आज संसद सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद भवन पहुंचीं, तो उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वागत किया। इस मौके पर एक अधिकारी हाथ में ‘राजदंड’ (सेंगोल) लिए हुए था।
18वीं लोकसभा के विशेष सत्र में सेंगोल को लेकर शुरू हुई जोरदार बहस ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) की एक मांग ने इस बहस को और भी तीव्र कर दिया है, जिससे विवाद बढ़ गया है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर सपा पर हमला बोल दिया है।
समाजवादी पार्टी और राजद सांसद की मांग
सपा ने मांग की है कि सेंगोल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की गहराई से जांच की जाए। वे चाहते हैं कि इस प्रतीक का सही अर्थ और महत्व जनता के सामने रखा जाए। सपा ने यह भी कहा है कि सेंगोल का उपयोग केवल राजनीतिक शक्ति के प्रतीक के रूप में न किया जाए, बल्कि इसे भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के रूप में सम्मानित किया जाए।
इस पर सपा सांसद आरके चौधरी ने सेंगोल को हटाकर संविधान रखने की मांग की है। उन्होंने कहा, संविधान लोकतंत्र का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने संसद में सेंगोल को स्थापित किया है। सेंगोल का मतलब है राज-दंड या राजा का डंडा। राजसी व्यवस्था को समाप्त करने के बाद देश स्वतंत्र हुआ। क्या देश राजा के डंडे से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए सेंगोल को संसद से हटाया जाए।
वहीं इस मामले पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मीसा भारती ने भी संसद भवन से सेंगोल को हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, इसे हटाया जाना चाहिए, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। सेंगोल को संग्रहालय में रखा जाना चाहिए, जहां लोग आकर इसे देख सकें। सेंगोल को संसद में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता।
बीजेपी का जवाब
बीजेपी ने सपा सांसद मीसा भारती और आरके चौधरी के बयानों पर तीखा पलटवार किया है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सवाल उठाते हुए कहा, "सेंगोल जब स्थापित हुआ था, तब समाजवादी पार्टी के सांसद क्या कर रहे थे?" उन्होंने सपा की वर्तमान टिप्पणियों को उस समय की चुप्पी से जोड़ते हुए प्रश्न उठाया।
केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आरके चौधरी की टिप्पणी पर कहा, "उन्होंने क्या सोचा है कि रोज कुछ ऐसी बात बोलें जिससे हम चर्चा में आ जाएं? इन बातों का कोई अर्थ नहीं है।" इससे यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी इस मुद्दे पर सपा की आलोचना को गंभीरता से नहीं ले रही है।
भारत के नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी को सेंगोल दिया गया। पीएम मोदी ने सेंगोल को संसद भवन की नई बिल्डिंग में स्थापित किया। ऐसे में लोगों को मन में सवाल आ रहे हैं कि संगोल क्या है और उसे संसद भवन में स्थापित क्यों किया गया है। इस आर्टिकल में हम यही समझने की कोशिश करेंगे।
#WATCH | PM Narendra Modi carries the historic 'Sengol' post the pooja ceremony after it is handed over to him by the Adheenam seers. pic.twitter.com/FCAkjD90jK
— ANI (@ANI) May 28, 2023
क्या है सेंगोल? (Sengol Kya Hai)
- सेंगोल का इतिहास बहुत पुराना है और इसे राजदंड भी कहा जाता है। दिखने में सेंगोल एक तरह की छड़ी जैसा दिखता है जो नीचे से पतला और ऊपर से मोटा है। सेंगोल के ऊपर गवान शिव की सवारी नंदी की प्रतिमा और तिरंगा भी बना हुआ है।
- संगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है। सालों पहले ब्रिटिश सरकार ने सेंगोल को जवाहरलाल नेहरू को सौंपा था। सेंगोल के शाब्दिक अर्थ को समझें तो यह शब्द तमिल भाषा के सेम्मई शब्द से निकला है, इसका अर्थ धर्म और सच्चाई होता है। सेंगोल को चेन्नई के जौहरी वुम्मिदी बंगारू चेट्टी ने बनाया था।
Meet Vummidi Ethirajulu.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) May 28, 2023
He was around 20 years old when he & his brother made the Sengol.
He is 97 years old now and will be witnessing the installation of Sengol in new Parliament.
Sengol was built by Adheenams (Shaivite Matths in Tamil Nadu) & Vummidi Bangaru Chetty family. pic.twitter.com/oNbP4owfgL
विवाद में क्यों है सेंगोल (Why Sengol is in Controversy)
दरअसल कांग्रेस का कहना है कि सैंगोल का 1947 के सत्ता हस्तांतरण से कोई लेना देना नहीं है इसलिए इसे इतना महत्व ठीक नहीं है। वहीं बीजेपी का कहना कि चूंकि सेंगोल हिन्दू शैव परंपरा का प्रतीक है, शिव के उपासकों की तरफ से उपहार दिया गया था, सैंगोल पर नंदी विराजमान हैं इसलिए कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सेंगोल पर बने चिंह Secularism के खिलाफ हैं।
नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम ने लिखी थी चिट्ठी
Meet Vummidi Ethirajulu.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) May 28, 2023
He was around 20 years old when he & his brother made the Sengol.
He is 97 years old now and will be witnessing the installation of Sengol in new Parliament.
Sengol was built by Adheenams (Shaivite Matths in Tamil Nadu) & Vummidi Bangaru Chetty family. pic.twitter.com/oNbP4owfgL
प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम ने 2021 में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा था। इसी पत्र में उन्होंने सेंगोल के बारे में विस्तार से बताया था। अब सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय के नेहरू गैलरी से निकालकर दिल्ली, नए संसद भवन मे रखा गया है।इसे भी पढ़ेःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिलती है कितनी सैलरी?
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