फिजिकल पेन ही नहीं मानसिक तनाव भी Harassment का हिस्सा, जानें इससे बचने के सुरक्षा नियम

Physical And Mental Harassment Safety Tips: घर से लेकर वर्कप्लेस पर होने वाली हिंसा के खिलाफ भारतीय संविधान में सुरक्षा के नियम बनाए गए हैं। इन नियमों अपनाकर आरोपी के खिलाफ कंप्लेन दर्ज कर सजा दिलाई जा सकती है।

 
safety rule to prevent physical and mental harassment

देशभर में दिन-भर में न जाने कितनी महिलाएं घरेलू हिंसा,मानसिक तनाव, रेप और छेड़छाड़ जैसी असहनीय प्रताड़ना से होकर गुजरती है। बीते दिन कोलकाता में ट्रेनी लेडी डॉक्टर के साथ हुई बालात्कार की घटना से पूरा देश सदमे में हैं। यह कोई एक घटना नहीं बल्कि ऐसे कई केस रोजाना सुनने को मिलते हैं। कोई महिला घरेलू हिंसा की बलि चढ़ती है, तो कोई रेप और मेंटल हैरेसमेंट का शिकार होती है। आज भी लोगों को यह लगता है कि फिजिकल पेन ही हैरेसमेंट का हिस्सा है। लेकिन बता दें कि मेंटल हैरेसमेंट भी प्रताड़ित करते का हिस्सा है।

अगर आप कभी भी इस स्थिति का शिकार हुई है, तो इसके खिलाफ बोले और लड़े। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से जानते हैं कि शारीरिक और मानसिक तनाव के लिए क्या सुरक्षा नियम बनाए गए हैं।

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005

Laws Related to Mental Harassment in India

यह अधिनियम महिला को उसके वैवाहिक घर में रहने का अधिकार सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम में कानून के तहत महिलाओं को 'हिंसा मुक्त घर में रहने' के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि इस अधिनियम में दीवानी और आपराधिक प्रावधान हैं। पीड़ित महिला किसी भी पुरुष वयस्क अपराधी के खिलाफ घरेलू हिंसा के संबंध में मामला दर्ज कर सकती है। अगर आपको परिवार के किसी सदस्य द्वारा मानसिक तनाव दिया जाता है, तो इसके खिलाफ भी आप इस अधिनियम के तहत सजा दिला सकती हैं।

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कार्यस्थल पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न होने पर क्या करें?

What is a physical harassment

कार्यस्थल पर उत्पीड़न, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक यह किसी भी व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक फीलिंग्स पर गंभीर परिणाम डाल सकता है। भारत में, मानसिक उत्पीड़न से कर्मचारियों को इस तरह के संकट से बचाने के लिए विभिन्न कानून और नियम बनाए गए हैं।

मानसिक तनाव के खिलाफ वर्कप्लेस के लिए कानून

  • कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाव, निषेध और निवारण के लिए बनाया गया है। यह मानसिक उत्पीड़न के विभिन्न रूपों को भी कवर करता है।
  • मानसिक उत्पीड़न के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 के अनुसार कार्यस्थल पर मानसिक उत्पीड़न से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। धारा 503 और धारा 504 आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करने से संबंधित हैं। पीड़ित इन प्रावधानों के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 मानसिक उत्पीड़न अधिनियम किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता या जातीयता के बारे में अपमानजनक टिप्पणी के लिए है। अधिनियम के अनुसार किसी विशेष देश या जातीयता से संबंधित व्यक्ति के राष्ट्रीय सम्मान का अपमान करना दंडनीय अपराध है।

मानसिक उत्पीड़न मामले के लिए कानूनी उपाय और प्रक्रिया

Mental Harassment Rules India

  • कार्यस्थल पर मानसिक उत्पीड़न का सामना करने वाले कर्मचारियों को कानूनी सहायता के लिए सबसे पहले उत्पीड़न की रिपोर्ट नियोक्ता या आईसीसी को दें।
  • इसके बावजूद यदि उत्पीड़न जारी रहता है या नियोक्ता उचित कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो पीड़ित आईसीसी के पास औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकता है।
  • यदि कार्यस्थल पर शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो उत्पीड़न की गंभीरता के आधार पर पीड़ित श्रम अधिकारियों या पुलिस से संपर्क कर सकता है।
  • अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न के मामलों में, पीड़ित भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के अनुसार सिविल मुकदमा या आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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Image Credit- Freepik

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