अगर आप अपने घर में गार्डनिंग करने के शौकीन है तो आज हम बात करने वाले हैं कि कैसे उचित मात्रा में पानी के इस्तेमाल से गार्डन को हरा भरा बनाया जा सकता है। अक्सर, जब आप पौधों में पानी डालते हैं तो, पानी गमले से बाहर भी बह जाता होगा या फिर आपके गार्डन में पानी की अधिक मात्रा में जलभराव हो जाता होगा, जिसकी वजह से पौधों को सड़ने का खतरा बढ़ सकता है। इसके लिए क्या बचाव हो सकते हैं, जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें।
इसलिए, अपने बगीचे में पानी बचाने का सवाल उठना चाहिए। पानी का संतुलित और जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल करने से आपके पौधों का स्वास्थ्य और बगीचे की देखभाल में मदद मिल सकता है, और पानी की बर्बादी से भी बचा जा सकता है।
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ये पौधे सूखे क्षेत्रों में लगाने के लिए आदर्श हो सकते हैं, जहाँ पानी की कमी होती है। इन पौधों को लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए आपको ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होगी। आप इन्हें अपने घर के बगीचे में, छत पर या बालकनी में लगा सकते हैं। ये पौधे न केवल आपके घर की सुंदरता बढ़ाएंगे, बल्कि शुद्ध हवा भी प्रदान करेंगे। जैसे-
एलोवेरा (Aloe vera), कैक्टस (Cactus), सक्सेस जेन्ट्स (Succulents), अशोक (Saraca asoca), अमलतास (Cassia fistula), अर्जुन (Terminalia arjuna), करंज (Pongamia pinnata), करी-पत्ते (Curry leaf plant), गुलमोहर (Delonix regia), नीम (Azadirachta indica), पीपल (Ficus religiosa), सफेद मूसली (Leucas aspera) आदि पौधे बेहतर हो सकते हैं।
अगर आप अपने बगीचे में पौधे लगाने की योजना बना रहे हैं, तो अपने क्षेत्र के मूल पौधों पर भी विचार कर सकते हैं। ये पौधे आपके बगीचे को सुंदर बनाएंगे और आपको कम पानी और रखरखाव की जरूरत होगी। इसका कारण यह है कि ये पौधे आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल होते हैं। इन्हें कम पानी में जीवित रहने और पनपने के लिए विकसित किया जा सकता है।
मल्च से मिट्टी को नम रखा जा सकता है। मल्च मिट्टी की सतह को ढक देता है और सूर्य के प्रकाश को रोकता है। इससे मिट्टी से नमी वाष्पित होने से रोकती है। इसके अलावा, मल्च मिट्टी के तापमान को स्थिर रखता है, जिससे पौधों को ठंडी रातों में गर्म और गर्म दिनों में ठंडा रखने में मदद मिलती है।
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हवा चलने पर पानी न डालें। हवा चलने पर पानी जल्दी वाष्पित हो जाता है, जिससे पानी की बर्बादी होती है। इसके अलावा, हवा के झोंकों से पानी पौधों की पत्तियों और फूलों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बजाए,
ड्रिप सिंचाई में पानी की बचत होती है और पानी देना आसान हो जाता है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली में, पानी पौधों की जड़ों तक सीधे पहुंचता है। इससे पानी की बर्बादी कम होती है क्योंकि पानी मिट्टी की सतह पर नहीं बहता है। इसके अलावा, ड्रिप सिंचाई प्रणाली को मैन्युअल रूप से पानी देने की तुलना में कम समय और प्रयास की जरूरत होती है।
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