कनाडा से आई नोरा फतेही अब भारत की दिलबर गर्ल बन चुकी हैं। ये वही नोरा हैं जो 2014 से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उन्हें सफलता मिलने में इतना समय लग गया। मायानगरी मुंबई आने वाले लोगों में एक अलग सा जज्बा होता है। उन्हें अपनी एक अलग पहचान बनानी होती है पर फिल्म इंडस्ट्री लोगों के लिए इतनी अच्छी भी साबित नहीं होती। सफलता की सीढ़ी चढ़ने से पहले उन्हें सालों अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ना होता है। लाखों की भीड़ में से एक कोई सफल हो पाता है।
कुछ-कुछ ऐसा ही नोरा फतेही के साथ हुआ है। ये कनाडाई ब्यूटी हिंदी सिनेमा के साथ 2014 से जुड़ी है और सक्सेस उन्हें मिली 2018 में आई फिल्म 'सत्यमेव जयते' के गाने 'दिलबर' से। उसके बाद से ही नोरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। वो एक बहुत ही ज्यादा टैलेंटेड एक्ट्रेस और डांसर हैं और उन्हें अब धीरे-धीरे उनके काम के लिए पहचाना जा रहा है। जॉन अब्राहम की फिल्म 'बाट्ला हाउस' में तो उन्होंने एक छोटा सा रोल भी निभाया है।
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नोरा ने हाल ही में Bollywoodlife को दिए अपने इंटरव्यू में अपने स्ट्रगल वाले दिनों का खुलासा किया है। नोरा अपने साथ सिर्फ 5000 रुपए लेकर मुंबई आई थीं। हालांकि, जिस एजेंसी के साथ वो काम कर रही थीं उस एजेंसी से उन्हें हफ्ते के 3000 रुपए मिलते थे। उन्हें अपना दैनिक रूटीन उसी 3000 में मैनेज करना होता था। मुंबई के बारे में एक बात मैं आपको बता दूं कि मुंबई ऐसी जगह नहीं है जहां कम पैसे में अपनी बॉलीवुड वाली लाइफस्टाइल मेनटेन की जा सके। नोरा ऐसे खर्च चलाती थीं कि हफ्ते के अंत में भी उनके पास पैसे रहें।
नोरा के साथ एक और समस्या सामने आई थी। उनकी ऐसी हालत हो गई थी कि उन्हें भारत छोड़कर कनाडा जाना पड़ा क्योंकि उनका पासपोर्ट चोरी हो गया था। वो शुरुआत में 8 लड़कियों के साथ रूम शेयर करती थीं और उस समय उन्हें पता चला कि उनका पासपोर्ट चोरी हो गया। इसलिए कुछ समय के लिए डिपोर्ट होकर वापस कनाडा जाना पड़ा। पर फिर दोबारा वो वापस आईं।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नोरा ने 20 लाख का घोटाला भी झेला। ये उनकी अपनी एजेंसी ने किया था जिसके साथ वो काम कर रही थीं। नोरा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि जो एजेंसी उन्हें भारत लेकर आई थी उसके लोगों का बर्ताव और वहां के नियम ज्यादा अच्छे नहीं थे। नोरा इतनी परेशान हो गई थीं कि वो इसे छोड़ना चाहती थीं। इसी के चलते जब उन्होंने एजेंसी वालों से बात की तो उन्होंने कहा कि नोरा का पैसा उन्हें नहीं दिया जाएगा। उस समय विज्ञापन की कमाई से नोरा ने 20 लाख कमा लिए थे, लेकिन परेशानी के चलते उन्होंने इस पैसे को जाने दिया।
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उनका कहना था कि भारत में विदेशी लोगों के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी की जाती हैं। जब शुरुआत में उन्होंने हिंदी सीखनी शुरू की थी तब ऑडीशन बहुत बुरे होते थे और लोग उनपर हंसा करते थे। एक एजेंट ने उनसे कहा था कि भारत उनके लिए नहीं है और उन्हें चले जाना चाहिए। नोरा ने कहा कि वो ऑडीशन से वापस आते समय बहुत रोती थीं।
जहां से नोरा ने शुरू किया था वहां से लेकर अब तक वो बहुत आगे बढ़ चुकी हैं। वो 'कमरिया', 'दिलबर', 'साकी-साकी' जैसे गानों के लिए फेमस हैं। अपने करियर में वो और कई मुकाम हासिल करना चाहती हैं।
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