herzindagi
hindu weddings mandaps

यहां मुस्लिम कलाकार ही तैयार करते हैं हिन्दुओं के विवाह मंडप

यहां मुस्लिम कलाकर हिन्दुओं के लिए विवाह मंडप तैयार करते हैं जिसमें हजारों हिन्दू जोड़े एक-दूसरे के जीवन साथी बनने की कसमें लेते हैं। 
IANS
Updated:- 2018-11-28, 16:09 IST

यहां मुस्लिम कलाकर हिन्दुओं के लिए विवाह मंडप तैयार करते हैं जिसमें हजारों हिन्दू जोड़े एक-दूसरे के जीवन साथी बनने की कसमें लेते हैं। 

मुस्लिम समुदाय के कारीगर सदियों से जिस कलात्मकता का इस्तेमाल कर्बला की जंग की याद में निकाले जाने वाले शोक जुलूस में शामिल होने वाले ताजिए के लिए करते रहे हैं, उसी कलात्मकता का उपयोग वे अब हिंदुओं का विवाह मंडप बनाने में कर रहे हैं। विवाह मंडप को वे कर्बला के मकबरे का शक्ल दे रहे हैं। ये कारीगर अधिकांश शिया मुसलमान हैं। 

हजारों हिन्दू जोड़े लेते हैं जीवन साथी बनने की कसमें 

कर्बला की जंग सातवीं शताब्दी में हुई थी जिसमें पैगंबर मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन अली मारे गए थे। उनकी याद में इराक के कर्बला शहर में एक मकबरा बनवाया गया है जहां की मस्जिद दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में एक है। यह शिया मुसलमानों का पवित्र स्थल है। ताजिया इसकी ही प्रतिकृति है जिसके साथ हर साल मुहर्रम में ताजिया जुलूस निकाला जाता है। 

ताजिया की शक्ल में बने मंडपों में सैकड़ों हिंदू जोड़े जीवन-साथी बनने की कसमें ले चुके हैं। विवाह मंडप ही नहीं जन्मदिन की पार्टियों के लिए भी समारोह-स्थल को सजाने के लिए इस कलात्मकता का उपयोग होने लगा है। 

कारीगर मोहम्मद बिलाल अजीमुद्दीन ने उदयपुर किरण से बातचीत में कहा, भारत में ताजिया बनाने की कला मध्य एशिया से आई और मुगल शासन के दौरान इसका प्रसार हुआ। बिलाल ने बताया कि हाल ही में उन्होंने मुंबई के होटल ग्रैंड हयात में हिंदू विवाह का एक मंडल बनाया है। 

hindu weddings mandaps

उन्होंने कहा, ग्राहक हमसे कुछ उत्कृष्ट डिजाइन की अपेक्षा रखते हैं। उन्होंने कहा कि कला के इस क्षेत्र में जाति या वर्ग कोई मायने नहीं नहीं रखता है। 

उन्होंने कहा, हमारी डिजाइन का इस्तेमाल हिंदुओं के विवाह समारोह और बच्चों के जन्मदिन की पार्टियों में भी होता है। ग्राहक सजी हुई मीनार को पसंद करते हैं। मीनार की आकृति ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया है और इसका चलन पूरे देश में देखा जा रहा है। 

उन्होंने बताया कि कला के कई कद्रदानों ने अपने घरों, दफ्तरों में थीम पार्टी और कॉरपोरेट कार्यक्रमों में सजावट के लिए ताजिया से प्रेरित मीनार और बत्तियों का इस्तेमाल किया है। 

मूल रूप से ये कारीगर मुहर्रम का जुलूस निकालने के लिए ताजिया बनाते हैं। मुसलमान समुदाय के लिए असल में यह शोक का प्रतीक है इसलिए कारीगर ताजिया बनाने के लिए कोई कीमत नहीं लेते हैं। मोहम्मद बिलाल अजीमुद्दीन कहते हैं-यह तो खुदा की सेवा है। 

Read more: साइना नेहवाल बनेंगी दुल्हन, ऐसा दिखता है उनका शादी का कार्ड

अपने समुदाय में अजीमुद्दीन भाई के नाम से चर्चित बिलाल ने यह शिल्प कला अपने पिता से सीखी है। 

उन्होंने अपनी इस शिल्प कला को व्यावसायिक परियोजना का रूप दे दिया है जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है। 

