March Ekadashi Dates 2025: मार्च के महीने में कब-कब पड़ेंगी एकादशी तिथियां, शुभ मुहूर्त समेत यहां लें अन्य जानकारी

एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और यदि आप इस दिन व्रत करते हैं तो इसकी तिथि का सही ज्ञान होना जरूरी है। अगर आप मार्च महीने की एकादशी तिथि की जानकारी लेना चाहते हैं, तो यहां जानें इसके बारे में।
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हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी एकादशी तिथि को अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है। हर महीने में यह तिथि दो बार पड़ती है। पहली शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन और दूसरी कृष्ण पक्ष के ग्यारहवें दिन पड़ती है। मुख्य रूप से यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन व्रत एवं पूजा-पाठ करने से आपको विशेष लाभ हो सकते हैओं। मान्यता हो कि एकादशी तिथि के दिन भक्तगण उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं, जिससे न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन की कई बाधाएं भी दूर होती हैं। हर महीने की ही तरह इस साल भी मार्च 2025 में आने वाली एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। इसी महीने होली जैसा बड़ा पर्व भी आ रहा है, इसी वजह से इस महीने आने वाली एकादशी तिथियां भी खास हैं। जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं उनके लिए इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इस तिथि की सही तिथि के साथ पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा। मार्च के महीने में कब-कब पड़ेंगी एकादशी तिथियां इसके बारे में ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें विस्तार से।

मार्च महीने में कौन-कौन सी एकादशी तिथियां आएंगी

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मार्च महीने में पहली एकादशी हिंदू पंचांग के फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी। यह एकादशी रंगभरी एकादशी या आमलकी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इसके अलावा, मार्च महीने में दूसरी एकादशी तिथि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाएगी। इस एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाएगा।

मार्च महीने की पहली एकादशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि मार्च महीने की पहली एकादशी 10 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी।

  • एकादशी तिथि का आरंभ- 9 मार्च, प्रातः 07:45 बजे से
  • एकादशी तिथि का समापन-10 मार्च प्रातः 7:44 बजे।
  • उदया तिथि के अनुसार, आमलकी या रंगभरी एकादशी का व्रत 10 मार्च को रखना ज्यादा शुभ होगा।

आमलकी एकादशी का महत्व क्या है?

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आमलकी एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इसे आमला एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत भक्तों की मोक्ष प्राप्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है। शास्त्रों में जाता है कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे दीप जलाना और कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।

मार्च महीने में पापमोचनी एकादशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि पापमोचनी एकादशी 25 मार्च को मनाई जाएगी।

  • पापमोचनी एकादशी का आरंभ- 25 मार्च, प्रातः 5:05 बजे से
  • पापमोचनी एकादशी का समापन- 26 मार्च को प्रातः 3:45 बजे।
  • उदया तिथि की मानें तो पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च, मंगलवार को रखना शुभ होगा।

पापमोचनी एकादशी का महत्व

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पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में विशेष रूप से पुण्यदायी और मोक्षदायिनी मानी जाती है। यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है और इसे सभी पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पिछले जन्मों के साथ-साथ इस जन्म के भी समस्त पापों का नाश होता है।

पुराणों की मानें तो भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस एकादशी का व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पापमोचनी एकादशी के व्रत का महत्व केवल पापों के नाश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के मन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

एकादशी व्रत में कैसे करें पूजन

एकादशी व्रत में पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रतधारी को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें और दिनभर सात्त्विक आहार व मन, वचन, कर्म से शुद्धता बनाए रखें।
पूजा के लिए घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें।
गंगाजल से पूजा के स्थान का शुद्धिकरण करके दीपक जलाएं और भगवान विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें। भगवान विष्णु को भोग में तुलसीदल चढ़ाएं और धूप दिखाएं।
श्रीहरि विष्णु को पीले वस्त्र, फल, पंचामृत व मिष्ठान अर्पित करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

यदि आप एकादशी का व्रत करते हैं तो यहां बताई तिथियों का ध्यान रखें और इसी विधि से पूजन करें जिससे जीवन में कुशलता बनी रहेगी। अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो आपको यहां बताए वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Images: freepik.com

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