Shardiya Navratri 2022: माता की चौकी हटाने के लिए शुभ दिन और नियम जानें

अगर आप शारदीय नवरात्रि में माता की चौकी घर पर सजा रही हैं, तो इसे उचित तरीके से हटाने के नियम भी जान लेने चाहिए। 

 

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हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। आश्विन महीने में पड़ने वाला ये पर्व पूरे नौ दिनों तक बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसका समापन दशहरा में रावण दहन के साथ हो जाता है। लोग इन नौ दिनों में माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित करते हैं।

यही नहीं घर और मंदिरों में माता की चौकी सजाने की प्रथा भी लंबे समय से चली आ रही है। लोग घर में माता की तस्वीर के साथ कलश स्थापना करते हैं और कलश के प्याले में जाऊ उगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जौ जितने हरे होकर बढ़ते हैं उतनी ही घर में खुशहाली आती है।

माता की चौकी सजाने और इसे निश्चित दिन को हटाने के ज्योतिष में कुछ नियम बनाए गए हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया से जानें माता को प्रसन्न करने के लिए किस दिन चौकी हटानी चाहिए और कलश का क्या करना चाहिए।

कब लगाई जाती है माता चौकी

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जो लोग घर में माता को प्रसन्न करने के लिए चौकी सजाते हैं वो इसकी स्थापना प्रतिपदा के दिन से करते हैं। इसके पास में कलश स्थापित किया जाता है उसमें नारियल रखा जाता है। चौकी के पास में ही अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है जो पूरे नौ दिनों तक या चौकी के विसर्जन तक जलाए रखी जाती है। नौ दिनों तक सच्ची श्रद्धा से माता का पूजन करने के बाद भक्तों को माता की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।

माता की चौकी हटाने का शुभ दिन

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मान्यता है कि नवरात्रि व्रत का पूर्ण फल तभी मिलता है जब इसका सही तरीके से पालन किया जाता है और संकल्प अनुसार व्रत पूरा करके इसका पारण किया जाता है। नौ दिनों तक व्रत करने के बाद चौकी के पास ही कन्या पूजन किया जाता है और उसके बाद ही माता की चौकी हटाना उचित होता है। माता की चौकी को नवरात्रि के पहले दिन स्थापित करके दशमी तिथि यानी दशहरा के दिन हटाना सही माना जाता है।

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माता की चौकी हटाने के नियम

नवरात्रि में कन्या पूजन के बाद सही तरीके से माता की चौकी हटाने का नियम है। कलश के नारियल और चावल का भी सही तरह से प्रयोग होना चाहिए। मान्यता यह भी है कि दशमी तिथि के दिन ही दुर्गा विसर्जन किया जाना चाहिए। नवरात्रि के नौ दिनों तक घर में बेहद ही शुभ योग बनता है, इसी वजह से माता की चौकी को 9 दिनों तक स्थापित करने के बाद दसवें दिन मां का विसर्जन किया जाता है। कलश के नीचे रखे गए चावल और अन्य सामग्रियों को माता दुर्गा की मूर्ति के साथ ही विसर्जित कर देना चाहिए।

कलश के चावल, नारियल और जल का क्या करें

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कलश में रखे चावलों को आप पक्षियों को खाने को दे सकती हैं। एक और विकल्प है किसी पवित्र वृक्ष जैसे पीपल, आंवला, बरगद आदि के समीप की मिट्टी में चावल के दाने दबा दें। जो नारियल चौकी पर रखे कलश के साथ होता है उसे प्रसाद के रूप में कन्याओं में बांटें और परिवार समेत ग्रहण करें।

आम के पत्तों से कलश के जल को अपने घर के चारों कोनों और सभी सदस्यों के ऊपर छिड़कें। आप प्रसाद के रूप में भी जल की ग्रहण करें। मान्यता है कि कलश के भीतर 9 दिनों तक माता लक्ष्मी का वास होता है। कलश के जल को सबसे पहले रसोई घर में छिड़कें, उसके बाद शयन कक्ष में, तत्पश्चात पूरे घर और अंत में घर के प्रवेश द्वार पर छिड़कें। याद रखें कि ये जल बाथरूम में न डालें।

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कलश के सिक्के का क्या करें

जो सिक्का कलश में डाला जाता है , उसको अपनी तिजोरी में रख लें। कलश पर बंधे कलावे को अपने हाथ पर बांध सकते हैं या गले में पहन सकते हैं। यह देवी का सिद्ध रक्षा कवच कहलाता है जो हर मुसीबत से रक्षा करता है।

माता की चौकी हटाने के लिए आप सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान ध्यान से मुक्त हो जाएं और इसके बाद मां दुर्गा की पूजा करते हुए अपनी भूल की माफ़ी मांगें। यदि आप हवं कर रही हैं तो नवमी के दिन हवन करने के बाद उस हवन सामग्री के साथ जौ, मिट्टी और पूजा संबंधी सभी सामग्री को किसी नदी में प्रवाहित करे दें।

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Image Credit: unsplash.com

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