रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के रिश्ते को एक डोर में बांधने का काम करता है। इस पर्व में बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना में रक्षा का सूत्र भाई की कलाई में बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। इस त्योहार में जितना महत्व राखी बांधने का है उतना ही राखी की थाली सजाने का भी है।
ऐसी मान्यता है कि सही तरीके से थाली सजाने से भाई को जीवन में सफलता का वरदान मिलता है और बहनों के जीवन में भी खुशहाली आती है। ज्योतिष में इस थाली को विशेष स्थान दिया गया है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें राखी की थाली सजाने के महत्व के बारे में।
कैसी होनी चाहिए राखी पूजा थाली
राखी की सजावट के लिए चुनी गई थाली सोना, चांदी, कांस्य, तांबा, पीतल या स्टील की होनी चाहिए। यह थाली पीले, नारंगी या लाल रंग के कपड़े से भी सजा सकती हैं और कपड़ा जितना चमकीला होगा, आपकी थाली उतनी ही अच्छी लगेगी। तो अपनी थाली को सुंदर दिखाने के लिए कुछ चमकीले कपड़े लगाएं। इस थाली में यहां बताई सामग्रियां जरूर होनी चाहिए।
अक्षत या चावल : अक्षत एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'कुछ ऐसा जो टूटा नहीं है'। अक्षत (पूजा में अक्षत का महत्व)हल्दी के साथ मिश्रित कच्चा, अखंड चावल होना चाहिए।इसे समृद्धि और उर्वरता लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक माना जाता है।
कुमकुम और केसर: सभी भारतीय पवित्र आयोजनों में कुमकुम की एक अनूठी भूमिका है। वैष्णव में तिलक परमात्मा के चरण कमलों का प्रतीक है और कुमकुम भक्त का प्रतीक है।
दीया या अगरबत्ती: राखी की थाली में दीया बहुत महत्वपूर्ण है और हिंदू धर्म में इसका एक विशेष स्थान है। यह पवित्रता, अच्छे शगुन और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रकाश का अर्थ है अंधेरे का न होना और दीया जलाने का प्रचलन तब से शुरू हुआ जब श्री राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या आए थे। तभी से ये आनंद और खुशी का प्रतीक माना जाता है और इसे राखी थाली में रखना जरूरी है।
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मिठाई: यह खुशी और मिठास का प्रतीक है जिसे हम परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच फैलाते हैं। सबसे पहले देवी लक्ष्मी को शुद्ध भक्ति के साथ मिठाई का भोग लगाया जाता है और बाद में इसे देवी के आशीर्वाद के रूप में सभी सदस्यों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
पानी के साथ कलश: माना जाता है कि कलश में जीवन का अमृत है। इसके अलावा, कलश भौतिक चीजों का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें उर्वरता होती है- पृथ्वी और गर्भ, जो हमारे जीवन का पोषण करते हैं और हिंदू परंपरा के अनुसार देवी लक्ष्मी अपने हाथ में कलश रखती हैं, जो ज्ञान और प्रचुरता को दर्शाती हैं।
एक खूबसूरत राखी: राखी सिर्फ एक धागा नहीं है बल्कियहपवित्र धागा एक अटूट लंबे समय तक चलने वाले भाई-बहन के बंधन को दर्शाता है। रक्षा बंधन बहन और भाई के बीच प्यार, देखभाल और सम्मान के अविश्वसनीय, बेजोड़ बंधन का प्रतीक है। राखी के धागे को पवित्र माना जाता है क्योंकि यह उस वादे की याद दिलाता है जो एक भाई अपनी प्यारी बहन की रक्षा करने के लिए करता है।
भाई के माथे पर तिलक कैसे लगाएं
बहन अपने भाई के माथे पर कुछ अखंड अक्षत के साथ तिलक लगाती है। माथे परतिलक लगाना हिंदू परंपरा में अद्वितीय और शुभ अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि माथे के बीच तिलक करने से आपकी एकाग्रता शक्ति में सुधार होता है क्योंकि इससे आपकी चेतना का तीसरा नेत्र खुल जाता है।
राखी में ऐसे करें आरती
पूजा थाली में एक दीया होता है जिसकी पवित्र ज्वाला भाई को सभी बुरी शक्तियों, खतरों से दूर रखती है और उन्हें सुरक्षित रखती है। लगभग सात बार भाई के मुख के सामने थाली को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाने से पवित्र आरती शुरू होती है। भाई के सम्मान में आरती की जाती है जबकि उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की जाती है।
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इस प्रकार राखी की थाली सजाने और आरती करके राखी बांधना ज्योतिष के अनुसार बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit: freepik.com and unsplash.com
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