हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का महत्व बहुत अधिक है। लोग इस पर्व को त्योहार की तरह मनाते हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। कई लोग शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है तो यह व्रत करके आप उसे पूर्ण कर सकते हैं। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने आती है। मगर, शरद पूर्णिमा का धर्मिक महत्व अलग ही है। अगर ज्योतिषों और पंडितों की मानें तो इस पूर्णिमा पर चांद अपने 16 कलाओं से परीपूर्ण हो धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इस दिन भगवान चंद्रमा के साथ देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं इस दिन चंद्रमा को खीर का भोग लगाया जाता है और चंद्रमा भोग ग्रहण कर उसमें अमृत गिराता है। पूरे साल में यह केवल एक ही दिन शरद पूर्णमा के दिन ही होता है।
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कब है शरद पूर्णिमा और क्या है शुभ मुहुर्त
इस वर्ष भी शरद पूर्णिमा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की 13 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा रात 12 बज कर 36 मिनट में लगेगी और 14 अक्टूबर 2 बजकर 38 मिनट तकर रहेगी। 13 तारीख को चंद्रमा 5 बजकर 26 मिनट पर नजर आएगा और चंद्रमा के दिखने के बाद से आप कभी भी खीर में अमृत गिराने की परंपरा को निभा सकते हैं।
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कैसे करें पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन यदि आप विधि विधान से पूजा करते हैं तो देवी लक्ष्मी आप पर धन की बारिश करती हैं। शरद पूर्णिमा पर पूजा कैसे की जाती है यह हमें ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री बता रहे हैं, ‘ आपको सुबह सूर्य उदय से पूर्व स्नना करके ईश्वर के आगे व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिन में शुद्ध गाय के दूध का निकला घी का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है। आपको शाम के वक्त देवी लक्ष्मी की पूजा कर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए और खीर का प्रसाद लगाना चाहिए। इस खीर को खा कर आपको उपवास खोलना चाहिए। इसके साथ ही आपको
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ऐसे लगाएं खीर का भोग
इस दिन चंद्र देव को खीर का भोग लगाने का रिवाज है। हर घर में इस दिन खीर बनाई जाती हैं चंद्रमा के नीचे रख दी जाती है। कहते है कि इस दिन च्रंद देव खीर में अमृत की वर्षा करते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं, ‘ इस दिन व्रत रख कर आपको घर में विधि-विधान से लक्ष्मीनारायण का पूजन करना चाहिए। इसके बाद जिस तरह से आप नॉर्मल खीर बनाती हैं। वैसी ही खीर बनाकर रात में जब चंद्रमा उदित हो तो खुले आसमान के नीचे रख दें। इस खीर पर चंद्रमा की रोशनी पड़नी चाहिए। आप रात भर खीर को इसी तरह एक जाली या कपड़े से ढक कर खुले आसमान के नीचे रखे रहने दें। देवी लक्ष्मी पर विशवास करते हैं तो उनसे जुड़े इन प्रश्नों के उत्तर जरूर दें
सुबह उठ कर आप सबसे पहले यह भोग ग्रहण करें और व्रत खोलें। फिर तीन ब्राह्मणों या कन्याओं को प्रसाद रूप में इस खीर को दें और अपने परिवार में खीर का प्रसाद बांटे। इस खीर को खाने से अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।’
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