ऑफिस में अगर आपको किसी से खतरा महसूस होता है या फिर किसी की हरकत आपको हैरेसमेंट जैसी लगती है, तो आप क्या करते हैं? सबका जवाब होगा HR के पास जाते हैं और वहां जाने के बाद एक इंटरनल कमेटी बैठाई जाती है जो आपके मामले की पड़ताल करती है। पर यहां हर बार आपके हक में फैसला हो यह तो जरूरी नहीं।
POSH या Prevention of Sexual Harassment एक्ट 2013 में आया था और बाकी कानूनों की तरह यह बहुत बड़ा नहीं है जिसके कारण इसने लोकप्रियता हासिल कर ली है। अब कंपनियां POSH सर्टिफाइड होने लगी हैं और यही कारण है कि अब धीरे-धीरे लोग इसके लिए जागरूक होने लगे हैं।
हरजिंदगी की तरफ से हम POSH Conclave Chapter II में गए थे जिसे NoMeansNo द्वारा करवाया गया था। NoMeansNo के को-फाउंडर मिस्टर विशाल भसीन के नेतृत्व में इस कॉन्क्लेव में कई तरह की जानकारी दी गई जिसमें से एक अहम मुद्दा था पॉश के ग्रे एरियाज के बारे में बात करना।
क्या हैं पॉश के ग्रे एरिया?
वो चीजें जिसके तहत पॉश नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे मामले जो सेक्शुअल हैरेसमेंट हो भी सकते हैं और नहीं भी, लेकिन उनके बारे में बात करना और किसी तरह का फैसला लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। जिस पैनल में ग्रे एरियाज की बात की गई थी उसमें क्लोव डेंटल की हेड एचआर सुगंधा जैन, AWFIS- स्पेस सॉल्यूशन की एवीपी एचआर आशी चौटानी, Zydus के प्रेसिडेंट ग्रुप एचआर ऋषिकेश रावल और NoMeansNo के को-फाउंडर मिस्टर विशाल भसीन मौजूद थे। इस पैनल में कई सारे ग्रे एरियाज के बारे में बताया गया जैसे-
जेंडर न्यूट्रैलिटी
POSH एक्ट के सबसे बड़े ग्रे एरिया में से एक है जेंडर न्यूट्रैलिटी। इस तरह की चीजों में हमेशा यही समझा जाता है कि यह सिर्फ लड़कियों के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है। पुरुषों के लिए भी पॉश इस्तेमाल हो सकता है पर दिक्कत यही है कि इस एक्ट में भी जेंडर न्यूट्रैलिटी की कमी है। यहां अगर किसी पुरुष के साथ कुछ गलत होता है, तो उसे लेकर नियम और धारणाएं थोड़ी सी बदल जाती हैं।
वर्क प्लेस रोमांस
POSH के तहत आने वाले सबसे कॉमन केस में से होते हैं ऑफिस रोमांस जो शुरुआत में तो दो लोगों की सहमति से होते हैं, लेकिन बाद में उनके मायने बदल जाते हैं। वर्क प्लेस रोमांस अगर किसी वजह से खराब हो रहा है, तो उसके लिए कई बार लोग पॉश एक्ट लगा देते हैं। ऐसा करना सही नहीं है। इससे होता यह है कि लोग अपने रिलेशनशिप के खत्म होते ही POSH लगाने की कोशिश करते हैं। इस तरह की स्थिति घातक साबित हो सकती है। ऑफिस रोमांस के मामले में इंटरनल कमेटी के लिए फैसला लेना दिक्कत भरा साबित हो सकता है।
पर्सनल रिलेशनशिप को जगजाहिर किया जाए या नहीं
यह भी एक दिक्कत का विषय है कि क्या पर्सनल रिलेशनशिप को POSH के तहत ऑफिस के सामने लाना चाहिए? इससे ऑफिस में काम करने वाले लोगों की पर्सनल बातें सबके सामने आने लगती हैं जो सही नहीं है। एक तरह से देखा जाए तो ऐसे मामले पर्सनल रिलेशनशिप के लिए घातक भी साबित होते हैं।
ऑफिस में पावर डायनैमिक्स का बदलना
अगर किसी ऑफिस में किसी कर्मचारी को एकदम से प्रमोशन मिला है और उसके खिलाफ कुछ शिकायतें आ रही हैं, तो क्या यह पॉश के दायरे में आएगा या नहीं? कई बार अप्रेजल के बाद इस तरह की चीजें करते हैं लोग, कई बार बिना सोचे समझे ही अपने मैनेजर या फिर सबॉर्डिनेट पर पॉश कानून लगा देते हैं। यह तरीका गलत है और इससे होता यह है कि लोग कई बार अपनी दुश्मनी भी पॉश के तहत निकालने की कोशिश करते हैं।
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ऑफसाइट मामले
अगर ऑफिस के दो वर्कर किसी मामले में शामिल हैं और ऑफिस के अंदर नहीं बाहर यह मामला हुआ है, तो क्या यह POSH के अंतर्गत आएगा? जी बिल्कुल आएगा और इसे भी एक तरह का ग्रे एरिया माना जाता है।
कोई एविडेंस ना होना
कई बार ऑफिस की इंटरनल कमेटी के पास इस तरह के मामलों में कोई साक्ष्य भी नहीं होता है। POSH का सबसे बड़ा ग्रे एरिया यही होता है कि एविडेंस की कमी के कारण कई बार लोग बच जाते हैं।
आपके हिसाब से भी क्या POSH का कोई और ग्रे एरिया हो सकता है? अपने जवाब हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik
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