क्या कानून महिलाओं को रेपिस्ट्स को जान से मारने की इजाजत देता है? जानें क्या है सच

सेक्शन 233 के तहत महिलाओं को रेपिस्ट्स को जान से मारने का अधिकार हासिल है, क्या है इस खबर का पूरा सच, जानिए।

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इन दिनों एक खबर वायरल हो रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि सेक्शन 233 के तहत महिलाओं को ये अधिकार है कि वे रेपिस्ट्स को जान से मार सकती हैं, उनके सेक्शुअल पार्ट को चोटिल कर सकती हैं और इसमें उन्हें हत्या का दोषी नहीं माना जाएगा। दावा किया जा रहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ये नया बिल पास किया है, जिसमें महिलाओं को रेपिस्ट्स या रेप की कोशिश करने वालों को मारने का अधिकार है।

महिलाओं को रेपिस्ट को जान से मारने है?

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शेयर की जा रही वायरल खबर में कहा जा रहा है, 'आखिरकार आज मोदी सरकार ने एक नया कानून पास किया है। Indian Penal Code के सेक्शन 233 के अनुसार एक एक लड़की का रेप हो रहा है या फिर उसके रेप का संदेह हो तो महिला को यह सुप्रीम अधिकार है कि वह उस व्यक्ति को मार सकती है, उसके सेक्शुअल पार्ट को चोटिल कर सकती है या फिर उस व्यक्ति को खतरनाक तरीके से नुकसान पहुंचा सकती है और इसमें उसे मर्डर का दोषी नहीं माना जाएगा।'

पूरी तरह झूठी है ये वायरल खबर

हैदराबाद रेप केस पर पूरे देश में विरोध होने के बाद से यह खबर वायरल हो रही है। बहुत से लोग बिना इस खबर को बिना जांचे-परखे इसे शेयर कर रहे हैं और इसे सच मान रहे हैं, लेकिन पड़ताल में पाया गया कि यह खबर सरासर झूठ है। इस खबर में आईपीसी की धारा 233 में जो कुछ बताया गया, उसका क्राइम अगेंस्ट वुमन से कोई लेना-देना नहीं है। इस धारा का ना तो रेप को रोकने के लिए बने किसी कानून से कोई लेना देना है और ना ही इसमें किसी सेल्फ डिफेंस प्रोविजन का जिक्र है, जिसे महिलाएं रेप होने की स्थिति में अपने हक में इस्तेमाल कर सकती हैं।

सच ये है कि आईपीसी का सेक्शन 233 जाली सिक्के बनाने और उन्हें बेचने से जुड़ा है। पीआईबी की तरफ से भी एक ट्वीट आया है, जिसमें इस मैसेज को फेक यानी झूठा करार दिया गया है। वहीं सेक्शन 96 से 100 की धाराओं के तहत प्राइवेट डिफेंस का अधिकार आता है।

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प्राइवेट डिफेंस का अधिकार

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सुप्रीम कोर्ट के वकील राहुल राठौर से हमने इस मामले पर बात की और उन्होंने कहा कि अगर महिलाओं को जान का खतरा महसूस होता है या फिर उन्हें कोई जान से मारने का प्रयास कर रहा है तो उसे आईपीसी के सेक्शन 96 से 106 की धाराओं के तहत डील किया जाता है। इन धाराओं के तहत यह साफ कहा गया है कि अगर किसी के हाथों मारे जाने का खतरा हो और इंसान सेल्फ डिफेंस में ऐसा कदम उठाता है, जिससे आरोपी की मौत हो जाती है तो उसे प्राइवेट डिफेंस के तहत देखा जाता है। लेकिन इन धाराओं से किसी को भी जान से मारने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। इस मामले में जज परिस्थितियों को एनालाइज करते हुए कोई भी फैसला सुनाते हैं।

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फेक न्यूज से बचें

आज के समय में रेप ही नहीं, बल्कि महिला सुरक्षा, हत्या आदि से जुड़े कई सनसनीखेज मैसेज बहुत कम समय में वायरल हो जाते हैं। इस तरह के मैसेज लोगों में भय पैदा करते हैं और गलत जानकारी शेयर करते हैं, जिनसे फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होता है। ऐसे में किसी भी खबर पर यकीन करने से पहले उसका सोर्स जानना बहुत जरूरी है।

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर उनका सजग होना बेहद जरूरी है। उकसाने और भड़काने वाली खबरों पर आंख मूंदकर यकीन ना करें, साथ ही अपनी अपनी तरफ से भी किसी संवेदनशील मैसेज को बिना जांच-पड़ताल के फॉर्वर्ड ना करें।

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