हिन्दू धर्म में हर एक व्रत त्योहार का अलग महत्व है। ऐसे ही व्रत त्योहारों में से एक है एकादशी का व्रत। ये व्रत मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन विष्णु जी की विधि विधान से पूजा करने का विशेष महत्व है। हर महीने में दो बार एकादशी व्रत होता है,एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। इस प्रकार पूरे साल में 24 एकादशी के व्रत होते हैं।
इन सभी एकादशी के व्रत में मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु पूरे मनोयोग से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इन्हीं एकादशी तिथियों में से एक है भाद्रपद माह में यानी सितम्बर के महीने में पड़ने वाली अजा एकादशी। इस व्रत का हिन्दुओं में विशेष महत्त्व है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजन करने सभी पापों से मुक्ति के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है। आइए नई दिल्ली के पंडित एस्ट्रोलॉजी और वास्तु विशेषज्ञ, प्रशांत मिश्रा जी से जानें इस साल सितम्बर के महीने में कब है अजा एकादशी तिथि और इसका क्या महत्व है।
सितंबर अजा एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
- इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में अजा एकादशी 3 सितंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
- अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त 2 सितंबर 2021, दिन गुरुवार प्रातः काल 6:21 से शुरू होकर 3 सितंबर 2021, शुक्रवार प्रातः काल 7:44 तक।
- पारण का समय 4 सितंबर 2021, शनिवार को सुबह 5:30 से 8:23 AM तक।
- उदया तिथि में एकादशी तिथि 3 सितम्बर को है इसलिए इसी दिन पूजन करना लाभकारी होगा।
सितंबर अजा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार अजा एकादशी का विशेष महत्त्व है। इस व्रत को सीधे दान-पुण्य से जोड़ा जाता है और मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु का माता लक्ष्मी समेत पूजन करना शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस व्रत से तीर्थों में दान-स्नान, तपस्या और यज्ञ आदि करने से मनोकामनाओं को पूर्ति होती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को नियम पूर्वक करता है और विष्णु भगवान का श्रद्धा भाव से पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे कई जन्मों के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से घर में खुशहाली, सुख, समृद्धि आने के साथ आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
अजा एकादशी पूजा विधि
- इस दिन व्रत करने वाले भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर पूजन शुरू करें।
- पूजन के लिए एक साफ़ चौकी में लाल या पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की माता लक्ष्मी (घर में न रखें माता लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर) समेत तस्वीर या मूर्ति रखें।
- विष्णु जी की मूर्ति को शुद्ध गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं।
- स्नान कराने के बाद भगवान को पीले फूल, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं और विष्णु जी को चन्दन का तिलक लगाएं।
- विष्णु जी को तुलसी दल मिलाकर भोग अर्पित करें।
- भोग सभी में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- जो लोग इस दिन व्रत करते हैं उन्हें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
- यदि लोग व्रत न भी करें तब भी इस दिन खाने में चावल का सेवन न करें।
- पीले वस्त्र धारण करके पूजन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
उपर्युक्त तरीकों से अजा एकादशी में विष्णु पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
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