हर बहू को अपनी होने वाली सास से होती हैं ये उम्मीदें  

सास और बहू का रिश्ता अगर शुरुआत में ही बिगड़ गया है, तो इसे संभालने में बहुत समय लग जाता है। कई बार घर आई नई बहू अपनी सास से कुछ कहना चाहती है, लेकिन वो कह नहीं पाती। 

How to deal with mother in law

फिल्मों, टीवी सीरियल और ओटीटी में सास और ननद को विलेन के तौर पर दिखाया जाता है। रीमा लागू जैसी सास को भी फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' में कैकेयी की तरह दिखाया गया था। भले ही सास कितना भी प्यार करे, लेकिन कहीं ना कहीं शुरुआती दौर में बॉन्डिंग स्थापित करने में थोड़ी समस्या होने लगती है। परिवार में रहते हुए लोग हर चीज में एक दूसरे की बात मान लेंगे ऐसा जरूरी नहीं है। सास और बहू के रिश्ते में कुछ ना कुछ बेहतर होने की गुंजाइश बनी रहती है, बस मसला यह है कि ठीक से कम्युनिकेशन हो जाए।

परिवार की समानता और एकता बनाए रखने के लिए परिवार की दो महिलाओं का साथ मिलकर रहना जरूरी है। पर यह भी सही है कि घर में आने वाली नई महिला को अपने ससुराल को लेकर कुछ उम्मीदें हों। हर नई बहू को अपनी सास से इस तरह की उम्मीदें जरूर होती हैं।

सास बहू पर भरोसा जरूर करे

अधिकतर बहुओं को यह समस्या झेलनी पड़ती है कि शुरुआत में ही सास अपने व्यवहार से यह समझाती हैं कि उन्हें भरोसा थोड़ा कम है। यकीनन एकदम से भरोसा होना सही भी नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शुरुआत से ही बहू को यह जताया जाए कि उस पर भरोसा ही नहीं है। शुरुआत से ही तिजोरी की चाबी की उम्मीद किसी बहू को नहीं होती, लेकिन अगर घर के छोटे-मोटे फैसलों में बहुओं की राय भी ली जाए। ऐसा ना हो कि उन्हें हमेशा यह अहसास दिलाया जाए कि वो पराए घर से आई हैं।

mother and daughter in law duo

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बच्चों को संभालने में सास करे बहू की मदद

अगर आप एक आम भारतीय ज्वाइंट फैमिली को देखें, तो बच्चों की जिम्मेदारी हमेशा मां को ही सौंप दी जाती है। भले ही बहू वर्किंग हो, लेकिन घर आने के बाद पूरा समय उसे बच्चों को देना पड़ता है। ऐसे में पति-पत्नी के पास साथ में समय बिताने के लिए बचता ही नहीं है। बहुएं ऐसे मौकों पर अपनी सास से उम्मीद कर सकती हैं कि वो थोड़ा सा ध्यान दें और कुछ देर का आराम उन्हें दे दें। कई बार सास यह सोचती है कि उसकी जिम्मेदारी बेबी-सिट करने की नहीं है, लेकिन अगर कभी-कभी यह सुविधा ले ली जाएगी, तो यकीनन बहू के लिए बहुत अच्छा होगा।

हर तरह का कायदा बहू के साथ लागू ना करें

कई घरों में ये देखा जाता है कि बेटियों के लिए अलग और बहुओं के लिए अलग कायदे होते हैं। बेटी और बहू की बार-बार तुलना करना और बहू पर ज्यादा नियम लगा देना बहुत गलत होगा। सास मां की जगह नहीं ले सकती, लेकिन एक ऐसी सहेली बन सकती है जो भावनाओं को समझ सके। ऐसे में अगर सास बेटी और बहू में हमेशा अंतर करेगी, तो यकीनन घर का माहौल बिगड़ेगा ही।

सास बहू से परफेक्शन की उम्मीद ना रखे

'मेरे बेटे को तो ऐसा खाना खाने की आदत है, मेरा बेटा तो ये करता था, हमारे घर में तो ऐसा होता है...' जैसी कई बातें हैं जो बहुओं को बुरी लग सकती हैं। कोई लड़की अपना घर छोड़कर आपके घर में आई है और आप उसे बिल्कुल परफेक्ट होने की सलाह दें, तो ऐसा नहीं हो सकता कि उसे बुरा ना लगे। कोई भी परफेक्ट नहीं होता है ऐसे में बहू के पास भी थोड़ा रिलैक्स करने की गुंजाइश होनी चाहिए। कोई भी सास अगर अपनी बहू पर बहुत बर्डन डालेगी, तो उसके लिए यह गलत होगा।

mother in law and daughter in law

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बहू के घर वालों की इज्जत करे और बदलाव स्वीकार करे

कई बार घर की कलह का कारण यही होता है कि सास यह मानने को तैयार नहीं होती कि उसकी बहू अलग घर से आई है और उसके रिवाज और तौर-तरीके अलग हो सकते हैं। बहू के लिए एक ऐसा माहौल होना चाहिए जिससे उसकी असहजता थोड़ी कम हो। किसी नए मेंबर के परिवार में आने से दिक्कत तो होगी ही। उसे अपनाने की कोशिश दोनों तरफ से होनी चाहिए।

सास-बहू के रिश्ते को सुधारने की कोशिश अगर दोनों तरफ से हो, तो घर का माहौल बहुत अच्छा हो सकता है। ऐसा नहीं है कि यह जिम्मेदारी किसी एक पक्ष की ही होती है।

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