भगवान विष्णु को पूरे जगत का पालनहार कहा जाता है। इनकी पूजा करने से भक्तों को भगवान विष्णु के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में आने वाली सभी दुख दूर हो जाती हैं। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कई ऐसे मंत्र दिए गए हैं, जिसमें विष्णु सहस्त्रनाम मंत्र का जाप महत्वपूर्ण माना गया है।
इस मंत्र का जाप पूरे नियम से करना बेहद जरूरी है। बता दें, इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के हजार नाम दिए गए हैं। इस स्तोत्र का रोजाना पाठ करना बेहद मुश्किल है। इसलिए अगर आप इस मंत्र का रोजाना जाप नहीं कर सकते हैं, तो इसके अलावा आप राम रक्षा स्तोत्र मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसे मंत्र का जाप करना विष्णु सहस्त्रनाम के मंत्र के जाप करने के बराबर माना जाता है।
इस मंत्र में भगवान विष्णु के 1000 नाम सम्मिलित हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं, कि राम रक्षा स्तोत्र मंत्र क्या है। इस मंत्र की पौराणिक कथा क्या है, किस विधि से इस मंत्र का जाप करना शुभ होता है।
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से दूर होंगे सभी दुख
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
अर्थात - इस मंत्र का यह अर्थ है, एक बार भगवान शिव (भगवान शिव मंत्र)मां पार्वती को कहते हैं, कि इस मंत्र का जाप जागते, सोते और स्वप्न इन तीनों अवस्था में करों। मैं इन्हीं में मनोरम राम में हमेशा रमा रहता हूं। यह मंत्र भगवान विष्णु के हजार नामों के बराबर है।
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इस विधि से करें राम रक्षा स्तोत्र का पाठ
सबसे पहला भगवान राम की पूजा करें और राम रक्षा स्तोत्र मंत्र का जाप करें। उसके बाद पूजा समाप्त होने से पहले पवनपुत्र हनुमान चालीसा का पाठ करें और फिर भगवान राम की आरती करें और हनुमान जी की आरती करें।
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जानें क्या है राम रक्षा स्तोत्र की पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से अपने साथ भोजन करने के लिए कहा था। लेकिन माता पार्वती ने यह कहकर टाल दिया था कि वे अभी विष्णुसहस्त्रनाम (भगवान विष्णु मंत्र) का जाप कर रही हैं। पश्चात भगवान शिव ने दोबारा माता पार्वती को बुलाया, तब भी उन्होंने यही उत्तर दिया कि वह पाठ करने के बाद ही भोजन करेंगी। भगवान शिव को शिघ्रता थी और भोजन भी ठंडा हो रहा था।
तब भगवान शिव ने कहा कि हे पार्वती ! एक बार राम बोलने से विष्णुसहस्त्रनाम के मंत्र के जाप करने के बराबर शुभ फल की प्राप्ति होती है। उसके बाद यह सुनकर माता पार्वती ने राम नाम का जप कर भगवान शिव के साथ भोजन किया।
अगर आप विष्णुसहस्त्रनाम का जाप नहीं सकते हैं, तो राम रक्षा स्तोत्र का जाप करें। इसके साथ ही अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से
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