रेंट एग्रीमेंट यानी किराए का समझौता एक कानूनी दस्तावेज है, जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच अधिकारों और जिम्मेदारियों को निर्धारित करता है। यह दोनों पक्षों के लिए हितों की रक्षा करता है और भविष्य में होने वाले विवादों को रोकने में मदद करता है। रेंट एग्रीमेंट बनवाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
रेंट एग्रीमेंट में किराया चुकाने की तय तारीख, किराया बढ़ाने का तरीका और देर से किराया चुकाने पर लगने वाली पेनल्टी की जानकारी होनी चाहिए। किराए की राशि उचित और बाजार दरों के अनुरूप होनी चाहिए। किराए में बढ़ोतरी के बारे में स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए, जिसमें बढ़ोतरी की दुहराव और फीसदी में ग्रोथ शामिल हो।
एग्रीमेंट में मकान को सही रखने के लिए कितना मेंटेनेंस चार्ज देना होगा, इसकी जानकारी होनी चाहिए। मरम्मत और रखरखाव के लिए जिम्मेदारी कौन लेगा, यह स्पष्ट होना चाहिए। किन मरम्मतों के लिए मकान मालिक भुगतान करेगा और किनके लिए किरायेदार भुगतान करेगा, यह स्पष्ट होना चाहिए।
एग्रीमेंट में यह जानकारी होनी चाहिए कि बिजली, पानी, हाउस टैक्स, और पार्किंग जैसी सुविधाओं के लिए कौन भुगतान करेगा। अगर घर में कई किराएदार हैं, तो इन सुविधाओं के भुगतान को लेकर पहले से बात कर लेनी चाहिए। किराये की राशि में मासिक किराया स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए। मासिक किराया किस तारीख को जमा करना है। इसके अलावा भुगतान का तरीका (कैश, बैंक ट्रांसफर, चेक आदि)।
रेंट एग्रीमेंट 100 या 200 रुपये के स्टांप पर बनवाना चाहिए। एग्रीमेंट को कानूनी मान्यता देने के लिए स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान और रजिस्ट्रेशन। किसी विवाद की स्थिति में कानूनी प्रक्रिया और न्यायालय का डिटेल। अगर सालाना किराया एक लाख रुपये से ज़्यादा है, तो मकान मालिक का पैन कार्ड देना जरूरी होता है।
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एग्रीमेंट के हर पेज पर मकान मालिक का साइन होना जरूरी है। एक लिखित समझौता होना चाहिए जो दोनों पक्षों द्वारा साइन किया गया हो। समझौते में मकान मालिक और किरायेदार का नाम, पता, संपर्क जानकारी, किराए की राशि, भुगतान की अवधि और देने की तारीख, जमा राशि, मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार और जिम्मेदारियां, मरम्मत और रखरखाव, किराए में वृद्धि, नवीनीकरण, समाप्ति, और विवाद समाधान प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि भाषा सरल, स्पष्ट और कानूनी तौर पर मान्य होनी चाहिए। समझौते पर साइन करने से पहले इसे ध्यान से पढ़ें और समझ लें।
बाजार के मानदंडों के मुताबिक, सुरक्षा जमा की रकम तय करनी चाहिए और यह भी तय करना चाहिए कि यह रकम कब और कैसे वापस की जाएगी। सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि कब और कैसे वापस किया जाएगा, इसकी शर्तें। रेंट एग्रीमेंट में लिखी गई सभी शर्तों को ध्यान से पढ़ना चाहिए। अगर कोई संदेह हो, तो वकील से सलाह लेनी चाहिए।
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रेंट एग्रीमेंट में रद्दीकरण की शर्तें भी समझनी चाहिए और उन्हें सही तरीके से लिखना चाहिए। यदि किरायेदार किराये की अवधि समाप्त होने के बाद भी रहना चाहता है, तो नवीनीकरण के बारे में स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए। समझौते को समाप्त करने के आधारों के बारे में स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए, जैसे कि किराए का भुगतान न करना, घर का दुरुपयोग करना, या कानून का उल्लंघन करना। अगर आपको कोई सवाल या चिंता है, तो मकान मालिक से पूछने में संकोच न करें। रेंट एग्रीमेंट एक फोटो कॉपी अपने पास जरूर रख लें।
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