Feminism ये शब्द पिछले कुछ सालों से काफ़ी ट्रेंड कर रहा है। आम जनता से लेकर बॉलीवुड सेलेब्स तक हर कोई इस बारे में अपनी अलग-अलग राय देता है। कोई अपने आपको बड़े हक़ से फेमिनिस्ट मानता है तो किसी को लगता है कि महिलाओं को लेकर सजगता ज़रूरी है मगर इसके लिए पूरी तरह फेमिनिस्ट होना सही नहीं है। ऐसी ही एक राय इसी साल जुलाई में फ़िल्म 'मुन्ना माइकल' के साथ अपना बॉलीवुड डेब्यू करने वालीं निधि अग्रवाल की भी है। निधि, जो अपने आपको एक आम लड़की मानती हैं, इनका कहना है कि 'Feminism' शब्द होना ही नहीं चाहिए।
निधि ने हमसे ख़ास बातचीत के दौरान कहा, "मैं 'Feminism' को नहीं बल्कि equality को मानती हूं। मुझे इस शब्द (feminism) से ही प्रॉब्लम है, कहने की क्या ज़रूरत है जब दिखता ही है कि सब इक्वल हैं। इसके लिए किसी शब्द की क्या ज़रूरत? हमें बनाया ही इक्वल है, मुझे लगता है 'feminism' वर्ड ही नहीं होना चाहिए"
"मेरा मानना है कि सब कुछ एक होना चाहिए, अगर लड़की लड़के को थप्पड़ मार सकती है तो, लड़के भी मार सकते हैं," निधि ने कहा। निधि ने हमसे बॉलीवुड इंडस्ट्री में महिलाओं को रिप्रेजेंट करने के तरीके के बारे में भी बात की। निधि कहा कहना था कि रिप्रेजेंटेशन सबसे पहले कंटेंट पर डिपेंड होता है और फिर सामने वाले के नज़रिए पर। निधि ने उदहारण देते हुए कहा, “जैसे किसी मैगज़ीन का कवर पेज, अगर उस पर कोई अभिनेत्री शॉर्ट ड्रेस में है तो, यहां उसका कॉन्फिडेंस भी दिखाई देता है और यही लोगों को समझने की ज़रूरत है।“
निधि खुद इस इंडस्ट्री में नई हैं और उनका कहना है कि अगर वो हीरोइन बन सकती हैं तो कोई भी बन सकता है। निधि ने न्यूकमर को कुछ टिप्स भी दिए। निधि ने कहा, “अगर आप कोई सपना देख रहे हैं तो उसे पूरा करने के लिए आपको बस एक क़दम उठाना है। यह क़दम आपको उठाना ही होगा और खुद पर विश्वास रखना होगा कि इसके आगे सब कुछ अच्छा ही होगा। मैंने अगर मॉडलिंग शुरू नहीं की होती तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती, हालांकि, मुझे अभी और आगे जाना है। मगर, हां आप उस एक क़दम से डरो मत, बस मेहनत करो और आगे बढ़ो।“
आपको बता दें कि equality और मेहनत को अपना गुरु मानने वाली निधि अग्रवाल की ब्यूटी आइकॉन ऐश्वर्या राय बच्चन हैं और रियल लाइफ में वो ऐश्वर्या के अलावा दीपिका पादुकोण से भी काफ़ी प्रभावित हैं। Feminism पर वैसे, तो कई बयान आते हैं मगर निधि का यह बयान आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगा कि क्या सच में यह शब्द 'Feminism' होना चाहिए या नहीं? आपका क्या कहना है?
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