Raksha Bandhan Shubh Muhurat 2023: इस साल दो दिन मनेगा रक्षाबंधन पर्व, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Raksha Bandhan Shubh Muhurat 2023: सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन की डेट को लेकर लोगों में बहुत उलझन बनी हुई है। ऐसे में अज हम इस लेख में आपको रक्षाबंधन की सही तिथि और कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं।  

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Raksha Bandhan Shubh Muhurat2023: हिन्दू धर्म में अनेकों त्यौहार-पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है रक्षाबंधन।

सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस साल भद्रा के कारण रक्षाबंधन की डेट को लेकर लोगों में उलझन बनी हुई है।

ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ. राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि किस दिन मनाना चाहिए रक्षाबंधन और किस-किस समय में बनेंगे कौन से योग।

रक्षाबंधन 2023 पूर्णिमा तिथि

  • सावन पूर्णिमा तिथि आरंभ: 30 अगस्त, दिन बुधवार, दोपहर 12 बजकर 29 मिनट।
  • सावन पूर्णिमा तिथि स्मपान: 31 अगस्त, दिन गुरुवार, सुबह 8 बजकर 35 मिनट।
  • हिंदू पंचाग के अनुसार, इस साल सावन पूर्णिमा 30 अगस्त को पड़ रही है।

रक्षाबंधन 2023 कब है? (Raksha Bandhan Kab Hai 2023)

  • रक्षाबंधन का पर्व भी 30 अगस्त, दिन बुधवार (बुधवार के उपाय) का ही माना जाएगा।
  • हालांकि 31 अगस्त, दिन गुरुवार को भी रक्षाबंधन मनाना शुभ रहेगा।
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रक्षाबंधन 2023 शुभ योग

  • शास्त्रों में रक्षाबंधन मनाने के लिए दोपहर का समय उत्तम माना गया है।
  • वहीं, भद्राकाल के कारण शुभ समय न मिले तो प्रदोष काल में राखी बांध सकते हैं।
  • मानयता है कि अपराह्न या प्रदोष काल में राखी बांधना सबसे ज्यादा शुभ होता है।

रक्षाबंधन 2023 भद्रा काल समय (Bhadra Time)

  • 30 अगस्त को सुबह से लेकर रात 9 बजकर 1 मिनट तक पड़ेगी भद्रा।
  • शाम 5 बजकर 30 मिनट से शमा 6 बजकर 31 मिनट तक भद्रा पूंछ।
  • शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक भद्रा मुख।
raksha bandhan  ki tithi

रक्षाबंधन 2023 प्रदोष काल मुहूर्त

  • 30 अगस्त को रात 9 बजकर 1 मिनट से 9 बजकर 5 मिनट तक।
  • इसके अलावा, फिर 31 अगस्त को भी राखी बांधी जा सकती है।

रक्षाबंधन 2023 का महत्व

  • कुछ ग्रंथों में रक्षाबंधन की शुरुआत मां लक्ष्मी (मां लक्ष्मी की पूजा के नियम) द्वारा बताई गई है।
  • वहीं, इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल से होने की बात भी कही जाती है।
  • मान्यता है कि चीर हरण के दौरान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी।
  • इस घटना के बाद द्रौपदी ने श्री कृष्ण को राखी बांधी थी और भाई माना था।

इस लेख में हमने आप तक रक्षाबंधन से जुड़ी समत जानकारी पहुंचाई है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: freepik, shutterstock

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