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Janmashtami 2025 Laddu Gopal Panchamrit Abhishek Vidhi: लड्डू गोपाल के पंचामृत स्नान का महत्व और तरीका पंडित जी से जानें

पंडित जी के अनुसार, जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को विशेष स्नान कराने और उनका श्रृंगार करने की खास विधि है। ऐसा करने से साल भर घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
Editorial
Updated:- 2025-08-13, 12:25 IST

हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। यह भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भले ही उनका जन्म मथुरा में हुआ हो, लेकिन यह पर्व पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

इस साल जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, सोमवार को मनाया जा रहा है। इस दिन लड्डू गोपाल के अभिषेक का खास महत्व होता है। जिन घरों में लड्डू गोपाल होते हैं, वे नियमित रूप से उनका अभिषेक करते हैं, लेकिन जन्माष्टमी पर उनका विशेष अभिषेक किया जाता है जिसे पंचामृत स्नान कहते हैं।

उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा जी ने हमें पंचामृत स्नान का महत्व बताया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भगवान कृष्ण ने अपने जन्म के लिए इसी दिन को क्यों चुना था।

श्री कृष्ण ने जन्म के लिए यह दिन क्यों चुना? 

पंडित जी बताते हैं, 'जन्‍माष्‍टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्‍ण का जन्‍म हुआ था। जन्म के वक्त बुधवार का दिन था। श्री कृष्ण की राशि वृषभ थी और वह चंद्रवंश में उत्पन्न हुए थे। अब यह समझने की कोशिश करें कि रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चंद्र होता है और वृषभ राशि में चंद्र हमेशा उच्च का होता है।

श्री कृष्ण ने जन्म के लिए बुधवार का दिन इसलिए चुना था क्योंकि बुध चंद्र के पुत्र हैं।' अब प्रश्न उठता है कि श्री कृष्ण ने जन्‍म के लिए मध्यरात्रि का समय क्यों चुना? इस पर पंडित जी कहते हैं, 'भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि में चंद्रोदय होता है, हिंदी के सभी महीनों में भाद्रपद का माह मध्‍य में आता है। बुधवार भी सप्ताह के मध्य में आता है। इसलिए श्री कृष्ण ने अवतार के लिए भी यही समय चुना था।'

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पंचामृत स्नान का महत्‍व 

यह एक तरह का विशेष स्नान होता है और ऐसा नहीं है कि केवल लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है, बल्कि शिवलिंग का अभिषेक भी पंचामृत से किया जाता है। जन्‍माष्‍टमी के दिन लड्डू गोपाल का पंचामृत स्नान इसलिए कराया जाता है क्योंकि यह दिन विशेष होता है। 

पंडित जी कहते हैं, 'पंचामृत स्नान में पांच चीजें शामिल होती हैं। दूध, दही, घी, शहद और चीनी का पाउडर। इन सभी की अपनी-अपनी विशेषताएं होती हैं, मगर त्वचा के लिए ये सभी बहुत ही फायदेमंद होते हैं। इसे वैदिक स्नान विधि भी कहा जाता है। इसलिए श्री कृष्ण के जन्मदिन पर उनका विशेष प्रक्रिया से स्नान कराया जाता है।' 

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पंचामृत स्नान विधि (Laddu Gopal Panchamrit Snan Vidhi)

स्‍टेप-1

सबसे पहले लड्डू गोपाल को कच्चे दूध से स्नान कराएं। कच्चा दूध त्वचा की सारी गंदगी को साफ कर देता है। इसलिए कच्चे दूध से स्नान करने को अच्छा बताया गया है। 

स्‍टेप-2 

कच्चे दूध से स्नान कराने के बाद आपको लड्डू गोपाल को दही से स्नान कराना चाहिए। दही ठंडा भी होता है और त्वचा को मुलायम भी बनाता है। 

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स्‍टेप-3 

स्नान विधि की तीसरी कड़ी में लड्डू गोपाल को देसी घी से स्नान कराना चाहिए। घी का गुण होता है कि वह त्वचा को मॉइस्चराइज करता है। इसलिए घी से स्नान कराते वक्त लड्डू गोपाल की मालिश भी करें। स्‍नान कराते वक्त घी की मात्रा को बहुत कम रखें। 

स्‍टेप-4 

घी के बाद लड्डू गोपाल को शहद से स्नान कराएं। शहद त्वचा में चमक लाता है। इससे शरीर भी अच्छी तरह से साफ हो जाता है। 

स्टेप-5 

पंचामृत स्नान विधि के अंत में लड्डू गोपाल को चीनी के पाउडर से स्नान कराएं। यह स्क्रब का काम करता है। 

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स्‍टेप-6 

अब आपको अंत में एक अलग बर्तन में लड्डू गोपाल को रख कर गंगाजल में तुलसी की पत्ती और गुलाब का फूल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद आप लड्डू गोपाल को साफ कपड़े से पोंछ कर उन्हें पोशाक पहना सकती हैं। 

 

इस बार जन्‍माष्‍टमी पर आपको भी इसी विधि से लड्डू गोपाल का अभिषेक करना चाहिए। यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो, तो इसे शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह धर्म और ज्‍योतिष शास्‍त्र से जुड़े और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए देखती रहें हरजिंदगी। 

Image Credit: Shyam Diwani/ Youtube, pinterest/ Uploaded by Priyanka Singhania, laddu.gopal_creations/Instagram 

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FAQ
जन्माष्टमी के दिन क्या दान करें?
जन्माष्टमी के दिन, भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने और शुभ फल पाने के लिए अन्न, वस्त्र, माखन-मिश्री, फल, गौसेवा, और धार्मिक पुस्तकों का दान करना शुभ माना जाता है। 
जन्माष्टमी के दिन किस मंत्र का जाप करें?  
जन्माष्टमी के दिन 'ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।' मंत्र का जाप करें।
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