हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान शिव का पूजन किया जाता है और उनकी भक्ति से विशेष लाभ मिलते हैं। इस पूरे माह जहां एक तरफ शिव पूजन किया जाता है और सोमवार का व्रत किया जाता है, उसी तरह माता गौरी के पूजन से भी विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है कि इस दौरान माता गौरी का पूजन करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य जीवनसाथी मिल सकता है और विवाहित स्त्रियों का सौभाग्य सदैव बना रहता है और जीवनसाथी से उनका रिश्ता मजबूत बना रहता है।
सावन में माता गौरी को प्रसन्न करने के लिए मंगला गौरी व्रत किया जाता है और इसके कई लाभ होते हैं। आइए न्यूमेरोलॉजिस्ट सिद्धार्थ एस कुमार से जानें कि इस साल सावन में कब रखे जाएंगे यह व्रत और इनका जीवन में लाभ क्या है।
सावन के मंगलवार को रखा जाता है व्रत
4 जुलाई 2023 से सावन का महीना शुरू हो रहा है। इस महीने में जहां एक तरफ सोमवार व्रत रखना लाभकारी माना जाता है उसी प्रकार मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखना जाता है।
शिव जी की तरह माता गौरी को भी सावन का महीना प्रिय होता है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस साल सावन में कुल 9 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। आइए जानें उनकी तिथियों के बारे में।
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सावन में मंगला गौरी व्रत की तिथियां
इस बार सावन महीने की शुरुआत ही मंगलवार के दिन से ही हो रही है। ऐसे में पहला मंगला गौरी व्रत सावन माह के पहले दिन यानी 4 जुलाई को रखा जाएगा।
- पहला मंगला गौरी व्रत- 4 जुलाई
- दूसरा मंगला गौरी व्रत- 11 जुलाई
- तीसरा मंगला गौरी व्रत- 18 जुलाई
- चौथा मंगला गौरी व्रत- 25 जुलाई
- पांचवा मंगला गौरी व्रत- 1 अगस्त
- छठवां मंगला गौरी व्रत- 8 व्रत
- सातवां मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त
- आठवां मंगला गौरी व्रत- 22 अगस्त
- नौंवा मंगला गौरी व्रत- 29 अगस्त
सावन के मंगला गौरी व्रत का महत्व
विवाहित महिलाओं के लिए सावन में मंगला गौरी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्यवती की कामना के लिए करती हैं। ऐसी मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत वाले दिन विधि पूर्वक माता गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य (इनकी पूजा से मिल सकता है अखंड सौभाग्य) का आशीर्वाद प्राप्त मिलता है।
साथ ही, दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। वहीं वैवाहिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो इस व्रत को करने से लाभ मिलता हो। इसके साथ ही, जो लड़कियां जीवनसाथी की तलाश में हों उन्हें इस व्रत को करने से जल्द ही अच्छे वर की प्राप्ति हो सकती है।
मंगला गौरी व्रत क्यों है ख़ास
मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। मां शक्ति के तीन गुण हैं- सृजन, पालन और संहार।
वह कभी सृजन करती हैं, कभी मां के रूप में पालन करती हैं तो वहीं कभी अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर महिषासुर जैसे दानवों का संहार करती हैं। इसलिए मंगला गौरी का व्रत न सिर्फ अखंड सौभाग्य दिलाता है, बल्कि स्त्रियों की शक्ति का एहसास भी दिलाता है।
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मंगला गौरी व्रत रखने के फायदे
- ऐसा माना जाता है कि यह व्रत विवाहित महिला के लिए सौभाग्य लाने के साथ पति के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है।
- ऐसा माना जाता है कि जो दम्पति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उन्हें इस व्रत से संतान का आशीर्वाद मिल सकता है।
- यह व्रत सुखी और सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन को बनाए रखने में मदद करता है।
- यदि आप विवाहित नहीं हैं और आपके विवाह में अड़चनें आ रही हैं तो यह व्रत विशेष रूप से लाभदायक हो सकता है।
- देवी पार्वती का आशीर्वाद लेने के लिए यह व्रत रखा जाता है।
यह व्रत देवी पार्वती के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने और सुखी वैवाहिक जीवन के साथ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए उनका आशीर्वाद लेने का एक आसान तरीका है।
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