शारदीय नवरात्रि में पूरे 9 दिनों में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से लेकर आखिरी दिन यानी कि नौवें दिन मां सिद्धिदात्री के पूजन से माता की आराधना पूर्ण की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि मां के विभिन्न स्वरूपों का पूजन विशेष फल देता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। शारदीय नवरात्रि इस साल 26 सितंबर को आरंभ होकर 4 अक्टूबर को समाप्त होगी। इसके बाद दशहरा का पर्व 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है और इस बार यह तिथि 2 अक्टूबर को पड़ेगी। इस दिन माता के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें आप किस विधि से माता के इस रूप का पूजन कर सकती हैं जिससे शुभ फलों की प्राप्ति हो सके।
महागौरी की पूजा विधि
- अष्टमी तिथि की पूजा बाकी के नवरात्रि की अन्य तिथियों की तरह ही की जाती है।
- जिस तरह सप्तमी तिथि को माता की शास्त्रीय विधि से पूजा की जाती है, उसी तरह अष्टमी तिथि की पूजा भी करनी चाहिए।
- इस दिन मां के कल्याणकारी मंत्र ओम देवी महागौर्यै नम: मंत्र का जप करें और माता को लाल चुनरी अर्पित करें।
- जो लोग इस दिन कन्या पूजन कर रहे हैं, वह भी कन्याओं को लाल चुनरी चढ़ाएं।
- सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और फिर माता की तस्वीर या मूर्ति पर सिंदूर व अक्षत चढ़ाएं।
- साथ ही मां दुर्गा का यंत्र रखकर उसकी भी इस दिन पूजा करें।
देवी महागौरी की पूजा का महत्व
शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन देवी की पूजा मूल भाव को दिखाती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मां के 9 रूपों और 10 महाविद्या सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं।
लेकिन महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी हमेशा विराजमान रहती हैं। महा गौरी को भगवान् शिव की पत्नी के रूप में और आदि शक्ति के रूप में भी पूजा जाता है। इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है।
दुर्गा सप्तशती के अनुसार, शुंभ निशुंभ से पराजित होने के बाद देवताओं ने गंगा नदी के तट पर देवी महागौरी से ही अपनी सुरक्षा की प्रार्थना की थी। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है।
इसे जरूर पढ़ें: Shardiya Navratri 7th Day 2022: नवरात्रि के सांतवे दिन ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, घर में आएगा सौभाग्य
देवी महागौरी के लिए भोग
अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाना फलदायी होता है। भोग (नवरात्रि के भोग)लगाने के बाद नारियल को ब्राह्मण को दे दें और प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें। मान्यता है कि नारियल का भोग लगाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
देवी महागौरी के मंत्र
ऐसी मान्यता है कि माता गौरी के इस स्वरूप का पूजन कुछ मन्त्रों के जाप के साथ करना चाहिए। मन्त्रों का जाप आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। अगर आप घर की सुख समृद्धि बनाए रखना चाहती हैं तो यहां बताए मंत्र आपके लिए फलदायी हो सकते हैं।
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इस प्रकार यदि आप अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी का पूजन करती यहीं तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है और मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
images credit: unsplash.com, freepik.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों