नवरात्रि का पंचवा दिन स्कंदमाता का दिन होता है। यह देवी दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं। स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। अगर आप नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा करती हैं तो आपको बुद्धी, ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं स्कंदमाता की पूजा करने से आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधरती है। आपको आपके कार्य में लाभ प्राप्त होता है। इस बार स्कंदमाता की पूजा 10 अक्टूबर 2021 को की जाएगी।
अगर आप इस ग्रे कलर के कपड़े पहने कर देवी जी की पूजा करती हैं तो यह बहुत ही शुभ होता हे। पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘नवरात्रि के पांचवे दिन अगर आप देवी के पांचवे स्वरूप की पूजा करती हैं तो आपकी समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं।’
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देवी स्कंदमाता की पूजा के लिए 10 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04:40 से 05:29 तक का समय और अभिजित मुहूर्त में सुबह 11:45 से दोपहर 12:31 तक का समय सही रहेगा।
शुभ रंग- सफेद रंग
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा के लिए आपको मंत्र उच्चारण के साथ उन्हें 7 इलाइची और केले का प्रसाद लगाना चाहिए। आपको बता दें कि स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे अच्छा समय दिन का दूसरा पहर होता है। आपको इनकी पूजा के लिए चंपा के फूलों का प्रयोग करना चाहिए।
दुर्गा जी के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता को मूंग से बना मिष्ठान पसंद है। इसलिए स्कंदमाता को आप मूंग दाल की बर्फी या हलवा भी भोग में चढ़ा सकती हैं। साथ ही आपको देवी जी को हरे रंग की कांच की चूडि़यां भी चढ़ानी चाहिए। पारिवारिका शांति के लिए लोगों को स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
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स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही सुंदर है। वह हमेशा शेर पर सवार रहती हैं। अपनी चार भुजाओं में से दाईं वाली भुजा से वह स्कंद को गोद में रख कर बैठी हुई हैं। वहीं दूसरी भुजा से वह कमल का फूल पकड़े हैं। अगर आप मां के इस स्वरूप को केसर डालकर खीर का प्रसाद चढ़ाती हैं तो यह बहुत फलदायक होता है।
पंडित जी कहते हैं, ‘स्कन्दमाता वो दैवीय शक्ति है,जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं। उनका यह मंत्र जरूर जपना चाहिए।’
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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