प्रीति अपनी पांच साल की बेटी रिया पर जान छिड़कती है, उसे खूब पैंपर करती है। रिया भी अपनी मम्मी के साथ खूब खेलती और शरारतें करती है, लेकिन प्रीति के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल तब होती है जब रिया रूठ जाती है। रिया कभी किसी सामान को ना दिलाए जाने पर गुस्सा हो जाती है तो कभी साथ नहीं खेलने पर, कभी मम्मी के जाने पर रोने लगती है तो कभी दूसरे बच्चों के साथ मारा-मारी करके रोने लगती है। बच्चे अक्सर ही इस तरह गुस्सा हो जाते हैं, इसमें बहुत परेशान होने की बात नहीं है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि आजकल का माहौल काफी दोस्ताना है, इसलिए बच्चे अपने मम्मी-पापा से बिना किसी झिझक के बात करते हैं। ऐसे में कई बार वे थोड़ा एक्सट्रीम पर चले जाते हैं, लेकिन अगर पेरेंट्स उन्हें पेशंट तरीके से हैंडल करें तो आसानी से उनके गुस्से पर काबू पा सकते हैं। इस बारे में हमने बात की परवरिश की फाउंडर टीम मेंबर और हेड काउंसलर मानवी गुप्ता से और उन्होंने हमें इस बारे में कुछ अहम सुझाव दिए-
गुस्से को नहीं करें कंट्रोल
जब बच्चे को गुस्सा आ रहा हो तो उसे किसी तरह का तर्क देकर चुप ना कराएं और ना ही चिल्लाएं। चूंकि गुस्से में दिमाग काम करना बंद कर देता है, इसीलिए आप अपने बच्चे पर इस समय में किसी तरह का दबाव नहीं डालें कि वह चीजों के बारे में सामान्य तरीके से सोचे। अगर मुमकिन हो तो बच्चे को प्यार-दुलार से शांत करें। या फिर उन्हें सामान्य तरीके से अपनी बात कहने दें। बच्चे के गुस्सा होने पर बड़ों को रिएक्ट करने के बजाय सिर्फ यही करना चाहिए।
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बच्चे के व्यवहार पर सवाल उठाएं, बच्चे पर नहीं
बच्चे को आप ज्यादा से ज्यादा यही कहें कि वह अभी गुस्से में है। इससे ज्यादा उसे कुछ भी नहीं कहें। अक्सर जब बच्चे गुस्सा करते हैं तो महिलाएं भी उन्हें बुरा-भला कहने लगती हैं, उन्हें शरारती, गुस्सैल या नालायक कहने लगती हैं। अगर महिलाएं बच्चे पर ज्यादा रिएक्ट नहीं करें तो वे अपना टेंपर लूज करने से भी बचेंगी।
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जब बच्चा शांत हो जाए, तभी बात करें
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