर घर की बत्ती बंद रखने, खिड़कियों पर काले पर्दे डालने, गाड़ियों की हेडलाइट्स और स्ट्रीट लाइट बंद करने के निर्देश दिए जाते हैं। एक तरह से इसमें सभी आर्टिफिशियल लाइट को एकदम डिम कर दिया जाता है ताकि दुश्मन के विमानों को टारगने ढूंढने में मुश्किल हो और लोगों का बचाव हो सके। 1971 की जंग के बाद यह पहला मौका है, जब ऐसा किया जा रहा है।
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