Diwali 2020 : दिवाली के दिन अमावस्या तिथि का क्या है महत्त्व

दिवाली का पर्व अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, आइए जानें इस पर्व को अमावस्या तिथि के दिन मनाने के कारणों के बारे में। 

amawasya tithi in diwali main

आमतौर पर त्यौहार पूर्णिमा की तिथि को मनाये जाते हैं, लेकिन दिवाली का त्यौहार अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म के सबसे ज्यादा पवित्र त्योहारों में से एक है। अमावस्या प्रत्येक माह का 15 वां दिन होता है और सौर कैलेंडर के अनुसार, यह महीने का 30 वां दिन होता है। आमतौर पर अमावस्या तिथि को शुभ नहीं माना जाता है और इस दिन किसी भी तरह का कोई शुभ काम भी नहीं किया जाता है। अमावस्या की रात अंधेरी रात होती है। इसलिए अमावस्या के दौरान, हर जगह अंधेरा होता है। लेकिन अमावस्या के दिन दिवाली भव्य रूप से मनाई जाती है। ऐसा महत्वपूर्ण दिन अमावस्या तिथि को क्यों मनाया जाता है आइए जानें -

क्या है अमावस्या तिथि का महत्त्व

amawasya tithi deeya lit

दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को होती है। यह पांच दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसमें अमावस्या पर दिवाली मनाने का विशेष महत्व है। वैसे तो कार्तिक माह के प्रत्येक दिन और त्यौहार का कुछ विशेष महत्व होता है। लेकिन दिवाली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर में एक नए चंद्र वर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दिन, ग्रहों की स्थिति बहुत अनुकूल बताई जाती है, क्योंकि सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के साथ पूर्ण संरेखण में होते हैं। अन्य अमावस्याओं के विपरीत, यह दिन किसी भी नए व्यापारिक उपक्रम को शुरू करने या किसी भी नए कीमती सामान को खरीदने के लिए अधिक शुभ माना जाता है। दिवाली के समय, सूर्य और चंद्रमा का तुला नक्षत्र में प्रवेश होता है जो अत्यंत लाभकारी होता है। तुला राशि दीपावली के लिए अत्यंत शुभ राशि है जो व्यापार और पेशेवर जीवन को नियंत्रित करती है। अमावस्या तिथि, दिवाली को व्यवसायों के लिए बहुत शुभ बनाती है। इसीलिए कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या दूसरे महीनों में पड़ने वाली अमावस्या तिथि से बिलकुल अलग होती है। यही वजह है कि इस तिथि को दिवाली के रूप में दीये प्रज्ज्वलित करके और अन्धकार को दूर करके, धूम-धाम से मनाने का विधान है।

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दीपावली के दौरान होता है मां लक्ष्मी का पूजन

lakshmi pujan in diwali

आमतौर पर अमावस्या की तिथि को अशुभ माना जाता है, लेकिन शास्त्रों और हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार दीपावली की अवधि में आने वाली अमावस्या को उदार और समृद्धि-श्रेष्ठ माना गया है। दीपावली के दौरान श्री महालक्ष्मी की पूजा करने का विधान है । ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात यानी अमावस्या तिथि पर श्री लक्ष्मी आधी रात को सज्जनों के घर आती हैं। श्री लक्ष्मी जी की पूजा श्री गणेश भगवान के साथ विशेष रूप से की जाती है जो सभी विकारों से मुक्ति का मार्ग है।

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इस समय अंधेरे की ऊर्जाएं होती हैं मजबूत

lamp lit

दिवाली की अमावस्या का समय ऐसा समय होता है जब अंधेरे की ऊर्जाएं सबसे मजबूत होती हैं, एक और कारण है कि अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। यह वह दिन होता है जब सूर्य अपनी सबसे कमजोर स्थिति में होता है और चंद्रमा अपने शक्तिशाली पावक के बिना होता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों और ऋषि मुनियों की कथाओं के अनुसार दिवाली के दिन अमावस्या तिथि के दौरान पूजा करने से किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर किया जा सकता है। मान्यतानुसार अच्छी शक्तियां खुद को उस जगह पर बनाए रखती हैं जहां दिव्य प्रार्थना और प्रकाश होता है। इसलिए, सभी पूजा और दीपक की रोशनी इन बुरी ताकतों के प्रभावों का मुकाबला करने और अच्छी ताकतों को बढ़ावा देने के लिए की जाती है। यही कारण है कि त्योहार के दौरान प्रकाश पर भारी जोर दिया जाता है जिससे अन्धकार को दूर भगाया जा सके।

इस तरह अमावस्या तिथि में दिवाली के पर्व का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस पर्व को अन्धकार में प्रकाश की जीत का पर्व माना जाता है।

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Image Credit: freepik

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