ऑनलाइन हैरेस्मेंट के खिलाफ मालिनी अग्रवाल का IgnoreNoMoreOnline कैम्पेन, जानिए इसकी पूरी कहानी उनकी जुबानी

मिस मालिनी की फाउंडर मालिनी अग्रवाल ने एक सशक्त ऑनलाइन कैम्पेन शुरू की है जिसका नाम है #IgnoreNoMoreOnline, इसे लेकर मालिनी ने हरजिंदगी से एक्सक्लूसिव बातचीत की। 

ignore no more online

ऐसा कितनी बार हुआ है कि किसी सेलेब को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा हो? इस सवाल के जवाब में शायद आप कहेंगे कि ये तो आम बात है। यकीनन सेलेब्स को ट्रोल करना आम है, लेकिन क्या फीमेल सेलेब्स और इन्फ्लूएंसर्स को रेप की धमकी देना, ऑनलाइन उनपर अभद्र कमेंट्स करना, उन्हें किसी भी तरह की गाली देना और उनके कपड़ों से लेकर उनकी शक्ल तक पर बुरे कमेंट्स करना भी आम है? अगर आपको ये आम लगता है तो यही सबसे गलत बात है।

अगर कोई फीमेल कॉमेडियन ऑनलाइन अपनी राजनीतिक सोच उजागर करती है तो सबसे पहले उसे रेप की धमकी दी जाती है, कोई एक्ट्रेस अगर बिकिनी में तस्वीर शेयर कर दे तो उसके शरीर को ऑब्जेक्टिफाई किया जाता है और साथ ही साथ उसे न जाने कितने लोग अश्लील मैसेज भेजते हैं। यही नहीं अगर कोई आम लड़की भी अपनी प्रोफाइल पब्लिक कर दे तो ऑनलाइन ट्रोल्स उसे भी नहीं छोड़ते। अपने फेसबुक प्रोफाइल के फिल्टर मैसेज में न जाने ऐसे कितने ही कमेंट्स मैंने भी देखे हैं। इन्हीं सब चीज़ों को अब नजरअंदाज करना सही नहीं है, यही कारण है कि ऑनलाइन #IgnoreNoMoreOnline कैम्पेन चलाई जा रही है।

Missmalini की क्रिएटर मालिनी अग्रवाल ने इस कैंपेन को शुरू किया है और महिलाओं से ये अपील की है कि वो ऐसी बातों को इग्नोर न करें और ट्रोल्स की रिपोर्ट करें। देश भर के कई इन्फ्लूएंसर्स मालिनी अग्रवाल की इस पहल का सपोर्ट कर रहे हैं। सेलेब्स जैसे श्वेता साल्वे, आश्का गोराडिया, रोहित रॉय और अन्य चर्चित चेहरे जैसे नितिन मिरानी, फेय डिसूजा, शिबानी कश्यप आदि इस कैम्पेन को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी कैम्पेन को लेकर हरजिंदगी की कंटेंट हेड मेघा मामगेन ने मालिनी अग्रवाल से बात की जिसमें मालिनी ने खुलकर इसके बारे में बताया।

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सवाल: Ignore No More कैम्पेन के बारे में कुछ बताइए?

जवाब: इग्नोर नो मोर ऑनलाइन की जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि लगातार हो रहे ऑनलाइन सेक्शुअल हैरेसमेंट, बुलिंग और ट्रोलिंग को खत्म करना अब जरूरी हो गया है। ये सब हम आए दिन ऑनलाइन देखते हैं और ये सब बढ़ता ही जा रहा है। टीना सिंह एक मॉडल और एक्ट्रेस हैं वो हमेशा ऐसे ट्रोल्स के खिलाफ आवाज़ उठाती हैं और इन चीज़ों का विरोध करने के लिए काफी हिम्मत दिखाती हैं। उन्होंने ही मुझे shubhamcybercop के बारे में बताया जो ऐसे ऑनलाइन अब्यूजर्स को सजा दिलवाने में मदद कर सकते हैं।

हम ये चाहते थे कि लोगों तक ये बात पहुंचे कि किसी को ट्रोल करके वो बच नहीं सकते। जो लोग इसका शिकार हो रहे हैं हम उन्हें ये बताना चाहते थे कि इसके खिलाफ क्या नियम, कायदे और कानून हैं। हम हर किसी को शिक्षित करना चाहते थे और महिला सशक्तिकरण पर काम करना चाहते थे और हम ट्रोल्स को ये बताना चाहते थे कि उन्हें उनके किए की सजा मिल सकती है।

ignore no more online campaign

सवाल: साइबर बुलीज कौन होते हैं? क्या आप इसपर कोई पैटर्न देख सकती हैं या किसी की प्रोफाइल देखकर ये बता सकती हैं कि वो इंसान साइबर बुलिंग करने में सक्षम है?

