(Bhai Dooj 2023) हिंदू पंचांग में भाई दूज का पर्व कार्तिक मास में दिवाली और गोवर्धन पूजा के बाद मनाया जाता है। यह द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाईयों को टीका लगाती है और उनके लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। इस साल दिनांक 15 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। अब ऐसे में इस पर्व का यमराज से क्या संबंध और इस पर्व को यम द्वितीया क्यों कहा जाता है।
इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं।
जानें भाईदूज का यमराज से संबंध
भाईदूज का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। जो बेहद पावन और दिव्य है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि यह परंपरा यमराज से जुड़ी हुई है। ऐसी मान्यता है कि यमराज इसी तिथि को अपनी बहन यमुना का निमंत्रण स्वीकार किए थे। इस दिन यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की मंगल(मंगल दोष उपाय) कामना के लिए विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ भी करती हैं। जिसमें मंगल पाठ, भोज और भेंट आदि शामिल होता है।
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ऐसा कहा जाता है कि सूर्य (सूर्य मंत्र) की पत्नी संज्ञा की दो संतान थी। एक यमराज और दूसरी यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छाया मूर्ति का निर्माण करके सूर्य को अपने पुत्र-पुत्री सौंपकर वहां से चली गई। वहीं संज्ञा की छाया को यमराज और यमुना से कोई लगाव नही था, लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था। पश्चात यमराज एक दिन बाहर चले गए थे। तब यमुना यमराज से मिलने का जतन करती थी। वह उनसे प्रार्थना करती थी कि घर आकर भोजन करें। तब यमराज काम में व्यस्तता को देखकर उनकी बातों को हमेशा टाल देते थे।
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कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन यमराज को भोजन के लिए घर आने के लिए यमुना ने उन्हें वचनबद्ध कर लिया। तब यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाता है। मुझे बहन जिस सद्भावना से बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। तब बहन के घर आते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया। जब यमराज यमुना के घर गए, तो वह बेहद प्रसन्न हुईं।
उन्होंने भोई को भोजन कराया। यमराज ने प्रसन्न होकर बहन यमुना को वर मांगने को कहा। तब यमुना ने कहा कि भैया, हर साल इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर और सम्मान के साथ अपने अपने घर बुलाएगी। उसे तुम्हारा कभी भय नहीं होगा। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को भेंट देकर यमलोक लौट गए।
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