नवरात्रि का सातवां दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। बहुत सारे हिंदू परिवारों में इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन दुर्गा जी के सातवें स्वरूप देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है।
आपको बता दें कि देवी जी का यह स्वरूप शनि ग्रह से संबंधित है। अगर आपका शनि भारी है तो ता आप नवरात्रि के सातवें दिन देवी काल रात्रि की पूजा कर शनि ग्रह को शांत कर सकती हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैया आदि के दुष्प्रभाव को देवी कालरात्रि की पूजा करके शांत किया जा सकता है।
शुभ मुहूर्त
देवी कालरात्रि की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 12 अक्टूबर को सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक रहेगा।
शुभ रंग- लाल
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कैसे करें देवी कालरात्रि को प्रसन्न
देवी काल रात्रि को प्रसन्न करने के लिए आपको उनकी पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होती हैं और आपके साथ सभी कुछ शुभ होता है। देवी कालरात्रि को कृष्ण तुलसी, काली मिर्च और काले चने का भोग लगा सकती हैं। वैसे देवी को गुड़ आति प्रिय है तो आप देवी को प्रसन्न करनें के लिए उन्हें गुड़ जरूर चढ़ाएं। वहीं देवी को उनका मनपसंद भोग लगा कर आप अपने मन से नकारात्मक सोच और घर को नकारात्मक ऊर्जा(फेंगशुई से दूर करें घर की नेगेटिविटी) से बचा सकते हैं। वैसे आप देवी कालरात्रि को उनका प्रिय मंत्र का जाप करके भी प्रसन्न कर सकते हैं। मां कालरात्रि का यह मंत्र आपका कल्याण करेगा।
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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माता कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि का स्वरूप जितना भयावह है उतना ही उनका मन कोमल है। मां कालरात्रि की पूजा भत प्रेत, राक्षस, अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय रात्रि भय आदि समस्याओं के निदान और मनुष्य को डरमुक्त करने के लिए की जाती है। आपको बता दें कि देवी कालरात्रि की पूजा में किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। देवी कालरात्रि की पूजा हमेशा ब्रह्म मुहूर्त(क्या होता है ब्रह्म मुहूर्त) में ही की जाती है। वहीं तांत्रिक देवी की पूजा आधी रात में भी कर सकते हैं।
अगर आप इस बार देवी कालरात्रि की पूजा करने जा रहे हैं तो आपको सुबह सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान कर लेना चहिए। देवी कालरात्रि को तेल का दीपक ही जलाकर उनका पूजन करें और उन्हें लाल रंग का पुष्प चढ़ाएं। अगर आपकी राशि सिंह है तो आपको माता कालरात्रि की उपासना जरूर करनी चाहिए।
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