जवाब: बदकिस्मती से इस बात का पता लगाना बहुत मुश्किल है कि कौन ये सब कर सकता है जब तक उसके द्वारा कोई कमेंट पोस्ट नहीं किया जाता है। कई बार ये 15-16 साल के बच्चे होते हैं जिन्हें ये जानकारी नहीं होती कि असल में वो क्या कर रहे हैं। उन्हें ये नहीं बताया गया कि ऑनलाइन कैसे रिएक्ट करना है। पर अक्सर साइबर बुलीज का फेक अकाउंट होता है और उनके ज्यादा फॉलोवर्स नहीं होते हैं और ये प्राइवेट अकाउंट होता है। कई बार इन ट्रोल्स के कई सारे अकाउंट्स होते हैं। पर अब हम ये कोशिश कर रहे हैं कि ऐसे फेक अकाउंट्स के बारे में पता लगाया जाए और कई ऐसे तरीके ढूंढें जाएं जो फेक अकाउंट्स के पीछे छुपे ट्रोल का पता बता सकें। कई बार लोग टीम बनाकर किसी एक इंसान को ट्रोल करते हैं। ऐसा कोई भी नियम नहीं है जो ये बताए कि ये लोग कौन हैं, लेकिन ये बहुत जरूरी है कि अगर ऐसा कोई कर रहा है तो उसके बारे में बताएं और रिपोर्ट करें।

सवाल: क्या आपको अपने ऑनलाइन मैसेजेस में कुछ बदलाव महसूस हुआ जब आपने ऑनलाइन हैरेस्मेंट के बारे में बोलना शुरू किया?

जवाब: मुझे असल में कई मैसेज आए जहां लोग अपने एक्सपीरियंस शेयर कर रहे थे और बता रहे थे कि उनके साथ क्या हुआ। वो लोग मदद मांग रहे थे, सवाल पूछ रहे थे और सशक्त महसूस कर रहे थे। लोग #IgnoreNoMoreOnline कैम्पेन को लेकर मुझे, मेरी टीम को सभी तरह से मैसेज कर रहे हैं और अपना एक्सपीरियंस बता रहे हैं। मुझे नहीं लगता है कि इस कैम्पेन के बाद मुझे ज्यादा ट्रोलिंग मिली है। इसकी जगह मुझे लगता है कि लोग पॉजिटिव रिस्पॉन्स दे रहे हैं।

सवाल: कितना आसान या मुश्किल है साइबर बुली एब्यूजर्स के खिलाफ शिकायत करना या फिर उन्हें ये अहसास दिलाना कि उनकी शिकायत बहुत सीरियस है?

जवाब: ये बहुत जरूरी है कि उनके खिलाफ रिपोर्ट की जाए और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए या फिर एफआईआर फाइल करके उनकी शिकायत की जाए। मैं ये नहीं कह रही कि ये बहुत आसान है क्योंकि बहुत से अन्य जुर्म भी होते रहते हैं। ऑथोरिटीज ऐसे में साइबर क्राइम को सीरियसली नहीं लेती हैं। पर वो यकीनन इसे लेकर कार्यवाही जरूर करते हैं। मुझे लगता है कि अगर आप नेशनल वुमन कमीशन की मदद से जाते हैं तो वो बहुत एक्टिव हैं, अगर आप shubhamcybercop की तरह एथिकल हैकर्स को ढूंढ लेते हैं तो वो लोग बहुत एक्टिव होते हैं।

सवाल: ट्रोल्स और एब्यूजर्स के बीच में क्या अंतर है? क्या विक्टिम्स को इस साइबर बुलिंग के बारे में जानकारी रहती है? क्या ये आपके लिए भी एक लर्निंग प्रोसेस रहा है?

