क्यों आज भी पत्नी को पति के बराबर नहीं मानता यह समाज? विक्रांत मैसी ने करवाचौथ पर छुए पत्नी के पैर तो लोगों ने दी गालियां, आखिर कौन-सी सदी में जी रहे हैं हम?

हमारे देश में बेटियों को शादी के बाद पति को परमेश्वर मानने की सलाह दी जाती है। पति के पैर छूना, उसे सम्मान देना, अच्छे संस्कार माने जाते हैं। लेकिन, अगर पति अपनी पत्नी को लक्ष्मी का रूप समझकर उसके पैर छू ले, तो फिर इस पर इतना हाहाकार क्यों मचता है?
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अपने पति को परमेश्वर मानती है....हर काम पति से पूछ कर करती है...पति की मर्जी के बिना तो घर से बाहर कदम भी नहीं रखती है...पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है...पति के पैर छूना अपना सौभाग्य मानती है....कितनी संस्कारी लड़की है!

पत्नी की हर बात सुनता है...पत्नी को कितनी छूट दे रखी है...पत्नी के साथ घर के काम भी करवाता है....वो तो छोड़िए मिसेज शर्मा..पिछले हफ्ते करवाचौथ की फोटोज में तो मैंने इसे अपनी पत्नी के पैर छूते भी देखा था...बताओ कैसा लड़का है...एकदम जोरू का गुलाम....!

क्या हुआ...कहीं इन दो लाइनों में आपको समाज की सोच का अंतर तो दिख गया या हो सकता है आपको ये दोनों लाइने बिल्कुल नॉर्मल लग रही हो..क्योंकि यही तो वो सोच है, जिसे अपने आस-पास देखते, पहचानते, समझते और स्वीकारते हम बड़े हुए हैं। यूं तो पति-पत्नी को गाड़ी के दो पहिये कहा जाता है...एक-दूसरे का हमसफर बताया जाता है लेकिन फिर भी पत्नी को पति के बराबर का दर्जा देना आज भी हमारे समाज को स्वीकार नहीं है। आज भी यहां पति की सेवा करना, पत्नी का धर्म बताया जाता है लेकिन अगर पति, पत्नी की सेवा करे, तो उफ्फ...लोगों की त्योरियां चढ़ते देर नहीं लगती हैं।
अब ऐसे समाज को भला, पति का पत्नी के पैर छूना कैसे रास आ जाएगा। यही वजह है कि जब एक्टर विक्रांत मैसी ने करवाचौथ पर कुछ फोटोज पोस्ट की, जिनमें वह अपनी पत्नी के पैर छू रहे थे...तो लोगों को ये बिल्कुल हजम नहीं हुआ..यहां तक कि इसके लिए उनके इनबॉक्स में उन्हें गालियां दी जाने लगीं। इसके बारे में हाल ही में विक्रांत ने खुद खुलासा किया है। एक्टर ने ट्रोलर्स को मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। लेकिन, इस वाकये ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पत्नी को पति के बराबर मानने में हमारे समाज को आज भी दिक्कत क्यों है?

विक्रांत मैसी की करवाचौथ फोटोज हुई थीं वायरल


विक्रांत मैसी ने करवाचौथ पर कुछ फोटोज शेयर की थीं। इनमें एक्टर और उनकी पत्नी, प्यार और सम्मान के साथ करवाचौथ का त्योहार मनाते नजर आए थे। इन फोटोज में पहली और दूसरी फोटो तक तो सब नॉर्मल ही था। लेकिन, जैसे ही थर्ड फोटो आई और विक्रांत अपनी पत्नी के पैर छूते नजर आए, वैसे ही लोगों को दिक्कत होने लगी। बेशक, इस फोटो पर कई लोगों ने खूब प्यार लुटाया और इस बराबरी की अहमियत सभी को समझने के लिए कहा। लेकिन, कई लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इन फोटोज के लिए विक्रांत को जमकर ट्रोल किया। इसका खुलासा खुद एक्टर ने हाल ही में किया है।

करवाचौथ पर पत्नी के पैर छूने के लिए विक्रांत को पड़ी गालियां

विक्रांत इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म द साबरमती रिपोर्ट का प्रमोशन कर रहे हैं। इसी बीच, जब बात उन वायरल फोटोज की हुई, जिनमें विक्रांत, अपनी पत्नी शीतल के पैर छूते नजर आए थे, तो विक्रांत ने बताया कि इन फोटोज के लिए, उन्हें काफी कुछ सुनना पड़ा था। विक्रांत ने बताया कि कुछ लोगों को वो तस्वीरें पसंद आई थीं लेकि काफी लोग मुझे उनके लिए गालियां दे रहे थे।

विक्रांत ने ट्रोलर्स को दिया मुंहतोड़ जवाब


विक्रांत मैसी ने इस बारे में बात करते हुए ट्रोलर्स को मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी उनके घर की लक्ष्मी हैं और उन्हें नहीं लगता कि लक्ष्मी के पैर छूना गलत है। एक्टर ने यह भी कहा कि उनकी पत्नी जबसे उनकी जिंदगी में आई हैं...उनकी जिंदगी बेहतर हुई है...उनके साथ अच्छी चीजें हुई हैं और चीजों को इसी तरह रखने के लिए, वह अपनी पत्नी के पैर छूते हैं।

आखिर पत्नी के पैर छूने पर इतना बवाल क्यों?

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यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर पत्नी का पति के पैर छूना नॉर्मल है, तो फिर पति के पत्नी के पैर छूने पर होने वाले इस बवाल की वजह क्या है। जब दो लोग शादी के बंधन में बंधते हैं..अग्नि के सात फेरे लेकर एक-दूसरे को अपना हमसफर चुनते हैं...जिंदगी भर साथ निभाने का वादा करते हैं, तो फिर इस रिश्ते में पत्नी को वो बराबरी का दर्जा देने में आज भी समाज को दिक्कत क्यों है। हमारी संस्कृति में शिव और शक्ति का अर्द्धनारीश्वर रूप, पति-पत्नी की बराबरी का प्रतीक है। हम शिव-शक्ति को पूजते हैं, तो फिर इस बराबरी को मानने में भी क्यों हमें दिक्कत होती है।

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वक्त के साथ आज भी पूरी तरह नहीं बदल पाई है सोच

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पत्नी को पति के अधीन मानने की यह सोच कहीं न कहीं पितृसत्तात्मक सोच से ही आई है। वह सोच जिसमें पति प्रोवाइडर होता है और पत्नी का काम सिर्फ घर चलाना होता है..वह सोच जिसमें पति के पैसा कमाने को घर चलाने के लिए जरूरी माना जाता है लेकिन हाउसवाइफ को सम्मान नहीं मिलता है। यहां अभी भी बहुत लोगों को यह समझना जरूरी है कि घर चलाना कोई छोटा काम नहीं है। अगर पति बाहर जाकर काम कर रहा है, तो उसकी हर जरूरत का ख्याल, पत्नी खुद से पहले रख रही है...मकान को घर बनाने में अपनी जिंदगी झोक रही है और इसके लिए वह सम्मान और बराबरी की अधिकारी है। बात अगर आज के वक्त की भी करें, तो आज तो पत्नियां, फाइनेंशियल लेवल पर भी अपने पति के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं..ऐसे में अब भी अगर हमारी सोच नहीं बदल पा रही है, तो क्या यह सही है?

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