पैरेंटिंग चुनौतियों से भरा हुआ और जिम्मेदारी का काम है। माता-पिता की भूमिका सिर्फ बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से पूर्ण और विचारशील व्यक्ति बनाना भी उनकी जिम्मेदारी है। हालांकि अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जो हमारे बच्चे के आत्मविश्वास को कमजोर कर सकती हैं। पैरेंटिंग से जुड़ी ऐसी ही कुछ गलतियों को समझकर हम अपने बच्चों को इनका शिकार होने से बचा सकते हैं। आइए नई दिल्ली के आर्टेमिस लाइट एनएफसी के वरिष्ठ सलाहकार एवं प्रमुख मनोचिकित्सा डॉ. राहुल चंडोक से इस विषय मेंविस्तार से जान लेते हैं।
ऐसा करने से बचें
अत्यधिक आलोचना या नकारात्मक प्रतिक्रिया: कुछ माता-पिता अपने बच्चों की तुलना हमेशा अन्य बच्चों से करते हैं और इसी प्रक्रिया में अक्सर अपने बच्चे की आलोचना करते रहते हैं। ऐसा बच्चा खुद को कमजोर और असफल महसूस करने लगता है। इससे उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है।
अनुचित अपेक्षाएं या दबाव: कुछ माता-पिता अपने बच्चे से अनुचित अपेक्षाएं रखते हैं। वे बच्चे की क्षमता को समझे बिना ही उस पर दबाव डालते हैं। इससे बच्चा तनावग्रस्त और असुरक्षित महसूस करने लगता है।
बच्चे की भावनाओं को अनदेखा करना: बच्चों को सख्त अनुशासन सिखाने के चक्कर में कई बार माता-पिता उनकी भावनाओं को अनदेखा कर देते हैं या उन्हें महत्व नहीं देते हैं। इससे बच्चा अपने आप को अकेला और अनसुना महसूस करने लगता है। ऐसा होना उसके आत्मविश्वास को कमजोर करता है।
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अत्यधिक नियंत्रण: कभी-कभी बच्चे की सुरक्षा के नाम पर माता-पिता उन पर बहुत ज्यादा नियंत्रण करने लगते हैं। अनावश्यक बंदिशें बच्चों के मन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इससे बच्चों में संदेह और डर की भावना घर कर जाती है।
हर गलती पर डांटना: गलती हर किसी से हो सकती है। हर गलती पर बच्चे को डांटना उसे दोषी अनुभव कराने लगता है। इससे वह स्वयं को असफल समझने लगता है। बच्चे कुछ भी नया सीखने से कतराने लगते हैं।
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पैरेंटिंग में रखें इन बातों का ध्यान
हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे कच्चे घड़े जैसे होते हैं। उन्हें आकार देने का काम आपका ही है। बच्चे की भावनाओं को समझें, उसे प्रोत्साहित करें और अच्छे कामों पर उसकी प्रशंसा करें। बच्चे को जिम्मेदारी सौंपें और उसे अपनी गलतियों से सीखने का मौका दें। उसे नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे की उपलब्धियों को खुले दिल से स्वीकारें और प्रशंसा करें। सुरक्षा के साथ-साथ उसे आगे बढ़ने का भी मौका दें। यह याद रखें कि हर बच्चा दूसरे से अलग होता है। इसलिए अनावश्यक तुलना करने से बचें।
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