herzindagi
significance and history of bihar chhath puja

Chhath Puja 2024: इस राज्य से शुरू हुई छठ पूजा की परंपरा, माता सीता से है खास रिश्ता

हिंदू धर्म में छठ पूजा का महपर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पर्व सौभाग्य का कारक माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है अब ऐसे में इस पर्व से माता सीता का रिश्ता क्या है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-10-25, 08:30 IST

छठ पूजा सभी व्रतों में सौभाग्यशाली और शुभता का कारक माना जाता है। इस दिन छठी मैया के साथ-साथ सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। छठ पूजा का व्रत बेहद कठिन होता है। यह व्रत निर्जला रखी जाती है। इस पर्व का आरंभ नहाय-खाय के साथ होता है और सूर्यदेव को सुबह अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से जातक की सभी परेशानियां दूर होती है और मनोकामनाएं पूरी होती है। छठ पूजा केवल व्रत ही नहीं, बल्कि व्रती के आस्था और समर्पण का भी कारक माना जाता है। अब ऐसे में छठ पूजा का पौराणिक मान्यता क्या है और इस महापर्व की शुरूआत कैसे हुई। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

छठ महापर्व की शुरूआत कैसे हुई?

chhathi-maiya-ke-bare-mein (1)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सीता ने सबसे पहले छठ पूजा की शुरूआत की थी। माता सीता ने छठ पूजा सबसे पहले मुंगेर में गंगा तट पर संपन्न किया था। जिसके बाद महापर्व छठ पूजा की शुरूआत हुई। यह पर्व विशेष रूप से बिहार में मनाई जाती है। साथ ही अब सभी राज्यों में मनाई जा रही है। मुंगेर में छठ पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम और माता सीता वनवास पर थे। तभी माता सीता ने मुंगेर में इस महापर्व को संपन्न किया था। आपको बता दें, आज भी माता सीता के चरण इस स्थान पर मौजूद हैं।

इसे जरूर पढ़ें - Chhath Puja 2024 Kab Hai: कब से शुरू है छठ पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और सूर्य अर्घ्य का महत्व

वाल्मिकी और आनंद रामायण के अनुसार, मुंगेर में माता सीता ने छह दिन तक छछ पूजा की थी। आपको बता दें, प्रभु श्रीराम जब 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो रावण वध के पाप से मुक्ति के लिए ऋषि-मुनि के कहने पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया गया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुग्दल ऋषि ने प्रभु श्रीराम और माता सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया था । जिसके बाद मुग्दल ऋषि ने माता सीता को सूर्यदेव की उपासना करने को कहा।

mata-sita-birth-story-in-hindi

इसे जरूर पढ़ें - छठ पूजा से जुड़ी ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, हर सवाल का जवाब यहां जानें

उसके बाद मुग्दल ऋषि के कहने पर प्रभु श्री राम और माता सीता मुंगेर आए और यहां ऋषि के आदेश पर कार्तिक मास की षष्ठी तिथि पर सूर्यदेव की उपासना की। यही नहीं, आज भी मुंगेर में सूप, डाला और लोटा के निशान हैं। जो इस पर्व का प्रमाण हैं।

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- HerZindagi

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।