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Holika Dahan Katha 2025: आज होलिका दहन के दिन पढ़ें ये कथा, सभी दोषों से मिल सकता है छुटकारा

होली से पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। होलिका दहन की कथा तो सब जानते हैं लेकिन इस कथा में छिपी देवी की महिमा के बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।   
Editorial
Updated:- 2025-03-13, 15:12 IST

आज होलिका दहन है। होलिका दहन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।  यह त्योहार भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की कहानी से जुड़ा हुआ है। होलिका, हिरण्यकशिपु की बहन थी, जिसने प्रह्लाद को आग में जलाने की कोशिश की थी, लेकिन वह खुद जल गई। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है।

आपको बता दें,  होलिका दहन से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भाई के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी लेकिन प्रहलाद के बदले होलिका का ही दहन हो गया।

इस कथा के बारे सभी लोग जानते हैं। अब ऐसे में अगर आप आज होलिका की पूजा कर रहे हैं तो इस दौरान कथा भी जरूर सुननी चाहिए। 

साथ ही, हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको ये भी बताएंगे कि होलिका दहन की पूजा से व्यक्ति को क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं। 

होलिका दहन के दिन पढ़ें ये कथा 

burning of holika signs in hindi

हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) से घृणा करता था क्योंकि श्री हरि विष्णु के वाराह अवतार द्वारा उसके भाई का वध हुआ था। इसी कारण उसने तपस्या कर ब्रह्म देव से दिव्य वरदान मांगा और अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया। 

वह खुद को भगवान मानने लगा था। विष्णु पूजन करने वाले लोगों पर उसका अत्याचार बढ़ने लगा था। वहीं। खुद हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। यह बात जब दुराचारी को पता चली तो उसने प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किये। 

बहन के साथ रचा षड्यंत्र 

हर प्रयास में विफल होने के बाद जब हिरन्यकश्यप थक हार गया तब उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लिया और प्रहलाद को मारने की योजना बनाई। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी और इसी के बल पर वह प्रहलाद को चिता पर लेकर बैठ गई। 

विष्णु भक्त की भक्ति रंग लाइ और प्रहलाद अग्नि में से सुरक्षित बाहर आ गए पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि में जलकर ख़ाक हो गई। इसके बाद से ही होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हुई। अब सवाल ये उठता है कि आखिर होलिका को देवी क्यों माना जाता है। 

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इस तरह बनी होलिका देवी 

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  • जबकि होलिका एक राक्षसी थी और उसने अपने ही भतीजे का अहित करने की कोशिश की थी। तो इसका उत्तर यह है कि होलिका एक देवी थी जो ऋषि द्वारा दिए गए श्राप को भुगत रही थी। मृत्यु के कारण उस जन्म का उसका श्राप पूर्ण हो गया और अग्नि में जलने के कारण वह शुद्ध हो गई। 
  • इसी कारण से होलिका को राक्षसी होने के बाद भी होलिका दहन वाले दिन देवी रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि होलिका दहन वाले दिन अग्नि में एक मुट्ठी चावल (काले चावल के उपाय)डालने से होलिका देवी की कृपा बनी रहती है और कोई भी आपका अहित नहीं कर पाता है। अग्नि के चक्कर लगाने से कष्ट मिट जाते हैं। 

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तो इस तरह एक राक्षसी बनी होलिका देवी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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होलिका दहन की राख का क्या करना चाहिए?
होलिका दहन की राख को आप घर लेकर आएं और वास्तु के अनुसार इसे घर में शुभ दिशा और रोगी शरीर पर इस राख को लगाने से लाभ हो सकता है।
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