समाज में यौन शोषण करने वाले मुख्य रूप से काफी ज्यादा हैं। ये हर उम्र और जेंडर के लोगों को झेलना पड़ता है, लेकिन टीनएजर्स इसके शिकार ज्यादा होते हैं। यौन शोषण से न सिर्फ फिजिकल ट्रॉमा होता है बल्कि इसके कारण मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी बहुत असर पड़ता है। टीनएज जिंदगी का वो समय होता है जब कई तरह से इंसान का विकास होता है। ऐसे में सही मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बहुत जरूरी है ताकि जिंदगी पॉजिटिव तरीके से बीते। पर दुर्भाग्यवश इस उम्र में शोषण झेलना जिंदगी में मानसिक तनाव का बहुत बड़ा कारण बन जाता है। अगर इसके विक्टिम्स को जल्दी पहचान कर उन्हें इस तनाव से निकालने की कोशिश न की जाए तो ये सिर्फ टीनएज तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि ये पूरी जिंदगी पर असर डाल सकता है।
यौन गतिविधियों के लिए टीनएज एक नाजुक उम्र मानी जाती है। हार्मोनल बदलाव के कारण टीनएज में इसान के अंदर कई तरह की भावनाएं होती हैं। टीनएज में बच्चों को ये समझ नहीं आता कि उनके अंदर क्या हो रहा है। ऐसे समय में कोई बाहर वाला व्यक्ति उनका फायदा उठा सकता है। ये चीज़ें इतनी जल्दी हो जाती हैं कि स्तिथि का जायजा लेना और उसपर रिएक्शन देना मुमकिन नहीं होता। टीनएज में लोगों को यौन शिक्षा नहीं होती है और ऐसे समय में वो आसानी से यौन गतिविधियों का शिकार हो सकते हैं। जबरदस्ती के समय कई बार तो टीनएजर्स संदेहात्मक स्थिति में होते हैं।
फिजिकल ट्रॉमा के अलावा, मानसिक चोट भी बहुत असर डालती है। इसके कई असर हो सकते हैं जैसे-
- डिप्रेशन
- अनिद्रा की बीमारी
- लोगों के बीच जाने का डर
- एंग्जाइटी
- बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स
- खाने-पीने से जुड़ी कोई परेशानी
- आत्म सम्मान में कमी
- अपराधबोध
- ज्यादा गुस्सैल और आक्रामक स्वाभाव
- पढ़ाई में ध्यान न लगा पाना
- डर बना रहना
- शारीरिक चोट
- भावनाओं का मर जाना
- शराब या ड्रग्स की लत लग जाना
- जरूरत से ज्यादा अलर्ट रहना
- मृत्यु और आत्महत्या के बारे में सोचना
- कई तरह की मानसिक समस्याओं का होना
माता-पिता इस समय बहुत जरूरी किरदार निभा सकते हैं वो अपने टीनएजर बच्चे को इस मानसिक प्रताड़ना से निकालने में मदद कर सकते हैं। ये सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि माता-पिता अपने बच्चे पर कितना विश्वास रखते हैं, उसे कितना साहस और आत्मविश्वास देते हैं। ये टीनएजर्स को बंदिशें तोड़ने में मदद करता है। माता-पिता को ये समझना चाहिए कि यौन शोषण जिंदगी का एक बहुत बुरा हिस्सा है जो बच्चे के साथ हो गया है और यकीनन आने वाले समय में भी उसपर असर डाल सकता है।
उन्हें भावनात्मक सपोर्ट देना, दुनिया को दृढ़ निश्चय से देखने के लिए प्रेरित करना, बच्चों को पढ़ाई को लेकर ज्यादा प्रेशर नहीं डालना, सही मेडिकल सपोर्ट देना जब भी इसकी जरूरत हो सभी विक्टिम्स को मदद करेगा कि वो इस तरह के मानसिक दबाव से बाहर आकर जिंदगी पॉजिटिव और आसान तरीके से जी सकें।
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टीनएज में यौन शोषण एक बहुत ही निराशाजनक स्तिथि है, हालांकि अगर सही तरह का सपोर्ट और केयर मिले तो ये बहुत हद तक मुमकिन है कि विक्टिम अपनी तकलीफ को हरा दे और एक नॉर्मल जिंदगी जिए।
डॉक्टर सुप्रिया अरवारी (M.D, D.G.O) को उनकी एक्सपर्ट सलाह के लिए धन्यवाद।
Reference:
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/1818720-psychologic-aspects-of-sexual-abuse-in-adolescence/
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