ग्रेच्युटी (Gratuity), जिसे टिप्स (Tips) भी कहा जाता है, कर्मचारियों को उनके अच्छे काम और ग्राहकों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए अलग से पैसे दिए जाते हैं। ग्रेच्युटी का मकसद कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना है, ताकि वे बेहतर से सर्विस देते रहें। ग्रेच्युटी कई रूपों में दी जा सकती है, जैसे नकदी, क्रेडिट कार्ड, या मोबाइल वॉलेट।
क्या होता है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी, किसी कंपनी की ओर से कर्मचारी को दी जाने वाली एक रकम होती है। यह रकम, कंपनी को दी गई सर्विस के बदले में दी जाती है। ग्रेच्युटी को कंपनी से वफादारी का इनाम भी माना जाता है। ग्रेच्युटी पाने के लिए, कर्मचारी को कम से कम पांच साल तक एक ही कंपनी में काम करना होता है। हालांकि, अगर कोई कर्मचारी दुर्घटना या बीमारी की वजह से विकलांग हो जाता है, तो उसे पांच साल से पहले भी ग्रेच्युटी मिल सकती है। ग्रेच्युटी की रकम, खास तौर पर कर्मचारी के आखिरी वेतन और कंपनी में काम के सालों पर निर्भर करती है।
ग्रेच्युटी जोड़ने का फॉर्मूला है
ग्रेच्युटी = (15 × अंतिम वेतन × कार्यकाल) / 30. ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये है।
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत, सभी कारखानों, खदानों, तेल क्षेत्रों, बागानों, बंदरगाहों, रेलवे, मोटर परिवहन उपक्रमों, कंपनियों, और 10 या उससे ज़्यादा कर्मचारियों वाली दुकानों या संस्थानों में ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है। आम तौर पर, ग्रेच्युटी तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है, उसे हटाया जाता है, या रिटायर होता है।
आम तौर पर, ग्रेच्युटी का भुगतान एम्पलॉयर के द्वारा पूरा और अंतिम निपटान के 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। अगर भुगतान में देरी होती है, तो एम्पलॉयर देने की तारीख से लेकर ग्रेच्युटी भुगतान की तारीख तक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। ग्रेच्युटी पाने के लिए पात्र कर्मचारी, भुगतान योग्य तारीख से 30 दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, अगर कोई कर्मचारी इस समय सीमा के बाद भी आवेदन करता है, तो कंपनी उसे रेजेक्ट नहीं कर सकती।
ग्रेच्युटी एक्ट के सेक्शन-2A के मुताबिक, अगर कर्मचारी भूमिगत खदान में काम करता है, तो वह लगातार 4 साल 190 दिन पूरे होने के बाद ग्रेच्युटी का लाभ ले सकता है। वहीं, बाकी संगठनों में 4 साल 240 दिन यानी 4 साल 8 महीने के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती है। ग्रेच्युटी का लाभ नौकरी छोड़ने या फिर रिटायरमेंट के बाद मिलता है। आप नौकरी करते वक्त इसका लाभ नहीं उठा सकते।
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अगर कोई कंपनी ग्रेच्युटी नहीं दे रही है तो क्या करें?
भारत में, ग्रेच्युटी का भुगतान Payment of Gratuity Act, 1972 द्वारा नियंत्रित होता है। यह कानून केवल उन कर्मचारियों पर लागू होता है जो कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करते हैं और जिनका वेतन प्रति माह 10,000 रुपये से अधिक है। अगर आपके एम्पलॉयर से बात करने से कोई सफलता नहीं मिलती है, तो आप अपने राज्य के श्रम विभाग से संपर्क कर सकते हैं। किसी वकील से मदद लेकर लीगल नोटिस भेज सकते हैं।
किस हालत में ग्रेच्युटी देने से रोक सकती है कंपनी
अगर किसी कर्मचारी पर अनैतिक व्यवहार करने का आरोप लगता है या फिर उसकी किसी लापरवाही की वजह से कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ है, तो कंपनी को उसकी ग्रेच्युटी की रकम न देने का अधिकार है।
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