Bullying एक ऐसी समस्या है, जिसका सामना अमूमन हर महिला ने अपने बचपन में किया होगा। राधिका आप्टे ने अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में जिक्र किया है कि कैसे बचपन में उनकी bullying की जाती थी। वह डीलडौल में बड़ी नजर आती थीं, इसीलिए उनके साथ वाले उन्हें Mammoth (विशालकाय प्राणी) कहकर चिढ़ाया करते थे। यह एक बड़ी समस्या है और यह किसी को भी नेगेटिव तरीके से प्रभावित करती है, उनके कॉन्फिडेंस पर असर डालती है। अगर मैं अपनी बात करूं तो घुंघराले बालों को लेकर बचपन में मुझे मेरे साथ पढ़ने वाले और स्कूल बस वाले बच्चे बहुत चिढ़ाया करते थे। अक्सर मुझे अपने बालों के लिए 'मधुमक्खी का छत्ता' सुनने को मिलता था। एक बार तो क्लासमेट ने मेरे बालों में फेविकोल लगा दिया था और दूसरे बच्चों ने हंसी उड़ाई थी और मैं इन चीजों के लिए अपनी टीचर से शिकायत करने भी गई थी। आज की डिजिटल एज में बच्चे Cyber Bullying के भी शिकार हो रहे हैं। Whatsapp, facebook जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों का एक्सपोजर बढ़ रहा है और वहां से बच्चों की Bullying के मामले सामने आते हैं।
बड़े तो फिर भी किसी तरह इस समस्या से निपट लेते हैं, लेकिन बच्चों के मानसिक विकास पर इससे काफी ज्यादा बुरा असर पड़ता है। बहुत से बच्चे चिढ़ाने और परेशान किए जाने पर डर जाते हैं या गुमसुम हो जाते हैं, तो वहीं कई बच्चे स्कूल जाने के नाम से कतराने लगते हैं और वजह भी नहीं बताते। अगर आप अपने बच्चे के व्यवहार में कुछ इसी तरह के बदलाव देख रही हों तो सतर्क हो जाएं। अगर बच्चा इस समस्या से जूझ रहा है तो उसे आपके सपोर्ट की जरूरत है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे तरीके, जिनके जरिए आप इस समस्या से बेहतर तरीके से डील कर सकती हैं और अपने बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ा सकती हैं-
बच्चों से उनकी दिनचर्या से जुड़े सवाल पूछें
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बच्चों के उनके स्कूल से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज पूछें और उनके व्यवहार पर भी ध्यान दें। कोई क्लासमेट या सीनियर बच्चा आपके बच्चे को परेशान तो नहीं करता, कहीं बस में साथ जाने वाले बच्चे आपके बच्चे की हंसी तो नहीं करते, ये छोटी-छोटी चीजें बच्चे से उसकी रोजमर्रा की एक्टिविटी से जुड़ी चीजों के जरिए पूछें। अगर आपका बच्चा पहले की तुलना में ज्यादा शांत रहने लगा है, गुमसुम रहने लगा है या बहुत ज्यादा आक्रामक व्यवहार कर रहा है तो आपको बच्चे से इस बारे में पूछने की जरूरत है। मुमकिन है कि बच्चा आपसे बहाना करे और इशु के बारे में बात न करे, लेकिन आप प्यार से उससे बात करते रहें। हो सकता है कि धीरे-धीरे वह अपनी प्रॉब्लम आपसे शेयर करने लगे।
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बच्चों से करें दोस्ती
पेरेंट्स जब बच्चों के साथ उनके दोस्त बनकर रहते हैं तो बच्चे अपनी हर तरह की प्रॉब्लम बिना किसी संकोच के अपने पेरेंट्स से कह पाते हैं। लेकिन यह चीज आज के दौर में काफी मुश्किल हो गई है क्योंकि पेरेंट्स बच्चों के साथ बहुत ज्यादा वक्त नहीं बिता पाते। आज के दौर में ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हैं और सिंगल फैमिली में बच्चे शेयरिंग में उतने सहज नहीं हो पाते।
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एक और अहम बात ये है कि अपने वर्कप्रेशर के कारण पेरेंट्स बच्चों पर रोजमर्रा के काम को लेकर और छोटी-छोटी चीजों को लेकर दबाव बनाते हैं, जिसके चलते बच्चे अपनी प्रॉब्लम्स के बारे में पेरेंट्स से खुलकर नहीं कह पाते। ऐसी स्थितियों में पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी है कि वे बच्चों की मेंटल ग्रोथ के लिए उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं और उनसे रिलैक्स माहौल में उनकी समस्याओं पर बात करें।
हैलिकॉप्टर पेरेंटिंग बंद करें
आजकल बहुत से पेरेंट्स बच्चों की हर छोटी-बड़ी चीज के लिए जरूरत से ज्यादा सक्रिय रहते हैं और लगातार उन्हें मॉनिटर करते रहते हैं कि वे काम ठीक से कर रहे हैं या नहीं। पेरेंट्स के इस व्यवहार से बच्चों पर काफी नेगेटिव असर पड़ता है और वे चिड़चिड़े भी हो जाते हैं। इस स्थिति में कई बार बच्चे पेरेंट्स से अपनी प्रॉब्लम्स शेयर करने के बारे में नहीं सोच पाते। स्कूल की पढ़ाई और रोजमर्रा के कामों के अलावा बच्चों को कुछ वक्त खेलकूद के लिए दें और इस दौरान उन्हें किसी चीज के लिए ना रोकें-टोकें। इससे बच्चे मेंटली रिलैक्स हो पाते हैं और पेरेंट्स के साथ उनकी बॉन्डिंग बेहतर होती है। जाहिर सी बात है कि बेहतर माहौल में बच्चे bullying जैसी समस्या पर पेरेंट्स से ज्यादा सहज तरीके से बात कर पाएंगे।
Cyber Bullying से बच्चों को ऐसे बचाएं
बच्चे Cyber Bullying के शिकार ना हों, इसके लिए उनके बच्चों के गैजेट को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है। ऐसे में बच्चे क्या कुछ सर्फ कर रहे हैं, उसे आप ट्रैक कर पाएंगे। साथ ही जब बच्चों को इंटरनेट सर्फिंग करने की इजाजत थें तो उसे भी बच्चे के लिए सेफ बनाएं। इससे आप बच्चों को साइबर वर्ल्ड के खतरों का सामना करने से सुरक्षित रख सकते हैं।
तो ये आसान और प्रभावी तरीके अपनाएं और अपने बच्चे की बेहतरीन परवरिश करते हुए उसे bullying के बुरे असर से बचाएं।
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