धनतेरस और दिवाली के मौके पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। लोग हफ्तों पहले से अपने पसंद की ज्वेलरी छांटना शुरू कर देते हैं। अगर गोल्ड में निवेश की भी बात है, तो भी पहले से ही तैयारी की जाती है। पर क्या आपको पता है कि किस तरह का सोना खरीदना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है? नहीं-नहीं मैं यहां आपको वास्तु शास्त्र या फिर ज्वेलरी डिजाइन से जुड़ी डिटेल नहीं बताने जा रही हूं, बल्कि मैं तो आपको बता रही हूं कि किस तरह से आप सोने की ज्वेलरी या गोल्ड बॉन्ड के जरिए सही तरीके से निवेश कर सकती हैं।
सोना सस्ता तो आता नहीं है इसलिए अगर आप सोने में निवेश करने के बारे में सोच रही हैं, तो उससे जुड़े कुछ नियम आपको भी पता होने चाहिए।
इसे जानने के लिए हमने पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट और Wealth Aware कंपनी की संस्थापक और एमडी तन्वी केजरीवाल गोयल से बात की।
तन्वी के मुताबिक, धनतेरस पर सोना खरीदने का नियम तो है, लेकिन आप फिजिकल गोल्ड को खरीदने की जगह आप गोल्ड बॉन्ड्स में भी निवेश कर सकती हैं।
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फिजिकल गोल्ड खरीदने के लिए आपको MCX पर जाकर उस दिन के गोल्ड रेट की जानकारी ले लेनी चाहिए। गोल्ड रेट चेक करके अगर आप किसी लोकल सुनार के पास जा रहे हैं, तो भी आपको कोई ठग नहीं सकता है।
गोल्ड क्वाइन या गोल्ड बार खरीदने के लिए किन बातों का ध्यान रखें
गोल्ड क्वाइन और बार में मेकिंग चार्जेस कम हो सकते हैं। कई दुकानदार मेकिंग चार्जेस का हवाला देकर ज्यादा पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं। ऐसे में अगर कोई आपसे बोल रहा है कि मेकिंग चार्जेस उसके यहां 18% के होते हैं, तो आपको उससे गोल्ड क्वाइन और बार के मेकिंग चार्जेस के बारे में भी पूछना चाहिए।
प्योरिटी की जांच करके ही गोल्ड क्वाइन खरीदें।
ज्वेलरी के मामले में अधिकतम 22 कैरेट मिलती है, लेकिन आप गोल्ड क्वाइन को 24 कैरेट में भी खरीद सकती हैं। क्वालिटी के साथ-साथ वजन का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। इसी के साथ, आपको यह भी देखना है कि जो गोल्ड क्वाइन आप खरीद रही हैं उसमें हॉलमार्क है या नहीं। बिना प्योरिटी मार्क के गोल्ड क्वाइन या गोल्ड बार दोनों ही खरीदना घाटे का सौदा होगा। आपको इस बात का ध्यान रखना है कि यहां आप निवेश करने जा रही हैं और बिना प्योरिटी मार्क के गोल्ड खरीदने पर आप दोबारा उसे बेचने के बारे में नहीं सोच सकती हैं।
गोल्ड क्वाइन खरीदते समय आप दुकानदार से उसकी रीसेल की जानकारी भी ले सकती हैं।
अगर गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के बारे में सोच रही हैं, तो क्या करें
अब बात करते हैं गृहणियों के सबसे पसंदीदा कामों में से एक की। गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के बारे में पहले से ही ध्यान रखना है कि मेकिंग चार्जेस कितने होते हैं। किस तरह के मेकिंग चार्जेस के कारण आपको परेशानी नहीं होगी और मेकिंग चार्जेस के कारण कहीं ज्वेलरी के वापस बिकने पर तो दिक्कत नहीं होगी।
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- हॉलमार्क के सर्टिफिकेट के बिना आप किसी भी हालत में ज्वेलरी ना खरीदें। बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी असली नहीं होती है और ऐसे में उसकी रीसेल वैल्यू भी नहीं होती है।
- आप दो से तीन ज्वेलर्स के पास जाकर उनके मेकिंग चार्जेस पता कर सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि किसी जगह पर मेकिंग चार्जेस ज्यादा हों और किसी जगह पर ये बहुत कम हों।
- ज्वेलरी में अगर स्टोन्स लगे हैं, तो दुकानदार से असल सोने का वजन भी पूछें और स्टोन्स का वजन अलग से नापें। ऐसा करने से आपको यह पता चलेगा कि रीसेल करने पर सोने की वैल्यू आखिर कितनी होगी।
अगर आप गोल्ड ज्वेलरी खरीद रही हैं, तो 22 कैरेट तक का दाम दिया जा सकता है, लेकिन ऐसी कोई भी ज्वेलरी जिसमें स्टोन्स लगे हों उसे 14 या 18 कैरेट में ही खरीदा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टोन वाली ज्वेलरी को होल्ड करने के लिए मिलावटी सोने की जरूरत होती है। इसलिए अगर आप स्टोन वाली ज्वेलरी ले रही हैं, तो ध्यान दें कि उसमें सोना कितने कैरेट का है।
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