मंगलसूत्र और स्त्रीधन पर चुनावी जंग के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, महिलाओं को जरूर जाननी चाहिए 'स्त्रीधन' से जुड़ी ये बातें

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने एक फैसले में स्त्रीधन पर पूरी तरह से सिर्फ महिलाओं का अधिकार बताया है। मंगलसूत्र और स्त्रीधन की चुनावी चर्चा के बीच, यह फैसला सुर्खियों में है।

Supreme Court recent Verdict about Stridhan

Supreme Court Verdict on Stridhan: लोकसभा चुनाव के बीच मंगलसूत्र और स्त्रीधन, इन दिनों चर्चा में बने हुए हैं। मोदी सरकार और विपक्ष के बीच हो रही जुबानी जंग में, ये दोनों ही शब्द बार-बार सुनाई दे रहे हैं। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसला सुनाया है, जिसमें स्त्रीधन को पूरी तरह से महिलाओं का हक बताया गया है। आखिर स्त्रीधन क्या है, यह दहेज से किस तरह अलग है, किस मामले में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है और क्यों यह शब्द हाल-फिलहाल में चर्चा में बना हुआ है, चलिए आपको बताते हैं।

स्त्रीधन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन से जुड़े एक मामले में फैसला सुनाते हुए स्त्रीधन पर पूरी तरह से महिला का अधिकार बताया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि किसी भी महिला का स्त्रीधन पूरी तरह से उसकी सम्पत्ति है और उसे अपनी मर्जी से खर्च करने का महिला के पास पूरा अधिकार है। पति का किसी भी महिला के स्त्रीधन पर कोई हक नहीं है। अगर पति किसी मुश्किल में होता है, तो वह अपनी पत्नी की रजामंदी से स्त्रीधन को इस्तेमाल तो कर सकता है, लेकिन बाद में उसे पत्नी को वापस करना उसकी जिम्मेदारी है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

अदालत ने यह भी साफ किया कि स्त्रीधन, पति और पत्नी की साझा सम्पत्ति नहीं है और इस धन पर पति का कोई मालिकाना हक नहीं है। शादी से पहले, शादी के वक्त और विदाई के समय या उसके बाद, महिला को मिली सभी संपत्ति, उसका स्त्रीधन है। वह इसका अपने मनमुताबिक इस्तेमाल कर सकती है।

किस मामले में कोर्ट ने सुनाया यह फैसला?

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यह केस केरल की एक महिला का था। महिला ने दावा किया था कि शादी के वक्त उसके परिवार की ओर से सोने के सिक्के, गहने और 2 लाख रुपये का चेक मिला था जिसे उसके पति और सास ने अपनी उधारी चुकाने में खर्च कर दिया। पहले यह मामला 2011 में फैमिली कोर्ट पहुंचा और फिर इस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। लेकिन, हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि महिला अपने आरोपों को साबित करने में सक्षम नहीं है। इसलिए, वह नुकसान की भरपाई का हक नहीं रखती है। बाद में, महिला ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए, स्त्रीधन पर पूरी तरह से महिला का अधिकार बताया। साथ ही, महिला के पति को, उसे 25 लाख रुपये देने का निर्देश भी दिया।

क्या होता है स्त्रीधन?

अगर आपके मन में भी यह सवाल घूम रहा है कि स्त्रीधन क्या होता है, तो चलिए आपको आसान भाषा में इसका मतलब समझाते हैं। इस बारे में हमने, सिद्धार्थ चंद्रशेखर, एडवोकेट, बॉम्बे हाईकोर्ट, से बात की और उन्होंने बताया, "स्त्रीधन शब्द संस्कृत से लिया गया है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है-स्त्री और धन। स्त्री का मतलब महिला और धन यानी की पैसे या फिर संपत्ति। इसके अंदर, उपहार, पैसे या कोई भी अन्य कीमती चीजें आती हैं, जो महिला को उसके माता-पिता, रिश्तेदार या शादी के वक्त या बच्चे के जन्म के वक्त, ससुराल वालों से मिलती हैं। स्त्रीधन पर पूरी तरह से सिर्फ महिला का हक है। वह चीजें उसे किसने दी हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर पति या कोई भी परिवार का सदस्य, उससे इन चीजों को लेता है, तो उसे इन्हें महिला को वापस करना पड़ेगा। यह महिलाओं को सशक्त करने और फाइनेंशियल सिक्योरिटी देने का एक तरीका है।"

स्त्रीधन से जुड़े कानून

What is Stridhan

महिलाओं को, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27 के तहत स्त्रीधन का हक मिला है। कानून के अनुसार, महिला को अपनी मर्जी से स्त्रीधन को बेचने, खर्च करने यहां तक कि दान करने का पूरा अधिकार है। घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 में भी महिलाओं के पास स्त्रीधन का अधिकार है। अगर महिला चाहे तो घरेलू हिंसा की शिकार होने पर वे स्त्रीधन वापस ले सकती है। अगर ससुराल वाले महिला का स्त्रीधन अपने पास रख लेते हैं और उसे मांगने पर नहीं देते हैं, तो महिला उनके खिलाफ कानूनी मदद भी ले सकती है। स्त्रीधन, दहेज से पूरी तरह अलग है। दहेज मांग कर लिया या दिया जाता है। लेकिन, स्त्रीधन महिला को मायके या ससुराल की तरफ से, स्नेह में दी गई चीजें हैं।

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क्यों हो रही है स्त्रीधन की चर्चा?

राजस्थान में एक चुनावी जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा था कि उनकी सरकार में यह कहा गया था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का मेनिफेस्टो यह कहता है कि अगर वे सत्ता में आए तो मां-बहनों के पास जो सोना है, उसका भी हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे। मोदी जी ने अपने भाषण में कहा कि ये हमारी मां-बहनों का मंगलसूत्र तक नहीं बचने देंगे...ये यहां तक जाएंगे। इसी के बाद से, मंगलसूत्र और स्त्रीधन चर्चा में बना हुआ है।

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