
हमारे देश की हर चीज में आपको हाथों की कला का समागम मिलेगा। खाने से लेकर दीवारों की कलाकृतियों तक और पहनावे से लेकर बोली तक सभी अनूठे होते हैं। भारतीय सभ्यता में हमेशा पहनावे को बहुत महत्व दिया गया है।
हर प्रांत का अपना अलग पहनावा होता है और वहां के कलाकार उस पहनावे को अलग तरह से बनाते हैं। यहां पर हैंडलूम साड़ियों और कपड़ों की भी बहुत मांग होती है। हैंडलूम को बहुत ही कीमती माना जाता है। इसलिए उनकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है जैसे- राजस्थानी चीजें काफी महंगी होती हैं।
हैंडलूम चीजों को बनाने में मेहनत के साथ-साथ काफी मेहनत लगती है। हाथ से चीजों को बनाना आसान नहीं है। यही वजह है कि भारत में हैंडलूम दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं कि हैंडलूम दिवस क्यों मनाया जाता है।

हैंडलूम दिवस पर बात करने से पहले यह समझने की कोशिश करते हैं कि हैंडलूम किसे कहते हैं। हैंडलूम यानी हाथ से बनी हुई चीजें, जिसे बनाने के लिए मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। हैंडलूम के उत्पाद काफी प्रसिद्ध है, जिसमें बेड शीट (कैसे खरीदें एक परफेक्ट बेडशीट), टॉवल, रूमाल, कपड़े की कतरन, तकिया कवर आदि शामिल हैं। हैंडलूम की चीजों को बनाने के लिए अच्छी क्वालिटी का इस्तेमाल किया जाता है।
इसे जरूर पढ़ें- असली हैंडलूम का पता कैसे लगाएं? जानिए सही खरीदारी की टिप्स
यह दिवस भारत के लिए काफी मायने रखता है, जिसे 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा (हैंडलूम) दिवस मनाया जाता है। अब सवाल यह है कि 7 अगस्त को ही हैंडलूम दिवस क्यों मनाया जाता है? ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन स्वदेशी आंदोलन के रूप में चुना गया था। यह दिन हमारे इतिहास का बहुत ही खास दिन माना जाता है।

बता दें कि 1905 में लार्ड कर्ज़न ने बंगाल के विभाजन की घोषणा की, तब कोलकाता के टाउन हॉल में एक महा जनसभा से स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इसकी दिन को याद करते हुए 2015 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।

भारत के कई राज्य ऐसे हैं, जो खास हथकरघा यानी हैंड-वर्क चीजों को बनाने के लिए जाने जाते हैं जैसे- आंध्र प्रदेश की कलमकारी, गुजरात की बांधनी, तमिलनाडू का कांजीवरम और महाराष्ट्र की पैठनी आदि। इससे यह बात साफ है कि हैंडलूम भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी भी समान होती है।
इसे जरूर पढ़ें- हैंडीक्राफ्ट की शॉपिंग के लिए बेस्ट हैं दिल्ली की ये बेहतरीन जगहें
इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हथकरघा से बनी चीजें देश के हर हिस्से तक पहुंचे, ताकि बुनकर समुदाय को मेहनत का फल मिले। अगर बुनकर समुदाय को लाभ नियमित रूप से नहीं मिलेगा, तो देश का बड़ा हिस्सा प्रभावित हो सकता है।
हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर आपके मन में स्टोरी से संबंधित कोई सवाल है, तो हमें नीचे कमेंट करके बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।