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Kanwar Yatra History: आखिर क्यों निकालते हैं कावड़ यात्रा, जानें कब से शुरू हुई ये परंपरा और क्या है इतिहास

सावन में कावड़ यात्रा का खासा महत्व है। ऐसे में आइये जानते हैं कि पहली बार कब से शुरू हुई थी कावड़ यात्रा और कौन था पहला कावड़िया।      
Editorial
Updated:- 2024-07-22, 11:02 IST

Kisne Aur Kab Ki Kanwar Yatra Ki Shuruat: आज यानी कि 22 जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है। जहां एक ओर सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष स्थान मौजूद है तो वहीं, सावन में कावड़ यात्रा का भी खासा महत्व है। मान्यता है कि कावड़ यात्रा कर जो भी सावन में भगवान शिव की पूजा करता है उसके जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं और शिव कृपा मिलती है। ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि पहली बार कब से शुरू हुई थी कावड़ यात्रा और कौन था पहला कावड़िया। 

श्रवण कुमार ने की कावड़ यात्रा 

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  • रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने माता-पिता के साथ पहली बार कांवड़ यात्रा की थी।
  • माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के दौरान श्रवण कुमार ने उन्हें कावड़ में बैठकर हरिद्वार में गंगा स्नान (यहां गंगा स्नान से धुल जाते हैं सारे पाप) कराया था। 
  • श्रवण कुमार द्वारा माता-पिता को कावड़ में बैठकर यात्रा कराने को ही कावड़ यात्रा माना गया है।
  • हालांकि बाद में यह कावड़ यात्रा शिव पूजन और सावन माह से जुड़ गई जिसे परशुराम जी ने सर्व प्रथम निभाया।  

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परशुराम ने की कावड़ यात्रा 

  • हिन्दू धर्म में कावड़ यात्रा को लेकर कई अन्य मान्यताएं भी मौजूद हैं। कुछ धर्म ग्रंथों में परशुराम के पहले कावड़िया होना वर्णित है।
  • भगवान परशुराम ने उत्तर प्रदेश के बागपत के पास स्थित 'पुरा महादेव' का कांवड़ से गंगाजल लाकर जलाभिषेक किया था।
  • 'पुरा महादेव' प्रचीन शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए परशुराम भगवान गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जी का जल लाए थे।

श्री राम ने भी की कावड़ यात्रा 

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  • मान्यता है कि परशुराम जी के बाद श्री राम ने भी कावड़ यात्रा की थी और भगवान शिव (भगवान शिव के प्रतीक) का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
  • माना जाता है कि श्री राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगाजल भरकर बाबाधाम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था।

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रावण ने भी की कावड़ यात्रा 

  • ऐसी मान्यता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल विष पिया था, तब उनका कंठ जलने लगा था। 
  • भगवान शिव की जलन शांत करने हेतु रावण ने कावड़ में भरकर शीतल जल शिव शंभू को अर्पित किया था। 

 

ये है कावड़ यात्रा के आरंभ की रोचक जानकारी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

Image Credit: twitter, wikipedia 

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