Two Finger Test: सुप्रीम कोर्ट का फैसला महिलाओं के आत्म-सम्मान की ओर एक निर्णायक कदम है

चलिए जानते हैं 2 फिंगर टेस्ट क्या है, जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निंदा की है।  

supreme court decision on two finger test

यूं तो हम आए दिन लोगों को महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बात करते सुनते हैं लेकिन वास्तविक सच्चाई को नजरअंदाज करना भी गलत होगा। सच यह है कि आज महिलाओं को सड़क पर चलते वक्त कई तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ता है जिसमें से एक रेप भी है।

गौर करने वाली बात तो तब आती है जब रेप पीड़िताओं को 2 फिंगर टेस्ट कराने को कहा जाता है। शायद आप ना जानते हों लेकिन कई बार रेप पीड़िताओं को 2 फिंगर टेस्ट भी कराया जाता है और इस टेस्ट के नकारात्मक पक्ष पर समय-समय पर चर्चाएं की जाती रही हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे लेकर नाराजगी व्यक्त की है। चलिए पहले यह समझते हैं कि 2 फिंगर टेस्ट क्या है?

क्या होता है 2 फिंगर टेस्ट ? (What is 2 Finger Test)

what is  finger test

इस टेस्ट में पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी के बारे में जानने की कोशिश की जाती है। टेस्ट लेकर यह समझने की कोशिश की जाती है कि पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए है या नहीं। 2018 में यूएन और डब्ल्यूएचओ ने भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए 'टू-फिंगर टेस्ट' पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। डब्ल्यूएचओ का यह भी मानना है कि 2 फिंगर टेस्ट वर्जिनिटी चेक नहीं कर सकता है।

इसे भी पढ़ेंःSC On Abortion: बलात्कार की श्रेणी में आया मैरिटल रेप, हर महिला को मिला अबॉर्शन का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट में जताई नाराजगी

  • कोई भी नियम बनाने का तब तक फायदा नहीं है जब तक उसे लागू ना किया जाए। टू-फिंगर टेस्ट के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है जिसको सुप्रीम कोर्ट ने बहुत गलत बताया है।
  • जस्टिस चंद्रचूड़ और हेमा कोहली की पीठ ने फैसला में कहा कि दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामलों में 'टू-फिंगर टेस्ट' के इस्तेमाल गलत है। कोर्ट ने कहा कि इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
  • कोर्ट का कहना है कि जो भी इस टेस्ट को लेता है उसे दोषी ठहराया जाएगा। इस फैसले की बाद से 2 फिंगर टेस्ट विद्यार्थियों के स्टडी मैटेरियल से भी हटा दिया जाएगा।

पितृसत्तात्मक सोच दिखाता है यह टेस्ट

किसी भी महिला के साथ रेप के बाद उसी का टेस्ट करना किसी भी कीमत पर एक सही स्टेप नहीं है। यही कारण है कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी कहा कि यह टेस्ट "सेक्शुअली एक्टिव महिला का बलात्कार नहीं हो सकता" जैसी मानसिकता को दिखाता है। ना सिर्फ सोच बल्कि शारीरिक रूप से भी इस टेस्ट को देना एक महिला को पुन: पीड़ित करने के सामान है।

बैन के बाद भी ये टेस्ट बताता है हमारे समाज की सच्चाई

इस टेस्ट पर 2013 में ही बैन लग चुका है लेकिन बावजूद इसके कई घटनाओं में हमने इस टेस्ट का जिक्र होते सुना है। ऐसा होना गलत है इसलिए सुप्रीम कोर्ट में अपना फैसला सुनाया है।

अभी और राह है बाकी

sc on women  finger test

2 फिंगर टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई टिप्पणी काफी सराहनीय है। हालांकि कुछ प्रश्न भी हैं जो खड़े होने लाजमी हैं। 2013 में बैन लगने के बाद भी इस टेस्ट का होना साफ दिखाता है कि महिलाओं के लिए अभी भी एक लंबी राह बाकी है।

इसे लेकर खुश हुआ जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट समाज में होने वाले इस तरह के अपराध के बारे में सोचता है, लेकिन अगर बैन के 9 साल बाद भी इस तरह की चर्चा हो रही है तो ये समझने वाली बात है कि आखिर मामला कितना गंभीर है।

महिलाओं को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देने वाला ये टेस्ट अभी भी मेडिकल कोर्स का हिस्सा है और इसको लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने बताया है। ये सही नहीं है और इसके बारे में और कड़े कदम उठाने चाहिए।

इसे भी पढ़ेंःक्या हैं अबॉर्शन के कानूनी पेंच, जानिए इससे जुड़े नियम

बेटी, मां, बहन या किसी भी रूप में मौजूद महिला का सम्मान करना जरूरी है। महिलाओं को बराबरी की नजर से देखने के लिए जरूरी है कि 2 फिंगर टेस्ट जैसी सारे बिंदुओं पर बारीकी से काम किया जाए। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा? यह हमे इस आर्टिकल के कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Photo Credit: Freepik

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP