सकट चौथ 2022: जानें जनवरी के महीने में कब है सकट चौथ का व्रत, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

आइए जानें इस साल कब मनाया जाएगा सकट चौथ का व्रत और इस दिन गणपति पूजन करने का क्या महत्व है। 

sakat chauth vrat katha significance

हिंदू धर्म में सभी व्रत और त्योहारों का अपना अलग महत्व है। सभी त्योहारों को अलग तरीके से मनाने और ईश्वर की पूजा करने का विधान है। इन्ही व्रत त्योहारों में से एक है सकट चौथ यानी कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत। हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार हर वर्ष सकट चौथ का व्रत माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन गणपति भगवान की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मुख्य रूप से यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करने वाली महिला की संतान को हर जगह पर विजय प्राप्त होती है और उसका स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी सकट चौथ और इस व्रत का महत्व क्या है।

सकट चौथ तिथि और शुभ मुहूर्त

sakat chauth shubh muhurat

  • इस वर्ष माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जनवरी, शुक्रवार को पड़ेगी
  • सकट चतुर्थी तिथि आरम्भ- 21 जनवरी, शुक्रवार, प्रातः 08 बजकर 51 मिनट से
  • सकट चतुर्थी तिथि समापन- 22 जनवरी, शनिवार, प्रातः 09 बजकर 14 मिनट तक
  • सकट चौथ को चंद्रोदय का समय रात्रि 9 बजे है, हालांकि ये एक अनुमानित समय है और जगह के हिसाब से चंद्रोदय का समय बदलता रहता है।
  • इस बार सकट चौथ के दिन सौभाग्य योग बनेगा जिसका अलग महत्व है।
  • सौभाग्य योग 21 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक रहेगा उसके बाद शोभन योग आरंभ हो जाएगा।
  • ऐसा माना जाता है कि सौभाग्य योग में कोई भी कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और कल्याण होता है।

सकट चौथ व्रत कथा

lord ganesha pujan

सकट चौथ व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक कथा के अनुसार एक नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार जब उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया तो आंवा पका नहीं। परेशान कुम्हार नगर के राजा के पास गया और बोला कि न जाने क्या कारण है कि आंवा पक ही नहीं रहा है। राजा ने राज पंडित को बुलाकर कारण पूछा। राज पंडित ने कहा, हर बार आंवा लगाते समय एक बच्चे की बलि देने से आंवा पक जाएगा। ऐसा सुनकर राजा का आदेश हुआ और बलि आरंभ हो गई। इस प्रकार जिस परिवार की बारी होती, वह अपने बच्चों में से एक बच्चा बलि के लिए भेज देता था। इसी क्रम में कुछ दिनों बाद एक बुढ़िया के लड़के की बारी आई। बुढ़िया का एक ही बेटा था और वही उसका सहारा था। लेकिन राजा की आज्ञा के अनुसार उसकी भी बारी आ ही गई। ऐसे में दुखी बुढ़िया सोचने लगी कि उसका तो एक ही बेटा है और वो भी अगर बलि चढ़ गया तो उसका सहारा ही छिन जाएगा। तभी बुढ़िया ने अपने लड़के को सकट की सुपारी तथा दूब देकर कहा कि भगवान का नाम लेकर आंवा में बैठ जाना, सकट माता तेरी रक्षा करेंगी। लड़के ने ऐसा ही किया और जब आंवा खोला गया तो सभी आश्चर्य में पड़ गए क्योंकि आंवा पक गया था लेकिन लड़का सही सलामत बाहर आ गया। इस प्रकार जैसे सकट माता ने उसके बेटे की रक्षा की वैसी ही सभी व्रत करने वालों की संतान की रक्षा भी करती हैं।

सकट चौथ पूजा विधि

ganpati puja sakat chauth

  • पंडित जी के अनुसार सकट चौथ में मुख्य रूप से भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर लाल वस्त्र धारण करें।
  • ऐसी मान्यता है कि लाल वस्त्र गणपति को पसंद हैं इसलिए लाल वस्त्र पहनना इस दिन अत्यंत लाभकारी होता है।
  • पूजन के लिए गणपति के साथ माता लक्ष्मी की मूर्ति भी जरूर रखें।
  • दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद रात में चांद को अर्ध्य दें।
  • इसके बाद गणेश जी की पूजा करके फलाहार ग्रहण करें।
  • कुछ जगहों पर गोधूलि बेला में भी गणपति की पूजा का विधान है।
  • इस दिन भोग के रूप में तिल, गुण और शकरकंद चढ़ाया जाता है।
  • गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दुर्वा भगवान गणेश को अर्पित करें।
  • पूजा के बाद रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।

सकट चौथ व्रत का महत्व

सकट चौथ व्रत को संकष्टी चतुर्थी, लंबोदर संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ, तिलकुट चतुर्थी, संकटा चौथ और माघी चौथ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणपति को मोदक का भोग लगाया जाता है और तिल चढ़ाया जाता है। गणपति का पूजन करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और संतान सुख की प्राप्तिहोती है। इस व्रत को नियम और श्रद्धा पूर्वक करने से परिवार में खुशहाली आती है और माता लक्ष्मी का आगमन होता है। इस व्रत से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है।

इस प्रकार सकट चौथ में व्रत करने और गणपति जी का पूजन करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और संकटों से मुक्ति मिलती है।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

Recommended Video

Image Credit: freepik

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP