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यहां महिलाओं पर नहीं पुरुषों पर लगा है बैन

आज हम बात करते हैं ऐसी जगहों के बारे में जहां महिलाओं पर नहीं बल्कि पुरुषों का जाना मना है। ये ऐसी जगह हैं जहां महिलाओं का राज चलता है। आइए जानते हैं इन जगहों के बारे में। 
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-01-11, 17:12 IST

क्यों हमेशा महिलाओं को ही इधर-उधर आने-जाने से टोका जाता है। 

क्यों सोसायटी में हर रोक-टोक महिलाओं पर ही लगाई जाती है। जबकि रोक-टोक कभी भी किसी के ऊपर नहीं करनी चाहिए। वैसे चाहने के लिए तो बहुत सारी बातें ऐसी अपने तरीके से होनी चाहिए की लोगों को बुरा ना लगे। लेकिन कभी भी कुछ भी अपनी मर्जी से कुछ हुआ है। खैर इस पर कभी और बात करते हैं। 

आज हम बात करते हैं वैसी जगहों के बारे में जहां महिलाओं का नहीं बल्कि पुरुषों के जाने पर बैन लगा है। 

जी, सही पढ़ा आपने। इन जगहों पर पुरुषों पर बैन लगा हुआ है। मतलब कि यहां पुरुष नहीं जा सकते। लेकिन खुश होने की बात नहीं है। जब आप इन जगहों के पीछे की सच्चाईयों को पढ़ोगे तो खुद को ही ठगा हुआ महसूस करेंगे। लेकिन लॉजिक को देखेंगे और इन जगहों की महिलाओं की इच्छा शक्ति को देखेंगे तो एक अच्छा एहसास भी होगा। फिर खुद से यही बोलेंगे की महिलाओं के लिए सच में कुछ भी नामुमकिन नहीं।

खैर अब इधर-उधर की बातें छोड़ते हैं और सीधे मुद्दे पर आते हैं। बात करते हैं ऐसी जगहों के बारे में जहां पुरुषों का जाना मना है औऱ साथ में जानते हैं इसका कारण भी। 

मणिपुर का मदर्स मार्केट

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सबसे पहले नम्बर पर आता है मणिपुर का मदर्स मार्केट। इस मार्केट में पुरुषों के आने-जानें पर पूरी तरह से पाबंदी है। मणिपुर का ये मार्केट इम्फाल में स्थित है। इसबाजार में भी विक्रेता जोर-जोर से आवाज देकर अपना सामान बेचते हुए नहीं बल्कि बेचती हुई नजर आती हैं। और यहां खरीदारी के लिए भी ग्राहक केवल महिलाएं ही आती हैं। अब ये मत सोचिएगा कि यहां तो फिर भीड़ नहीं होती होगी... जैसे कि दिल्ली में चलने वाली लेडिस स्पेशल बस खाली चलती है।

लेकिन ये लेडिस स्पेशल बस नहीं है। ये मणिपुर को लोकर मार्केट है जहां महिलाओं की खूब भीड़ होती है। इस बाजार का नाम IMA Keithal है जो

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इम्फाल में है। यह बाजार 500 साल से भी पुराना है , जिसे मदर्स मार्केट के नाम से भी जाना जाता है। यहां केवल शादी-शुदा महिलाएं ही अपनी दुकान लगाती हैं। कई बार पुरुष इस बाजार तो तोड़ने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन महिलाएं हमेशा एक-जुट होकर मार्केट की रक्षा के लिए उतर जाती हैं। इसे एशिया की ही नहीं पूरी दुनिया की सबसे बड़ी मार्केट माना जाता है।

रेप पीड़ित महिलाओं का गांव- उमोजा 

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अब बात करते हैं ऐसे गांव की जहां केवल महिलाएं ही रहती हैं। इस गांव की खासियत है कि इसे महिलाओं ने ही बसाया है। वो भी उन महिलाओं ने जिनका रेप हो गया था और उन्हें गांव से बाहर निकाल दिया गया था। 

जब आप पहली बार इस गांव को देखेंगी तो ये गांव आपको बाकी के गांव की तरह ही सामान्य लगेगा। यहां महिलाएं हैं। खेलते हुए बच्चे हैं। बस फर्क केवल इतना है कि यहां पुरुष नहीं दिखेंगे। हां रेप विक्टिम, घरेलू हिंसा की सरवाइवर्स और घर से निकाली गई महिलाएं रहती हैं। यह गांव केन्या में है। इस गांव को 1990 में 15 महिलाओं ने मिलकर बसाया था। इन महिलाओं का ब्रिटिश सैनिकों ने रेप कर दिया था और उसके बाद इन्हें गांव से बाहर निकाल दिया गया था। तब इन महिलाओं ने गांव से बाहर अपना एक गांव बसाया। अब इस गांव की महिलाएं ज्वैलरी बनाती हैं और टूरिस्ट इन्हें खुशी से खरीदते हैं।

देखा इसे कह ते हैं इच्छा शक्ति। महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं। 2015 में ''द गार्जेन'' में एक छपी रिपोर्ट के अनुसार यहां 47 महिलाएं और 200 बच्चे रहते हैं। यहां रहने वाली लड़कियां वमहिलाएं अपने आपको उन क्रूर प्रथाओं, जैसे जेनेटिल म्यूटिलेशन से बचाव में भी कामयाब हो गई हैं। यहां बाल-विवाह भी नहीं होते। मतलब की 15 महिलाओं की रेप की घटना बाकी की पीढ़ी के लिए एक तरह का वरदान साबित हुई।

पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर

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अब बात करते हैं दुनिया के इकलौते ब्रह्मा मंदिर की जहां पुरुषों के जाने की मनाही है। यहां केवल कुंवारे पुरुष जा सकते हैं। शादी-शुदा पुरुषों का अंदर जाना मना है। वैसे तो ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती लेकिन जिन पुरुषों की शादी हो गई है वे यहां ब्रह्माजी के दर्शन करने भी नहीं आ सकते।

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कन्याकुमारी मंदिर, तमिलनाडु

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नाम से ही जाहिर है कि ये कुमारी कन्या का मंदिर है। इसलिए इस मंदिर के अंदर कुंवारे पुरुषों के जाने की मनाही है। मान्यता है कि जब विष्णु भगवान ने देवी सती केशरीर को खंडित किया था तो उनकी रीढ़ की हड्डी इस जगह पर गिरी थी। जिसके कारण ये शक्तिपीठ माना जाता है। माना जाता है कि यहां भगवती देवी का वास है और वो संयासी हैं, इसलिए यहां कुंवारे पुरुषों के जाने की मनाही है।

इसी तरह की और भी कई जगहें हैं जहां पुरुष नहीं जा सकते। 

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