सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को लेकर सरकार और कोर्ट के बीच पिछले कई सालों से चली आ रही भिडंत अब लगभग समाप्त हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को आदेश जारी किया है कि जल्द से जल्द सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का प्रारूप तैयार किया जाए। आदालत ने अपने फैसले में कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बता के महिला सैनिकों को आगे बढ़ने के अवसर से वंचित करना बेहद ही दुखद बात है और इस सोच को बदलना होगा।
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2010 दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि ये आदेश उसी साल लागू हो जाना चाहिए था। दरअसल, वर्ष 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट में महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने को लेकर अपील की गई थी, बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 'महिला सैनिकों को भी पूर्ण अधिकार है कि वो सेना में आगे बढ़ सकें' लेकिन, केंद्र सरकर ने इस पर एतराज जताया था और ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। अब उच्चतम न्यायालय ने इस अपील की सुनवाई करते हुए महिला अधिकारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है।
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न्यूज़ एजेंसी एनआई ने इस खबर को ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि 'सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए 2010 में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है, कि सेना में सभी महिला अधिकारियों को उनकी सेवा के लिए स्थायी कमीशन लागू होगा'। केंद्र ने तर्क दिया था कि स्थायी कमीशन केवल उन महिला अधिकारियों को दिया जाएगा जो 2014 के बाद सेना में शामिल हुई थीं।
Centre's appeal challenging the Delhi High Court's ruling in 2010, for granting permanent commission to women officers in Army: Supreme Court says that the permanent commission will apply to all women officers in the Army in service, irrespective of their years of service. pic.twitter.com/7YcFADXqIc
— ANI (@ANI) February 17, 2020
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आर्मी एजुकेशन कोर, सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स-मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस और इंटेलिजेंस आदि पोस्ट में सेना की महिला अधिकारीयों को स्थाई कमीशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है। महिला सेना अधिकारीयों को सिर्फ युद्ध क्षेत्र छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर तैनाती मिलने का अब रास्ता साफ हो गया है।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने कैप्टन 'तान्या शेरगिल' की उदहारण देते हुए बोले कि 'महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं और आज कंधे से कंधा मिलकर चल रही हैं, ऐसे में उनकी शारीरिक क्षमता को देखकर उन्हें दरकिनार करना अनुचित है, उन्हें भी समान अधिकार मिलने का हक है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कैप्टन 'तान्या शेरगिल' भारतीय सेना की ऐसी पहली महिला अधिकारी हैं जिन्होंने आर्मी परेड डे में पुरुष दल का नेतृत्व किया था।
Supreme Court says, the permanent commission will apply to all women officers in the Army in service, irrespective of their years of service. Indian Army's Lt. Colonel Seema Singh says, "This is a progressive and historical judgement. Women should be given equal opportunities ". pic.twitter.com/bPnbLkHrD6
— ANI (@ANI) February 17, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनते हुए केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई। फटकार लगते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा, 'लिंग आधारित मानसिकता पर सभी को अब सोच बदलने की ज़रूरत है और महिला अधिकारियों की आकांक्षाएं और उनके संघर्ष पर ध्यान देने की ज़रूरत है'।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कई महिला अधकारियों ने खुशी जाहिर की है और कई ने इसे अपनी जीत बताया है। इस फैसले के बाद कई राजनीतिक दलों ने भी इसे बड़ी जीत और फैसला बताया है। वहीं फैसले के बाद ट्विटर पर कई लोगों ने इसका स्वागत किया और इसे फ्री फॉर Gender equality का नारा दिया है।
Image Credit: ANI
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