प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने बेहद संवेदनशील मुकदमे की 40 दिन तक सुनवाई के बाद पिछले 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले पर फैसले आने के मद्देनजर देशभर में कानून व्यवस्था चाक-चौबंद है और सुरक्षा एजेंसियां हाई एलर्ट पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में कहा है कि राम जन्म स्थान पर ASI की रिपोर्ट मान्य है। 12और16 वीं सदी के बीच यहां मस्जिद थी, इस बात के सबूत नहीं मिले।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन रामलला की है और मुस्लिमों को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्लॉट दिया जाय। इसके लिए 5 एकड़ की उपयुक्त जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को उपयुक्त स्थान पर दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एएसआई ने इस तथ्य को स्थापित किया कि विवादित ढांचे के नीचे मंदिर था। सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन किया जाएगा और सरकार तीन महीनों के भीतर मंदिर का निर्माण करेगी।
गौरतलब है कि हिंदुओं को मिली भूमि पर नियम लागू होंगे और सरकार इसके लिए योजना बनाएगी। विवादित स्थल का भीतरी हिस्सा ट्रस्ट को सौंपा जाएगा।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ की जमीन उपयुक्त स्थान पर दी जाएगी और इसके लिए केंद्र तीन महीने के भीतर ट्रस्टीज के बोर्ड का गठन करेगा। विवादित भूमि के अधिकार राम जन्मभूमि न्यास के पास रहेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस फैसले का स्वागत किया है।
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