जवाब: हां बिलकुल ट्रोल्स और एब्यूजर्स के बीच बहुत बड़ा अंतर है। जहां तक ट्रोलिंग का सवाल है ये अक्सर सिर्फ फैन्स ही होते हैं जो एक सेलेब का साथ देते हैं और दूसरे सेलेब पर तंज कसते हैं या उनके फैन्स से लड़ते हैं। पर एब्यूजर्स का एकमात्र उद्देश्य ये होता है कि वो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचें और लोगों की फीलिंग्स को हर्ट करें। मुझे लगता है कि विक्टिम्स को इसकी जानकारी नहीं होती कि असल में साइबर बुलिंग होता क्या है और यही कारण है कि हमने इग्नोर नो मोर ऑनलाइन इंस्टाग्राम हैंडल पर सारी डिटेल्स शेयर की हैं। ये जानकारी बताती है कि असल में कानून क्या कहता है और इसके खिलाफ आप क्या कर सकते हैं।

miss malini and her online campaign

सवाल: क्या आपके हिसाब से लॉकडाउन ने ऑनलाइन एब्यूज को बढ़ाया या घटाया है? आपको क्यों लगता है कि ऐसा हुआ?

जवाब: हां ऑनलाइन एब्यूज कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण बढ़ा है क्योंकि लोग अब ऑनलाइन ज्यादा समय बिता रहे हैं और हम इसे ज्यादा देख पा रहे हैं क्योंकि हम भी ऑनलाइन हैं। पर ऐसा नहीं है कि पहले इसे हम देखते नहीं थे तो ये होता नहीं था। समस्या ये है कि इसे अभी तक किसी ने चेक नहीं किया था और कोई इसको लेकर कुछ कर नहीं रहा था इसलिए ये ऐसे ही चला जा रहा था। इसीलिए ट्रोलर्स और एब्यूजर्स को ये लगने लगा कि वो कुछ भी करें इसका असर नहीं होगा पर ऐसा नहीं है। अब हम वो गलती नहीं करेंगे जो पिछले कुछ सालों में की है जहां लड़कियों को ये कहा जाता था कि बर्दाश्त करो और आगे बढ़ो क्योंकि हमने देख लिया कि ये समस्या का हल नहीं है। ये इस बारे में नहीं है कि लड़कियों को चुप करवाया जाए बल्कि इस बारे में है कि कैसे लड़कों को कहा जाए कि अब बस करो। एब्यूजर चाहे कोई भी हो पुरुष या महिला अगर वो ऐसी कोई चीज़ कर रहा है तो उसे सज़ा मिलनी चाहिए।

सवाल: महिलाएं भी साइबर एब्यूजर हो सकती हैं। हाल ही का एक मामला है जहां सुशांत सिंह राजपूत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को एब्यूज किया। ये कितना डिसटर्बिंग हो जाता है जब किसी और महिला के जरिए होता है और क्या इसे लेकर नियम कुछ अलग हैं?

जवाब: यकीनन ये उतना ही गलत है और माफ करने लायक नहीं है जितना किसी पुरुष के करने पर होता। इसे आप पुरुष या महिला से जोड़कर नहीं देख सकते हैं मुझे लगता है कि लोग बहुत इमोशनल हो जाते हैं जब ऐसी किसी चीज़ के बारे में भले ही वो रिलीजियस हो या फिर किसी ऐसे सेलेब की बात हो जिसे वो प्यार करते हैं। मुझे लगता है कि ये बिलकुल गलत है कि किसी को इस तरह से अटैक किया जाए, मुझे लगता है कि ये बहुत जरूरी है कि कानून इसे लेकर एक्शन ले और असली तथ्य और जांच के आधार पर फैसला करे। ये बहुत ही दुखद है कि एक महिला किसी अन्य महिला के लिए ये सब कह रही है।

miss malini online campaign

सवाल: अधिकतर साइबर एब्यूजर्स और ट्रोलर्स सिर्फ माफी मांगकर ही अपने किए से मुक्त हो जाते हैं, क्या आपको लगता है कि ये सही तरीका है साइबर सिक्योरिटी के मामलों से डील करने का?

जवाब: साइबर सिक्योरिटी बहुत ही बड़ा टर्म है, यहां ट्रोलर्स, एब्यूजर्स, फेक आइडेंटिटी इस्तेमाल करने वाले, ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले कई लोग होते हैं तो मुझे नहीं लगता कि सभी को सिर्फ सॉरी बुलवाकर छोड़ देना सही है। हां, कुछ मामलों में जहां एब्यूजर्स अंडर एज होते हैं और उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती उन्हें थोड़ा मौका दिया जा सकता है। इसलिए मैं बहुत उत्सुक हूं कि हाईस्कूल और ऐसे ही मामलों में ऑनलाइन जेंडर सेंसेटाइजेशन की बात की जाए। सिर्फ यही चीज़ है जिससे ये लोग ऑनलाइन सेंसिटिविटी के बारे में जानेंगे। वो अपना ऑनलाइन अकाउंट बनाएं इससे पहले उन्हें जानकारी मिलनी चाहिए। सिर्फ लोगों को सज़ा देने से काम नहीं चलेगा।

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सवाल: फिलहाल साइबर क्राइम मुंबई पुलिस इस कैम्पेन के साथ जुड़ी हुई है, आगे चलकर कौन से इलाकों में ये कैम्पेन आगे बढ़ सकता है?

