Wife Right on Husband Income: शादी के बाद किसी भी कपल की लाइफ में बहुत सारी चीजों में बदलाव आता है। घर से लेकर लाइफस्टाइल से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों में भी बदलाव आता है। पति-पत्नी के एक दूसरे पर कुछ हक भी होते हैं। पर क्या पत्नी का पति की इनेकम पर कोई हक होता है। यह बहुत दिलचस्प प्रस्न है जिसका उत्तर हर महिला जाननी चाहेगी।
इस बारे में हमने बात की केएस लीगल एंड एसोसिएट्स में मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी से। आइए जानते हैं उन्होंने इस विषय के बारे में उन्होंने क्या बताया।
महिलाओं का हक
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 और 25 के मुताबिक महिलाएं दो प्रकार की मौद्रिक सहायता की हकदार हैं। पहला अंतरिम भरण-पोषण और स्थायी गुजारा भत्ता। अंतरिम भरण-पोषण का मतलब है कि पति को आय और संपत्ति का ब्यौरा देना होगा। वहीं स्थायी गुजारा भत्ता का मतलब है अदालत द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान पति को अपनी पत्नी को देना होगा।
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आय स्त्रोत के बारे में पता
यदि पति अपनी आय के विवरण या स्रोतों का खुलासा करने से इनकार करता है, तो पत्नी को आरटीआई (सूचना का अधिकार) दाखिल करने का लाभ मिलता है। पत्नियों की सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए, आयकर विभाग (केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश के आधार पर) के पास 15 दिनों की अवधि के भीतर एक महिला को पति की शुद्ध कर योग्य आय/सकल आय का सामान्य विवरण प्रदान करने की शक्ति है।
उदाहरण से समझें
कल्याण डे चौधरी बनाम रीता डे चौधरी, 2016 के एसएलपी (सी) नंबर 34653 में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति के वेतन का 25% का बेंचमार्क गुजारा भत्ता के रूप में "उचित से उचित" माना गया था। भारतीय संविधान के तहत परिकल्पित सामाजिक न्याय को प्राप्त करने के लिए भरण-पोषण प्रदान करने का उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पत्नी निराश्रित या आवारा न हो।
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Photo Credit: Freepik
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