शिव भक्त सावन के महीने का इंतजार काफी बेसब्री से करते हैं। इस महीने की लोग कांवड़ लेने भी जाते हैं, कुछ सोमवार का व्रत करते हैं। आज सावन का पहला सोमवार है, ऐसे में मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ दिखाई देगी और ऊं नम: शिवाय के जयकारे सुनाई देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ये व्रत काफी फलदायी व्रत माना जाता है। अगर आपने भी इस व्रत को रखा है तो इस दिन आपको सोमवार की व्रत कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए। कहते हैं न कथा के बिना भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए इसे पढ़ना जरूरी होता है, आपको भी इस कथा के बारे में जानना जरूरी है।
सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha 2023)
इस कथा से पहले सारे भक्तों को भगवान शिव का नाम लेना चाहिए। इसके बाद ही कथा शुरू करनी चाहिए। एक समय की बात है किसी शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसके पास काफी संपत्ति थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। जिसके लिए वो प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव- पार्वती की पूजा करता था। उसकी इस पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने संतान सुख का वरदान तो दे दिया और कहा कि, तुम्हारा पुत्र अल्पायु होगा।
ये सारी बातें जानते हुए साहूकार ने 11 साल की उम्र में उस बालक को अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी (काशी विश्ननाथ के रोचक तथ्य) भेज दिया। व्यापारी ने अपने पुत्र से कहा कि, वो रास्ते में थोड़ा सा आराम कर ले और वहां पर ब्राह्मणों को भोजन कराना। दोनों ने धनी व्यक्ति की बात मानी और उसके बताए कार्य को करना शुरू कर दिया।
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रास्ते में जाते हुए देखा कि, वहां राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। उसका होने वाले राजकुमार को एक आंख से कुछ दिखाई नहीं देता था। ये बात दूल्हे के पिता ने किसी को भी नहीं बताई। लेकिन घबराहट में एक गलती कर दी। धनी व्यक्ति के बेटे का विवाह उस राजकुमारी से करा दिया। जब राजकुमारी को ये पता चला तो उसने उस व्यक्ति के साथ जाने के लिए मना कर दिया।
उधर धनी व्यक्ति का पुत्र अपने मामा के साथ काशी पहुंचा। जब उस धनी व्यक्ति का पुत्र 16 साल का हुआ तो उसकी तबीयत खराब होने लगी और कुछ दिन बाद उसकी मृत्यृ हो गई। उसी समय शिव-पार्वती वहां से होकर जा रहे थे। उस व्यक्ति के पुत्र को देखकर पार्वती काफी दुखी हुई। उन्होंने भगवान शिव (भगवान शिव से जुड़ा रहस्य) से आग्रह किया कि वो इसे जीवित कर दें।
शिवजी ने उनका आग्रह मान लिया। इसके बाद धनी व्यक्ति का पुत्र अपनी शिक्षा खत्म करने के बाद वापस घर को लौट रहा था तो राजा ने उसे पहचान लिया जिससे उसकी पुत्री का विवाह हुआ था। इसके बाद उन्होंने बहुत सा धन देकर उसके साथ अपनी पुत्री को विदा कर दिया। जब बेटा घर पहुंचा तो धनी व्यक्ति उसे देखकर काफी खुश हुआ। जिसके बाद भगवान शिव ने उसके स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि, ये सब तुम्हारी भक्ती का फल है।
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अगर आप भी सावन के सोमवार के व्रत को रखने वाले हैं तो इस कथा को पढ़ना बिल्कुल भी न भूले।
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