जवाब: अगर आप साइबर क्राइम को देखें तो ये सिर्फ मुंबई तक ही सीमित नहीं है, ये पूरे भारत को कवर करता है। आपके साथ नेशनल कमीशन ऑफ वुमन, एथिकल हैकर्स, कई लॉयर्स हैं जो इस मामले में मदद कर रहे हैं, तो हम पूरे भारत में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और इससे जुड़े रिसोर्स बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लोग हमसे जुड़ें ताकि और भी ज्यादा स्ट्रिक्ट एक्शन इसे लेकर लिया जा सके।

सवाल: क्या आपको लगता है कि सरकार को 24X7 हेल्पलाइन लॉन्च करनी चाहिए जिसमें ऐसे क्राइम्स की रिपोर्ट की जाए जिससे ये प्रोसेस और तेज़ हो जाए और इसकी रिपोर्ट जल्दी हो। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में पहले ही एक हेल्पलाइन है जो सुबह 9 से शाम के 6 बजे तक काम करती है।

जवाब: मुझे लगता है कि सरकार को इसे बहुत सीरियसली लेना चाहिए क्योंकि हम अपनी जिंदगी ज्यादातर ऑनलाइन ही जी रहे हैं। मुझे लगता है कि एक नहीं बल्कि कई हेल्पलाइन्स की जरूरत होगी। इसको लेकर एजुकेशन बहुत जरूरी है मुझे लगता है कि सरकार को जेंटर सेंसिटाइजेशन के मामले में और ज्यादा काम करना चाहिए। मुझे लगता है कि हेल्पलाइन्स में ज्यादा से ज्यादा महिला एथिकल हैकर्स को होना चाहिए क्योंकि कई बार महिलाओं के साथ बातें शेयर करना आसान होता है। मुझे लगता है कि इस प्रोसेस में कुछ ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए। अभी सरकारी वेबसाइट्स सिर्फ एक मेल कर देती हैं जिसमें लिखा होता है कि कोई एक्शन नहीं लिया गया। अगर लोगों को ये पता होगा कि क्या कार्यवाही हुई तो ये अच्छा होगा। सरकार की तरफ से भी ऐसे कैम्पेन होने चाहिए ताकि लोगों को और भी ज्यादा जागरुकता मिल सके।

सवाल: ऑनलाइन एब्यूजर्स और चुपचाप ऑनलाइन शोषण सहने वालों को आप क्या मैसेज देंगी?

जवाब: एब्यूजर्स को मेरा मैसेज है कि रुकिए और सोचिए कि आप दूसरे लोगों के साथ क्या कर रहे हैं। आप इससे बहुत ज्यादा परेशानी मोल ले सकते हैं। साफ तौर पर आपके साथ कुछ हो रहा है जिसके कारण आप ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। आप कैसा महसूस करेंगे जब ये आपके साथ होगा, या आपकी बहन या दोस्तों के साथ होगा। तो अभी रुक जाइए इससे पहले कि ये मामला और बढ़ जाए।

वो लोग जो चुपचाप शोषण सहते हैं उनके लिए मैं ये कहूंगी कि यही मौका है आगे बढ़िए और इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाइए। आपको अब सहन करने की जरूरत नहीं है। भले ही अभी तक आपसे ये कहा गया हो कि इसे भूल जाइए, लेकिन ऐसा नहीं है और आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं भी पहले यही सोचती थी, लेकिन अब वक्त है आगे बढ़ने का। इग्नोर करना कोई हल नहीं है, ये काम नहीं करता और इससे एब्यूजर्स और भी ज्यादा बोल्ड हो जाते हैं। ये जरूरी है कि हम एक साथ आगे बढ़े, एक दूसरे को सपोर्ट करें और इस आंदोलन को आगे बढ़ाएं ताकि ऊपर बैठे लोग एक्शन लेने के लिए तैयार रहें।

आपके साथ भी अगर कुछ ऐसा होता है तो चुप बिलकुल न रहें। बोलने से कई चीज़ों का हल निकल सकता है। अगर आपको ये स्टोरी पसंद आई तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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