इस ताजिया समुदाय की किस्मत तब बदली, जब देश की एक अग्रणी डिजाइनर गीतांजलि कासवालीवाल ने पहली बार जयपुर में ताजिया जुलूस देखा और उन्होंने इस शिल्प को प्रसारित करने का फैसला किया। 

गीतांजलि की स्वामित्व वाली संस्था अनंत्या अत्याधुनिक डिजाइन के फर्नीचर, कपड़े व अन्य वस्तुएं बनाने के लिए दुनियाभर में चर्चित है और इसे यूनेस्को पुरस्कार भी मिल चुका है। अनंत्या सदियों पुराने स्थानीय शिल्प के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। 

hindu weddings mandaps

वह सड़कों पर ताजिया देखकर आकर्षित हुईं, इसके तुरंत बाद उनके पति की कंपनी एकेएफडी स्टूडियो को जब जयपुर विरासत हेरिटेज फेस्टिवल-2007 के दौरान पूरे शहर में मार्कर बनाने का ऑर्डर मिला तो उनके मन में शहर के लिए ताजिया-प्रेरित डिजाइन का उपयोग करने का विचार आया। 

गीतांजलि ने उदयपुर किरण से बातचीत में कहा, हम इस कार्यक्रम के लिए मूर्ति जैसी कुछ कलाकृतियां पेश करना चाहते थे जिससे मेहमान सांस्कृतिक शिल्प के बेहतरीन नमूने देखकर उनका आनंद उठा सकें। ताजिया कारीगरों को यह काम सौंपा गया क्योंकि वे इस शिल्प के उस्ताद थे और प्रोजेक्ट के प्रमुख अजीमुद्दीन भाई थे। नौ बच्चों को साथ लेकर वे इस कार्य को पूरा करना चाहते थे। उन्होंने इस कार्य में अपनी बेहतरीन डिजाइन और हुनर पेश किया जिससे उनको नाम और शोहरत के साथ-साथ धन भी मिला। 

इसके बाद गीतांजलि ने अपनी बेटियों की जन्मदिन पार्टियों प्लास्टिक के गुब्बारे सजाने के बजाय, ताजिया प्रेरित सजावट की। ताजिया कारीगरों ने अपने हाथों से पार्टी स्थल को सजाया। 

गीतांजलि ने इस शिल्प कला को आगे प्रसारित करने का फैसला किया और कारीगरों को वर्ष 2009 में नई दिल्ली में अपनी बहन की शादी में विवाह मंडप सजाने का काम सौंपा। 

गीतांजलि ने कहा, उन्होंने इस काम को पूरे तन मन से किया, जिससे उन्हें अद्भुत प्रतिक्रिया मिली। हर कोई इन डिजाइनों की बात कर रहा था जिसके बाद उनकी कला को पंख लग गए और उसका इतना प्रसार हुआ कि अब वह बुलंदियों पर है। 

 

उन्होंने कहा मुस्लिम कारीगरों द्वारा विवाह का मंडप सजाए जाने से हमारे परिवार में किसी ने कोई आपत्ति नहीं दर्ज की। सबने सजावट में उनकी निष्ठा और लगन की तारीफ की। 

इस कहानी का एक और सकारात्मक पहलू यह है कि ताजिया कारीगर जो कलाकृति बनाते हैं उसमें कागज और बांस का इस्तेमाल होता है जो पारिस्थितिकी संतुलन का महत्वपूर्ण संदेश देता है। 

बिलाल ने बताया कि मंडप या पार्टी स्थल के आकार के अनुसार उनका पारिश्रमिक तय होता है जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कितना काम करना होगा और उसके लिए कितने लोगों की जरूरत होगी। 

बिलाल ने कहा, हमारे काम को देखकर ही हमें राजस्थान हेरिटेज वीक फेस्टिवल में सजावट का काम मिला। भारत में 2009 में जब आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो के प्रतिनिधिमंडल आए थे तो हमने डिजाइन किया था।  हमने बांस से स्टेज बनाया था जिसकी काफी तारीफ की गई थी। 

बिलाल ने कहा हम यही चाहते हैं कि सभी जातियों और समुदायों के लोग हमारे काम की तारीफ करें और दूसरों को भी इसके बारे में बताएं। इसके सिवा एक कमाने-खाने वाले कारीगर को और क्या चाहिए?

 

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।