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Astro Tips: मंदिर में जानें से पहले क्यों बजाते हैं घंटा, पंडित जी से जानें

क्‍या है घंटी बजाने का महत्‍व जानें पंडित कैलाश नारायण शर्मा से।
Editorial
Updated:- 2021-02-06, 17:36 IST

मंदिर कें अंदर जानें से पहले घंटी बजाने प्रचलन काफी पुराना है। आमतौर पर सभी ऐसा करते हैं। मगर, क्‍या आपको पता है कि मंदिर में घुसने से पहले घंटी क्‍यों बजाते हैं? अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं तो, आज आप पंडित जी के द्वारा घंटी बजाने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण एवं महत्‍व जान सकते हैं।

उज्‍जैन के पंडित एवं ज्‍योतिषाचार्य कैलाश नारायण शर्मा कहते हैं, 'मंदिर में घुसने से पहले घंटी बजा कर ईश्‍वर का नाम लेने का प्रचलन प्राचीन है। इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व जानने के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि घंटियां कितने प्रकार की होती हैं?'

importance of bell

घंटियों के 4 प्रकार

  • गरूड़ घंटी: यह घंटियां आकार में छोटी होती हैं। अमूमन घर के मंदिरों (मंदिर में रखें इन 7 खास नियमों का ख्‍याल) में इनका इस्‍तेमाल किया जाता है। इसे हाथ से पकड़ कर बजाया जाता है।
  • द्वार घंटी: नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह घंटियां मंदिर के द्वार पर लगाई जाती हैं। इनका आकार छोटा और बड़ा भी हो सकता है। घर के मंदिर में भी इन्‍हें लगाया जा सकता है।
  • हाथ घंटी: घंटी का यह स्‍वरूप प्राचीन है। गोल आकार की प्‍लेट को लकड़ी की छड़ी से पीटा जाता है। इससे जो ध्‍वनि निकलती है वह घंटे या घंटी की ध्‍वनि जितनी ही तेज होती है। अमूमन यह प्‍लेट पीतल की होती है।
  • घंटा: आकार में घंटा बहुत बड़ा होता है। जब यह बजता है तो आवाज कई किलोमीटर तक जाती है। घंटे को अक्‍सर आपने मंदिर के द्वार पर या फिर द्वार से कुछ पहले लगा देखा होगा।

मंदिर में घंटियां लगाने का क्‍या होता है कारण?

पंडित कैलाश नरायण शर्मा कहते हैं, 'मंदिर में घंटी लगाने का केवल धार्मिक महत्‍व नहीं है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। घंटी की तेज आवाज जब वातावरण में गूंजती है तो उससे कंपन पैदा होता है। इससे हवा में मौजूद जीवाणु और सूक्ष्‍म जीव का नाश होता है और वातावरण शुद्ध होता है। ऐसा माना जाता है कि जिस भी स्‍थान पर घंटी की नियमित ध्‍वनि आती है वह स्‍थान हमेशा शुद्ध और पवित्र होता है। इस स्‍थान पर कभी भी नकारात्‍मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं । '

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क्‍या हैं धार्मिक महत्‍व?

पंडित जी घंटी बजाने के 3 धार्मिक महत्‍व बताते हैं।

  • सबसे पहला कारण तो यही है कि घंटी बजाने से देवी-देवता के सामने आप अपनी हाजरी लगाते हैं। ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में मौजूद देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना आ जाती है। इससे पूजा अधिक फलदायक और प्रभावशाली होती है।
  • घंटी की आवाज से मन में अध्‍यात्मिक भाव आते हैं। घंटी की लय से खुद को जोड़ कर देखें आपको शांति (घर में शांति के लिए ये टिप्‍स आजमाएं) महसूस होगी। ग्रंथों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि घंटी बजाने से व्‍यक्ति पापमुक्‍त हो जाता है। हालांकि, यह आपके कर्मो पर भी निर्भर करता है।
  • प्रराणों में जिक्र किया गया है कि सृष्टि की रचना के वक्‍त जो नाद गूंजी थी घंटी उसी का प्रतीक है। आज भी जब घर में किसी का जन्‍म होता है या किसी नए कार्य की शुरुआत की जाती हैं तो घंटी बजा कर लोग खुशी जाहिर करते हैं।

घंटी बजाने के स्वास्थ्य लाभ

पंडित जी की मानें तो घंटी बजाने से आपकी सेहत को भी लाभ होता है।

  • वैसे तो बाजार में आपको कई तरह की घंटियां मिल जाएंगी मगर कैडमियम, जिंक, निकेल, क्रोमियम और मैग्नीशियम से बनी घंटी को बजाया जाए तो इससे निकली ध्‍वनि से मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्से को संतुलित किया जा सकता है।
  • घंटी की गूंज शरीर के सभी 7 हीलिंग सेंटर को सक्रीय कर देती है। इससे मन शांत रहता है।
  • घंटी की ध्वनि मन, मस्तिष्क और शरीर को अलग तरह की सकारात्‍मक ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है।

पंडित कैलाश नारायण शर्मा कहते हैं, ' कहीं-कहीं पुराणों और ग्रंथों में यह प्रमाण मिलते हैं कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगी क्‍योंकि पुराणों में मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।'

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Image Credit:Freepik

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