अगर आप सोशल मीडिया इस्तेमाल करती हैं और इंस्टाग्राम या यूट्यूब की रील्स देखना अच्छा लगता है, तो आपको शायद 'माकेबा' (Makeba Song) गाने के बारे में पता हो। यह गाना इन दिनों बहुत ज्यादा ट्रेंड कर रहा है और लोग इसे पसंद भी कर रहे हैं। पहले इसे सिर्फ एक पॉप सॉन्ग समझा जा रहा था, लेकिन अब जब इसके पीछे की कहानी समझ आ गई है, तब इस गाने की फैन फॉलोविंग और बढ़ गई है। इस गाने की खासियत यह है कि इसकी बीट्स बहुत ही ट्रेंडी हैं और डांस करने से लेकर रील बनाने तक सभी में इस्तेमाल हो जाती हैं।
इंस्टाग्राम रील्स आजकल कई गानों को लोकप्रिय बना देती हैं और उनमें से एक है माकेबा। अगर आपको भी यह गाना पसंद है, तो चलिए आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं।
2015 का है यह गाना
इंस्टाग्राम भी एक यूनिक चीज है। यहां सदियों पुराने गाने भी ट्रेंड करने लगते हैं। कुछ समय पहले 2009 में आया आतिफ असलम का गाना ट्रेंड कर रहा था। अब 'माकेबा' के साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है। इसे 2015 में फ्रेंच सिंगर-राइटर जैन (Jain) ने रिलीज किया था। इस गाने को रिलीज कर उन्होंने एक्टिविस्ट मिरियम मकेबा को श्रद्धांजलि दी थी। यह गाना जैन के डेब्यू स्टूडियो एल्बम जनाका (Zanaka) से लिया गया था। इस गाने को लिखा भी खुद जैन ने ही था।
कौन थी मिरियम माकेबा?
मिरियम माकेबा को अगर एक चेंजमेकर कहा जाए, तो यह गलत नहीं होगा। वह अपने सबसे की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक थीं। साउथ अफ्रीकन एक्टिविस्ट जिसे टाइम मैगजीन ने 'मामा अफ्रीका' का टैग भी दिया था। वह सिर्फ एक म्यूजिकल और पॉलिटिकल आइकन ही नहीं, बल्कि एक मोटिवेशन थीं।
4 मार्च 1932 को साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में पैदा हुई माकेबा की मां को गैरकानूनी तरीके से बियर बनाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था। 18 दिन की माकेबा मां के साथ जेल चली गई थी और 6 महीने तक वहीं रही थी। जब मिरियम और उनकी मां जेल से बाहर आए, तब उन्हें पिता की नौकरी की वजह से अपना घर छोड़कर कहीं और जाना पड़ा। कुछ सालों बाद पिता का देहांत हो गया। महज 6 साल की उम्र में माकेबा को उनकी नानी के पास जाना पड़ा जहां गरीबी के कारण उन्हें बहुत मुश्किल हुई।
स्थानीय स्कूल में माकेबा को स्कूल ग्रुप के साथ गाना गाने का मौका मिला और तभी उन्हें पता चला कि उनकी आवाज बहुत अच्छी है। कुछ समय बाद वो चर्च में गाना गाने लगीं। उन्हें बचपन में ही उनके टैलेंट के लिए सराहा गया।
17 साल की उम्र में बन गईं आइकन
मिरियम ने 17 साल की उम्र से एक अफ्रीकी जैज़ ग्रुप के साथ गाना शुरू कर दिया। वहां वो लीड सिंगर बन गईं और धीरे-धीरे उन्हें प्रसिद्धी मिलने लगी। उन्हें मैनहैटन ब्रदर्स ने 21 साल की उम्र में आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया। इसके बाद उन्होंने स्काईलार्क ग्रुप से उन्हें और उपलब्धि मिली और फिर उन्होंने गिलोटिन रिकॉर्ड कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन कर दिया। 1956 से 1969 तक माकेबा एक सेंसेशन बन गई थीं।
कुछ समय बाद वो यूएस चली गईं और दो दशकों तक उन्होंने खुद को बतौर आइकन स्थापित कर लिया।
मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली माकेबा
साउथ अफ्रीका में 1960 में शार्प विल त्रासदी हुई। माकेबा की मां और उनके परिवार वालों की मौत हो गई थी। वो तुरंत साउथ अफ्रीका जाने की तैयारी में लग गईं, लेकिन तब उन्हें पता चला कि साउथ अफ्रीकी सरकार ने उनके पासपोर्ट को ही खारिज कर दिया। इसी को उनके 30 साल के देश निकाला की शुरुआत माना जाता है। उन्होंने अपने फेम और पॉलिटिकल कनेक्शन का सहारा लेने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि किस तरह से साउथ अफ्रीका की व्हाइट माइनॉरिटी सरकार किस तरह से रंगभेद कर रही है।
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मिरियम ने इसके लिए काम शुरू किया और दुनिया भर के ब्लैक डिसेंट के लोगों को एक साथ जुटाना शुरू किया। 1962 और 1964 में मिरियम ने यूनाइटेड नेशन्स में गवाही भी दी और सरकार के खिलाफ सबूत पेश किए कि कैसे साउथ अफ्रीकी सरकार ने उनके सिटीजन राइट्स को ही खारिज कर दिया। मिरियम ने एड़ी-चोटी का जोर लगाकर रंगभेद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सिलिव राइट्स का जिक्र किया। अफ्रीका में उनका म्यूजिक भी बैन कर दिया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
आखिर 30 साल की लड़ाई के बाद वो 1990 में साउथ अफ्रीका वापस आ पाईं और अपने देश में उन्होंने म्यूजिक के जरिए लोगों को जागरूक करना शुरू किया। उनका ग्लोबल हिट सॉन्ग 'पाटा-पाटा' इस दौर का ही है। 9 नवंबर 2008 को मिरियम ने आखिरी बार इटली में अपना गाना परफॉर्म किया था। स्टेज से उतरते ही उन्हें हार्ट अटैक आ गया था और उनकी मौत हो गई थी।
अब तो आपको माकेबा की पूरी कहानी पता चल गई होगी।
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