आपने लोगों को जमीन का रजिस्ट्रेशन कराते हुए देखा होगा। इस जमीन की रजिस्ट्री को लेकर आज भी बहुत से लोगों के पूरी जानकारी नहीं होती हैं। सबसे पहले आपको बता दें कि जमीन रजिस्ट्री क्या होती है? जमीन रजिस्ट्री एक कानूनी प्रक्रिया होती है। जिसकी वजह से जमीन का खरीदार जब खरीदी हुई जमीन के पहले मालिक का डॉक्यूमेंटस में से नाम कानूनी तरह से हटवा कर खुद का नाम यानी खरीदार का नाम दर्ज करवाता है फिर वह उस जमीन का मालिक कहलाता है। इसे वह खरीद कर अपने किसी भी कार्य के लिए उपयोग कर सकता है।
जमीन का रजिस्ट्रेशन कराने का एक प्रोसेस होता है जिसमें कई स्टेप्स होते हैं। जमीन का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपके पास कुछ इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट्स होने चाहिए जैसे आपका आधार कार्ड, पैन कार्ड, नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट,अलॉटमेंट लेटर,जनरल पावर ऑफ़ अटार्नी, बैंक डिटेल्स और प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़ी लेटेस्ट रसीद।
आपको बता दें कि जमीन के पंजीकरण के लिए आपको जमीन के रजिस्ट्रेशन का समय पर भुगतान करने के साथ भारी फीस जमा करनी होती है। यह भारी फीस आपकी जमीन के टोटल अमाउंट का 5 से 7 प्रतिशत तक हो सकता हैं। लेकिन अगर आप जमीन की रजिस्ट्री 50 लाख रुपये की करने जा रहे हैं, तो आप कुछ तरीकों से 5 लाख रुपये में से 3.5 लाख रुपये बचा सकते हैं।
यह तो आप जानते ही होंगे कि ज्यादातर पैसा घर का रजिस्ट्रेशन कराने में लग जाता है। लेकिन अगर आप इस पैसे में से कुछ पैसे बचाना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन कराते वक्त ऐसे बचेंगे आपके पैसे-
1) अगर महिलाएं खरीदेंगी प्रॉपर्टी
- यदि कोई महिला अकेले या जॉइंट ही प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए अपना नाम शामिल करती है तो इस कारण से कई राज्य स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट देगा।जो राज्य इसमें छूट देते हैं उनके नाम यह हैं- राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली।
- दिल्ली सरकार के मुताबिक अगर कोई जमीन किसी पुरुष के नाम पर रजिस्टर्ड है तो उसे महिला के नाम पर ही 6 प्रतिशत या 4 प्रतिशत रजिस्ट्री फीस केवल देनी होगी। वहीं रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन पर एक साल के टैक्स में 150,000 रुपये तक की बचत होती हैं।
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2) मार्केट वैल्यू पर रजिस्ट्री शुल्क का भुगतान करें
- ज्यादातर सर्किल रेट ज्यादा होने पर प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू कम होती है। लेकिन मार्केट वैल्यू पर कम स्टांप शुल्क का भुगतान करने के लिए आप सब-रजिस्ट्रार से अपील के लिए लेटर लिखकर स्टांप ड्यूटी पर पैसे बचत कर सकते हैं। यह प्रोविजन स्टेट एक्ट के तहत किया गया है।
- रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार आपके मामले को डीसी अधिकारी के पास भेजता है जो मार्केट वैल्यू के हिसाब से स्टांप शुल्क का असेसमेंट करता है। ऐसे में अगर आप जमीन के खरीदार हैं तो आपको स्टांप ड्यूटी पर बचत का फायदा भी मिलेगा।
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3) अविभाजित भूमि (जिस जमीन का विभाजन न किया गया हो) रजिस्ट्री
- इस तरह की सिचुएशन में खरीदार बिल्डर के साथ दो समझौते करता है। यह होते हैं दो समझौते - पहला होता है बिक्री समझौता और दूसरा निर्माण समझौता।
- बिक्री समझौता तब होता है जब जमीन का विभाजन न किया गया हो और उस हिस्से के लिए रजिस्ट्री करी जा रही हो ।आपको बता दें कि इसमें जमीन की कीमत और जमीन पर निर्माण का शुक्ल इंक्लूड होता है। अविभाजित भूमि खरीदना सस्ता है क्योंकि इसके लिए कोई रजिस्ट्रेशन फीस नहीं है। वहीं निर्माण समझौता तब होता है जब जमीन का विभाजन हुआ हो।
तो यह जानकारी थी जमीन के रजिस्ट्रेशन से संबंधित ।
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Image credit-freepik
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