जब हम थर्ड जेंडर के बारे में सुनते या बात करते हैं तो इन लोगों को हीन भावना से देखते हैं, ऐसे क्यों किया जाता है? लगभग इसका कारण हम सब जानते हैं। खैर, आज के समय में कई देशों ने एलजीबीटी समुदाय को कानूनी अधिकार दिए है। लेकिन इन अधिकारों के लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन वहीं आज भी कुछ ऐसे देश हैं जहां उन्हें किसी भी तरह के कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं हैं।
जून के इस महीने को प्राइड मंथ के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है। प्राइड मंथ एलजीबीटी समुदाय को समर्पित है। आपने सोशल मीडिया पर जरूर एलजीबीटी समुदाय का कलरफुल फ्लैग देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फ्लैग कैसे बना? इस फ्लैग के लिए इन रंगों का उपयोग क्यों किया गया है। आइए इस लेख में जानते हैं झंडे का इतिहास और इसके बारे में सबकुछ।
आपने सोशल मीडिया पर जरूर एलजीबीटी फ्लैग देखा होगा। इस फ्लैग में कई सारे कलर्स है। झंडे का हर के कलर एलजीबीटी से जुड़े इवेंट्स से संबंधी है। यह इंद्रधनुष की तरह दिखने वाला झंडा एलजीबीटी समुदाय के गर्व से जुड़ा है। आइए जानते हैं फ्लैग के रंग किस चीज को जाहिर करता है। बता दें कि शुरुआत के समय में झंडे में आठ कलर का उपयोग किया था। लेकिन बाद में पिंक और फिरोजी कलर को हटा दिया है। वर्तमान समय में झंडे में केवल 6 ही कलर है।
इस कलरफुल फ्लैग को गिर्ल्बट बेकर ने डिजाइन किया था। वह गे राइट्स ऐक्टिविस्ट और आर्टिस्ट थे। उनके अनुसार झंडा क्रांति का प्रतीक होता है। जब एक बार वह अपने दोस्त के साथ डांस कर रहे हैं, तो उन्हें फ्लैग के कलर का आइडिया आया है। उनके अनुसार फ्लैग का रंग किसी न किसी चीज को दर्शाता हो।
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एलजीबीटी शब्द के बारे में अधिकतर लोगों ने सुना होता है लेकिन लोगों को इसके फुल फॉर्म की जानकारी नहीं होती है। जिसकी वजह से वह इस समुदाय के लोगों में फर्क नहीं समझ पाते हैं। आइए जानते हैं क्या है एलजीबीटी? और इसका मतलब
प्राइड मंथ जून में सेलिब्रेट किया जाता है। ऐसे में अक्सर लोगों के जहन में सवाल आता है कि आखिर जून में ही क्यों प्राइड मंथ बनाया जाता है। दरअसल 28 जून 1969 की हिंसक दिन की याद में प्राइड मंथ सेलिब्रेट किया जाता है। बता दें कि इस मंथ में एलजीबीटी समुदाय के उन लोगों को याद किया जाता है जिन्हें हेट क्राइम की वजह से खो दिया।
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साल 2000 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पहली बार प्राइड मंथ की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। लेकिन इस मंथ की कहानी काफी पुरानी है। दरअसल 1969 में जून के महीने में मैनहट्टन ने स्टोनवॉल इन में पुलिस ने समलैंगिक समुदाय पर छापेमारी शुरू कर दी है। इसके अलावा पुलिस समलैंगिक लोगों को मारती थी इसके अलावा उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता था। एलजीबीटी समुदाय लोगों को किसी भी तरह के अधिकार प्राप्त नहीं थे। पुलिस के द्वारा समलैंगिक पर किए गए अत्याचार ने अगले साल एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया। (एलजीबीटी पर बनी बॉलीवुड फिल्म)
प्राइड मंथ की शुरुआत भले ही अमेरिका में हुई। मगर आज यह कई देशों में फैल चुका है। कई देशों में प्राइड मंथ के दौरान सड़क पर परेड की जाती है। वहीं इस मंथ को सेलिब्रेट करने के लिए एलजीबीटी समुदाय को लोग पार्टी का आयोजन करते हैं।
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